हैदराबाद : केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने कहा है कि कोवैक्सीन को डीसीजीआई से मंजूरी नहीं मिली है. उन्होंने 2-18 आयुवर्ग के लोगों को टीका लगाए जाने की मंजूरी को लेकर आई खबरों को लेकर कहा कि टीके का मूल्यांकन अभी भी जारी है. उन्होंने कहा कि कुछ भ्रम है और विशेषज्ञों की समिति के साथ बातचीत चल रही है. फिलहाल, भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGA) ने 2-18 आयुवर्ग के लिए कोवैक्सीन (BBV152) को मंजूरी नहीं दी है.
इससे पहले खबर सामने आई थी कि ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने कोवैक्सीन टीके (BBV152) को बच्चों को लगाने की मंजूरी दे दी है. भ्रम की स्थिति को लेकर भारत बायोटेक ने सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) के पास COVAXIN (BBV152) के क्लिनीकल ट्रायल का डेटा पेश किया है.
बकौल भारत बायोटेक, यह टीका 2-18 वर्ष आयु वर्ग के लोगों पर किए गए नैदानिक परीक्षणों का है. वैक्सीन के प्रयोग की अनुमति को लेकर CDSCO और विषय विशेषज्ञ समिति (SEC) द्वारा डेटा की गहन समीक्षा की गई है. दोनों की ओर से सकारात्मक सिफारिशें की गई हैं.
समाचार एजेंसी एएनआई ने आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक कहा है कि 2-18 वर्षों आयुवर्ग के लोगों को टीका लगाए जाने को लेकर औपचारिक मंजूरी दी जानी बाकी है. सूत्रों के मुताबिक भारत बायोटेक की ओर से पेश किए गए डेटा के मूल्यांकन के बाद DCGI (ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) द्वारा Covaxin को मंजूरी दी जानी बाकी है.
बच्चों को लगेगी कोरोना वैक्सीन
इससे पहले खबर सामने आई थी कि DCGI ने देश में 2 साल से 18 साल तक के बच्चों को कोवैक्सीन टीके देने की हरी झंडी दे दी है. बच्चों को कोवैक्सीन की दो डोज़ दी जाएंगी. भारत सरकार की तरफ से बच्चों की कोरोना वैक्सीन को लेकर जल्द ही गाइडलाइन भी जारी की जा सकती है. जिसमें वैक्सीन लगाने प्रक्रिया, वैक्सीन लगाने की प्राथमिकता, दो डोज़ के बीच गैप आदि समेत तमाम जानकारी विस्तार से दी जाएगी.
लंबे ट्रायल के बाद मंजूरी
बच्चों की वैक्सीन को मंजूरी से पहले बकायदा ट्रायल के दौर से गुजरना पड़ा है ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. हैदराबाद की भारत बायोटेक ने 18 साल से कम उम्र के बच्चों पर तीन चरणों में ट्रायल पूरा किया था. सितंबर में दूसरे और तीसरे चरण का ट्रायल पूरा होने के बाद वैक्सीन को डीसीजीआई के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था. ट्रायल में बच्चों पर टीके का किसी भी तरह का बुरा प्रभाव नहीं देखा गया है. क्लीनिकल ट्रायल में ये वैक्सीन 78 फीसदी तक असरदार साबित हुई है.
गौरतलब है कि कि कोवैक्सीन पहली पूर्णत: स्वदेशी वैक्सीन है, जिसे भारत बायोटेक और आईसीएमआर (ICMR) ने मिलकर विकसित किया है. भारत में कोवैक्सीन की दो डोज 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को दी जा रही है. हालांकि इस वैक्सीन को अभी विश्व स्वास्थ्य संगठन से मान्यता मिलने का इंतजार है. कहा जा रहा है कि इस महीने इसपर WHO फैसला ले सकता है.
छोटे बच्चों को वैक्सीन देने वाला दूसरा देश
भारत ऐसा दूसरा देश है जहां इतने छोटे बच्चों (2 साल से अधिक उम्र) के लिए कोरोना वैक्सीन को हरी झंडी मिली है. इससे पहले क्यूबा ने 2 साल से 11 साल के आयु वर्ग के बच्चों के लिए टीकाकरण अभियान शुरू किया था. सितंबर की शुरुआत में क्यूबा में बच्चों का टीकाकरण शुरू हो चुका है. क्यूबा ने कोरोना के दो टीके बनाए हैं और उन्हीं का इस्तेमाल कर रहा है. हालांकि क्यूबा के कोरोना टीकों को विश्व स्वास्थ्य संगठन की मंजूरी नहीं मिली है.
इससे पहले अमेरिका, कनाडा, इजराइल समेत दुनिया के कई देशों में 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों को कोरोना का टीका लगाया जा रहा है. जबकि यूरोपियन यूनियन से लेकर ब्रिटेन जैसे कई देश इसकी मंजूरी दे चुके हैं. लेकिन क्यूबा ने इस मामले में सबको पीछे छोड़ दिया. ऐसे में जब भारत 2 साल से 18 साल तक के आयु वर्ग के लिए टीकाकरण को हरी झंडी दे देगा तो ऐसा करने वाला भारत दूसरा देश बन जाएगा.
इससे पहले भारत में बच्चों के लिए कोई टीका था ?
भारत सरकार ने अब तक जिन 6 कोरोना वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी है उसमें जायडस कैडिला की ZyCoV-D भी शामिल है. ये वैक्सीन 12 साल से अधिक उम्र के लोगों को लगाई जा सकती है. ये डीएनए पर आधारित दुनिया की पहली स्वदेशी वैक्सीन थी. इस वैक्सीन की एक और खास बात ये ही कि इसकी तीन डोज़ दी जाएंगी.
इसके अलावा भारत में कोवैक्सीन, कोविशील्ड, स्पूतनिक-वी, फाइजर और जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है. इनमे से कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक-वी वैक्सीन की दो डोज़ 18 साल से अधिक के लोगों को दी जा रही हैं. बाकी वैक्सीन अभी लगनी शुरू नहीं हुई है.
दुनिया में बच्चों की कोविड वैक्सीन
फाइजर (Pfizer)- अमेरिका में ये वैक्सीन फिलहाल 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों को दी जा रही है जबकि 5 साल से 11 साल के बच्चों के लिए वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है. भारत में बच्चों की ये वैक्सीन फिलहाल उपलब्ध नहीं है.
स्पूतनिक वी (Sputnik V)- रूस ने सबसे पहले कोरोना वैक्सीन बनाई थी और अब वहां 8 से 12 साल के बच्चों के लेइ नेज़ल वैक्सीन (Nasal Vaccine) का ट्रायल चल रहा है.
सिनोवैक (Sinovac)- चीन ने अपनी इस वैक्सीन को 3 साल से 17 के बच्चों के लिए मंजूरी दे दी है. हालांकि ये अभी भारत में उपलब्ध नहीं है.
नोवावैक्स (Novavax)- सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की इसवैक्सीन का ट्रायल 7 से 17 साल के आयुवर्ग के लिए चल रहा है. फिर इसका ट्रायल 2 से 6 साल के बच्चों में भी होगा.