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170 रुपये के फर्जी भुगतान में फंसे तीन रिटायर अफसर, कोर्ट ने सुनाई चार साल की सजा

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 22, 2023, 5:38 PM IST

पीलीभीत में गैर हाजिर होमगार्ड को बिना ड्यूटी किए ही (Payment to home guard without duty ) भुगतान करने के मामले में न्यायालय ने तीन सेवानिवृत हो चुके अफसरों को सजा सुनाई है. साथ ही ₹16000 का अर्थदंड भी लगाया है.

20 साल पुराना है मामला.
20 साल पुराना है मामला.

पीलीभीत : जिले में ड्यूटी से गैर हाजिर रहे होमगार्ड को बिना ड्यूटी किए ही 170 रुपये का भुगतान कर दिया गया. मामला 20 साल पुराना है. विवेचना सीबीसीआईडी की ओर से की गई थी. शनिवार को एसीजेएम (प्रथम) अमित यादव ने सेवानिवृत्त पूरनपुर ब्लॉक अफसर, एक कंपनी कमांडर के अलावा एक प्लाटून कमांडर को दोषी करार दिया. तीनों पूर्व अफसरों को कोर्ट ने चार-चार साल की सजा सुनाई है. तीनों पर जुर्माना भी लगाया गया है.

20 साल पुराना है मामला.
20 साल पुराना है मामला.

साल 2003 का है मामला : मामला पूरनपुर थाना क्षेत्र का है. यहां सूरज नाम के होमगार्ड की वर्ष 2003 में 10 सितंबर को ड्यूटी लगा दी गई थी. जबकि होमगार्ड ड्यूटी से गैर हाजिर था. इसकी सूचना मुंशी राजाराम ने जीडी में भी अंकित की थी. गैर हाजिर रहने के बाद होमगार्ड सूरज 13 सितंबर को वापस लौटा तो वापसी का तस्करा भी रजिस्टर में दर्ज कर दिया गया. ऐसे में जीडी से स्पष्ट हुआ कि होमगार्ड सूरज 10 सितंबर से लेकर 12 सितंबर तक गैर हाजिर रहा. प्लाटून कमांडर चुन्नीलाल ने सितंबर का मास्टर रोल तैयार किया. इसमें होमगार्ड को केवल 11 सितंबर को अनुपस्थित दिखाया गया. लापरवाही के चलते होमगार्ड सूरज की 10 और 12 सितंबर की उपस्थिति दिखा दी गई. कंपनी कमांडर अब्दुल नफीस ने अपने हस्ताक्षर से मास्टर रोल पूरनपुर ब्लाक ऑफिसर रोशन लाल को भेज दिया और 2 दिन के ₹170 प्राप्त कर लिए. पूरे मामले में शिकायत के बाद पूरनपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था.

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शासन के आदेश पर मामले की विवेचना सीबीसीआईडी ने की थी. न्यायालय में विचाराधीन चल रहे मुकदमे में शनिवार को एसीजेएम अमित कुमार यादव ने सुनवाई की. सुनवाई के तहत सूरज, चुन्नी लाल, अब्दुल नफीस और रोशनलाल को दोषी पाते हुए सजा सुनाई गई. होमगार्ड सूरज की मृत्यु हो चुकी है, ऐसे में अन्य तीन दोषियों को चार-चार साल कारावास की सजा और 16000 रुपये के आर्थिक दंड से दंडित किया गया है.

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