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हरियाली तीज पर इन मंत्रों से करें माता पार्वती का पूजन, जानें सुहागिन महिलाओं के लिए क्यों जरूरी है ये व्रत

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Published : Aug 11, 2021, 2:42 PM IST

हरियाली तीज उत्सव को भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हरियाली तीज का व्रत सावन महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. इस साल हरियाली तीज का पर्व 11 अगस्त 2021 को मनाया जाएगा. हरियाली तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही अधिक खास होता है.

Hariyali Teej
Hariyali Teej

कुल्लू : हरियाली तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही अधिक खास होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हरियाली तीज का व्रत सावन महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. इस साल हरियाली तीज का पर्व 11 अगस्त 2021 को मनाया जाएगा. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव और माता पर्वती की पूजा करती हैं. हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 10 अगस्त दिन मंगलवार की शाम 06 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी और ये तिथि बुधवार की शाम को 04 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी.

आचार्य मनोज शर्मा ने बताया कि हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह नए कपड़े पहनकर पूजा करने का संकल्प लेती हैं. इसके बाद पूजा स्थल की साफ-सफाई करने के बाद शिव मंदिर में या अपने घर पर मिट्टी से भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति बनाएं. इसके बाद उन्हें लाल कपड़े के आसन पर बिठाएं. पूजा की थाली में सुहाग की सभी चीजों को लेकर भगवान शिव और माता पार्वती को अर्पित करें. अंत में तीज कथा और आरती करें.

जानें सुहागिन महिलाओं के लिए क्यों जरूरी है ये व्रत

महिलाएं दिनभर रहती हैं निर्जला

इस पर्व में महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और अगले दिन व्रत तोड़ती हैं. हरियाली तीज के दिन हरि चूड़ियां, हरे वस्त्र, 16 श्रृंगार और मेहंदी लगाने का विशेष महत्व होता है. हरियाली तीज के मौके पर नवविवाहित युवती को मायके बुलाया जाता है. परंपरा के अनुसार, लड़की के ससुराल से मिठाई, वस्त्र और गहने आते हैं.

सुहागिन महिलाओं के लिए हरियाली तीज व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. हरियाली तीज के खास मौके पर महिलाएं झुला झुलती हैं और सावन के गीत गाती हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. उनका कठोर तप देखकर भोलेनाथ प्रसन्न हो गए थे और हरियाली तीज के दिन माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया था. इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं को अंखड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है.

हरियाली तीज पूजन विधि

तीज के दिन महिलाएं सुबह से रात तक व्रत रखती हैं. इस व्रत में पूजन रात भर किया जाता है. एक चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती एवं उनकी सहेली की प्रतिमा बनाई जाती है. प्रतिमा बनाते समय भगवान का स्मरण करते रहें. पूजन के बाद महिलाएं रातभर भजन-कीर्तन करती हैं. हर प्रहर को इनकी पूजा करते हुए बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पण करने चाहिए और आरती करनी चाहिए.

जब माता पार्वती की पूजा करें तो इन मंत्रों बोलें

  • ॐ उमायै नम:
  • ॐ पार्वत्यै नम:
  • ॐ जगद्धात्र्यै नम:
  • ॐ जगत्प्रतिष्ठायै नम:
  • ॐ शांतिरूपिण्यै नम:
  • ॐ शिवाय नम:

भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों से करें

  • ॐ हराय नम:
  • ॐ महेश्वराय नम:
  • ॐ शंभवे नम:
  • ॐ शूलपाणये नम:
  • ॐ पिनाकवृषे नम:
  • ॐ शिवाय नम:
  • ॐ पशुपतये नम:
  • ॐ महादेवाय नम:

हरियाली तीज 2021 पूजन के शुभ मुहूर्त

  • हरियाली तीज व्रत रखने की तारीख- बुधवार, 11 अगस्त 2021
  • राहुकाल- बुधवार दोपहर 12:00 से 1:30 बजे तक. (राहुकाल में पूजा नहीं करनी चाहिए)
  • श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि मंगलवार, 10 अगस्त को शाम 06.11 मिनट से शुरू होगी और 11 अगस्त 2021, बुधवार को शाम 04.56 मिनट पर समाप्त होगी.
  • अमृत काल- सुबह 01:52 से 03:26 तक
  • ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:29 से17 तक
  • विजय मुहूर्त- दोपहर 14 से 03.07 तक
  • गोधूलि बेला- शाम 23 से 06.47 तक
  • निशिता काल- रात 14 से 12 अगस्त सुबह 12:25 तक
  • रवि योग- 12 अगस्त सुबह 09:32 से 05:30 तक

हरियाली तीज व्रत कथा

हरियाली तीज उत्सव को भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था. इस कड़ी तपस्या से माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया. कथा के अनुसार माता गौरी ने पार्वती के रूप में हिमालय के घर पुनर्जन्म लिया था. माता पार्वती बचपन से ही शिव को वर के रूप में पाना चाहती थीं. इसके लिए उन्होंने कठोर तप किया.

एक दिन नारद जी पहुंचे और हिमालय से कहा कि पार्वती के तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उनसे विवाह करना चाहते हैं. यह सुन हिमालय बहुत प्रसन्न हुए. दूसरी ओर नारद मुनि विष्णुजी के पास पहुंच गए और कहा कि हिमालय ने अपनी पुत्री पार्वती का विवाह आपसे कराने का निश्चय किया है. इस पर विष्णुजी ने भी सहमति दे दी. नारद इसके बाद माता पार्वती के पास पहुंच गए और बताया कि पिता हिमालय ने उनका विवाह विष्णु से तय कर दिया है. यह सुन पार्वती बहुत निराश हुईं और पिता से नजरें बचाकर सखियों के साथ एक एकांत स्थान पर चली गईं. सुनसान जंगल में पहुंचकर माता पार्वती ने एक बार फिर तप शुरू किया. उन्होंने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और उपवास करते हुए पूजन शुरू किया. भगवान शिव इस तप से प्रसन्न हुए और मनोकामना पूरी करने का वचन दिया. इस बीच माता पार्वती के पिता पर्वतराज हिमालय भी वहां पहुंच गए. वह सत्य बात जानकर माता पार्वती की शादी भगवान शिव से कराने के लिए राजी हो गए.

आचार्य मनोज शर्मा ने बताया कि शिव कथा में वर्णन है कि बाद में विधि-विधान के साथ भोलेनाथ का माता पार्वती के साथ विवाह हुआ. शिव कथा में शिव कहते हैं, 'हे पार्वती! तुमने जो कठोर व्रत किया था उसी के फलस्वरूप हमारा विवाह हो सका. इस व्रत को निष्ठा से करने वाली स्त्री को मैं मनोवांछित फल देता हूं.'

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