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Shardiya Navratri 2023 : शारदीय नवरात्र के पहले दिन मां विंध्यवासिनी दरबार में उमड़ा भक्तों का सैलाब

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 15, 2023, 8:21 AM IST

विश्व प्रसिद्ध विंध्याचल धाम में शारदीय नवरात्रि (Navratri in Vindhyachal Dham) के पहले ही दिन भक्तों की लंबी कतार लग गई. आस्था का केंद्र बना विन्ध्य पर्वत व पतित पावनी मां भागीरथी के संगम तट पर विराजमान मां विंध्यवासिनी धाम में बड़ी संख्या में भक्त दर्शन पूजन को पहुंच रहे हैं.

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नवरात्र के पहले दिन विंध्यवासिनी धाम में उमड़े भक्त.

मिर्जापुर: 15 अक्टूबर रविवार से 9 दिवसीय शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो गया है. मिर्जापुर के विश्व प्रसिद्ध विंध्याचल धाम में नवरात्रि के पहले दिन आधी रात से ही श्रद्धालुओं का आना-जाना शुरू हो गया था. भक्त लंबी-लंबी लाइनों में खड़े होकर मां विंध्यवासिनी की एक झलक पाने के लिए घंटों इंतजार करते नजर आए. इस दौरान मंदिर में कड़ी सुरक्षा के बीच नवरात्रि के पहले दिन भक्त शैलपुत्री स्वरूप का दर्शन कर रहे हैं. मान्यता है कि आज के दिन मां विंध्यवासिनी का दर्शन करने से श्रद्धालुओं की मन से मांगी मुरादें पूरी होतीं हैं.

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भक्तों का भारी हुजूम मां के दर्शन को उमड़ा.

नवरात्र में मां के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. विंध्याचल धाम का देश के धार्मिक स्थलों में एक अलग स्थान है. यह केवल तीर्थ नहीं बल्कि प्रमुख शक्तिपीठ भी माना जाता है. वर्ष में पड़ने वाले नवरात्र में लगने वाले विशाल मेले में दूर-दूर से भक्त मां के दर्शन के लिए आते हैं .रविवार को उदया तिथि में शारदीय नवरात्र भोर की मंगला आरती से आरंभ हो गया है.आधी रात से ही श्रद्धालुओं आना शुरू हो गया था.

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माता के दरबार में की गई सजावट.

प्रथम दिन शैलपुत्री का पूजन-अर्चन
लंबी-लंबी लाइनों में खड़े होकर हाथों में नारियल चुनरी लेकर मां के दरबार में पहुंचकर दर्शन पूजन कर रहे हैं. नवरात्र में आदिशक्ति के नौ रूपों की आराधना यहां पर होती है. पहले दिन हिमालय की पुत्री पार्वती अर्थात शैलपुत्री के स्वरूप का सविधि पूजा व अर्चना करने का विधान है. प्रत्येक प्राणी को सद्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करने वाली मां का यह स्वरूप सभी के लिए वंदनीय है. आज के दिन मां विंध्यवासिनी का दर्शन पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. अनादिकाल से भक्तों के आस्था का केंद्र बने विन्ध्य पर्वत व पतित पावनी मां भागीरथी के संगम तट पर विराजमान मां विंध्यवासिनी का प्रथम दिन शैलपुत्री के रूप में पूजा व अर्चना किया जाता है.


आज मां को चढ़ाएं पीला पुष्प
धर्माचार्य मिट्ठू मिश्रा ने बताया कि माता को आज रंग पीला, पुष्प अपराजिता और कमल के साथ भोग में गाय के दूध घी से निर्मित पकवान अर्पित करने से मां प्रसन्न होती हैं. साथ ही बताया कि इस बार की नवरात्रि में मां हाथी पर सवार होकर आ रही हैं. आगमन की सवारी शुभ संकेत देने वाली है. किसान भाइयों को बहुत ही कृपा आशीर्वाद प्राप्त होगी और माता अन्नपूर्णा का कृपा आशीर्वाद हम सबके ऊपर बना रहेगा. यह शुभ संकेत लोगों के जीवन में समृद्धि लाने वाला है और विपुल संप्रदाय ईश्वर के वृद्धि करने वाला है. नवरात्र के प्रथम दिन शैलपुत्री स्वरूप देवी की पूजा इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर करने से माता रानी प्रसन्न होती हैं.

मंदिर में एटीएस कमांडो तैनात
धर्माचार्य ने बताया कि मां विंध्यवासिनी मंदिर को देशी-विदेशी फूलों से सजाया गया है. सिद्धपीठ में देश के कोने-कोने से भक्त आकर मां का दर्शन कर रहे हैं. मां का दर्शन करने के साथ ही भक्त मां का जय जयकारा भी लगाते हैं. यहां मंदिर में भक्त कड़ी सुरक्षा के बीच दर्शन पूजन कर रहे हैं. यहां सुरक्षा को लेकर संपूर्ण मेला क्षेत्र को 2 सुपर जोन, 10 जोन एवं 21 सेक्टर में बांटा गया है. यहां ढाई हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है. इसके साथ ही गंगा किनारे पीएससी फ्लड, एसडीआएफ और पहली बार मेले में एटीएस कमांडो की तैनाती की गई है. इसके अलावा सीसीटीवी के साथ ही आसमान से भी ड्रोन कैमरों की मदद से नजर रखा जा रहा है. यहां दर्शन कर वापस निकल रहे श्रद्धालुओं रोहित और भारतीय पांडेय ने कहा कि पहले की अपेक्षा यहां पर बहुत अच्छी व्यवस्था है.


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