वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में जिला जज न्यायालय अजय कृष्ण विश्वेष की अदालत में सुनवाई 22 अगस्त को होगी. गुरुवार को मुस्लिम पक्ष की तरफ से दो नए वकील नियुक्त किए गए हैं जिनका नाम शमीम अहमद और योगेंद्र प्रसाद सिंह उर्फ मधु बाबू है. मुस्लिम पक्ष के मुख्य अधिवक्ता अभय नाथ यादव के निधन के बाद इन दो वकीलों को इस मुकदमे में शामिल किया गया है. इसके पहले 4 अगस्त को इस मामले में सुनवाई की तिथि मुकर्रर हुई थी. जिसमें अंजुमन इंतजामियां मस्जिद कमेटी के मुख्य अधिवक्ता अभय नाथ यादव के निधन की वजह से मुस्लिम पक्ष ने सारी फाइलें उनके केबिन में होने की बात कह कर 15 दिन का वक्त मांगा था. जिसके बाद कोर्ट ने 18 अगस्त की तिथि दी थी. आज दोपहर 2:00 बजे के बाद जिला जज न्यायालय में मामले की पोषणीय था को लेकर मुस्लिम पक्ष अपनी बातें रखेगा.
वहीं, मामले की सुनवाई से पहले मुकदमे की वादी लक्ष्मी देवी के पति और पैरोकार डॉ. सोहन लाल आर्य को बुधवार को पाकिस्तान के नंबर से धमकी भरी कॉल भी आई है, जिसमें उन्हें मुकदमे से अपना नाम वापस लेने की बात कहते है. राजस्थान के कन्हैया की तरह सिर तन से जुदा करने की धमकी मिली है. जिसपर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरु कर दी है.
दरअसल, मुस्लिम पक्ष के मुख्य अधिवक्ता अभय नाथ यादव के निधन से प्रतिवादी पक्ष काफी परेशान हैं. क्योंकि 2016 से अभय नाथ यादव मुस्लिम पक्ष की तरफ से ज्ञानवापी प्रकरण का केस देख रहे थे, लेकिन असामयिक निधन की वजह से मुस्लिम पक्ष के सामने भी बड़ा संकट है और हिंदू पक्ष की तरफ से रखी गई तमाम दलीलों पर ठोस और मजबूती के साथ मुस्लिम पक्ष को अपनी बातें रखना बेहद जरूरी है, क्योंकि मुस्लिम पक्ष की तरफ से ही मामले को सुनवाई योग्य ना मानते हुए 7 रूल 11 के तहत सुनवाई की अपील की गई थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जिला न्यायालय में सुनवाई चल रही है.
ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद मई के महीने से इस मामले की सुनवाई सीनियर सिविल डिविजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत से ट्रांसफर कर जिला जज न्यायालय में करवाई जा रही है. अभी मामले की पोषणीयता यानी मामला सुनवाई योग्य है या नहीं इसे लेकर कोर्ट में सुनवाई चल रही है. इस मामले में मुस्लिम पक्ष की तरफ से अपनी बातें रखते हुए हिंदू पक्ष यानी वादी की तरफ से दाखिल 51 बिंदुओं पर बहस पूरी की जा चुकी है, जिसके बाद पहले वादी संख्या 2 से 5 मंजू व्यास रेखा पाठक सीता साहू और लक्ष्मी देवी के वकीलों ने अपनी बातें कोर्ट के सामने रखी थी, जिसमें हरिशंकर जैन और विष्णु जैन ने ज्ञानवापी परिसर को देवता की संपत्ति बताते हुए श्री काशी विश्वनाथ एक्ट एक्ट पर तमाम दलीलें पेश की थी और मामले को सुनवाई योग्य बताते हुए ज्ञानवापी परिसर पर हिंदुओं का मालिकाना होने की बात कही गई थी, जिसके बाद वादी संख्या एक राखी सिंह के वकीलों की तरफ से पूरे मामले को सुनवाई योग्य बताते हुए यह दलील दी गई है कि प्रकरण श्रृंगार गौरी में नियमित दर्शन को लेकर है ना कि ज्ञानवापी परिसर मैं क्या है, क्या नहीं यह दोनों अलग मामले हैं. इसलिए यह मामला सुनवाई योग्य है. इसे स्वीकृत किया जाए और आगे की कार्रवाई शुरू हो इस पर राखी सिंह के वकीलों की तरफ से तमाम दलीलें भी दी गई है.
हिंदू पक्ष ने 100 जजमेंट के साथ 361 पन्ने अपने और कमेंट के कोर्ट के सामने रखे हैं, जिसमें कहा गया है कि 1993 तक यहां यानी श्रृंगार गौरी की पूजा होती थी तो अब भी होनी चाहिये. वर्ष 1993 में सरकार ने अचानक बैरकेडिंग लगा कर नियमित दर्शन और पूजा बंद कराई थी. इसलिए प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट और वक्फ एक्ट या किसी अन्य एक्ट के प्रावधान श्रृंगार गौरी प्रकरण में लागू नहीं होते हैं.
उन्होंने कहा था कि हमारा ज्ञानवापी की किसी जमीन पर कोई दावा नहीं है. हमारा दावा सिर्फ श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन और पूजा के लिए है. दोनों हिंदू पक्ष की तरफ से दलीलें खत्म होने के बाद अब कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को बोलने का मौका दिया है, अभय नाथ यादव के निधन के बाद मुस्लिम पक्ष की तरफ से नया वकील अपने वकालतनामा के साथ आज इस मामले में जुड़ सकता है और मुस्लिम पक्ष हिंदू पक्ष की दलीलों के बाद काउंटर दाखिल कर सकता है. फिलहाल 2:00 बजे के बाद इस प्रकरण पर आज सुनवाई शुरू होगी.
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