ETV Bharat / bharat

कफ सिरप से बच्चों की मौत का मामला : नोएडा की दवा कंपनी में उत्पादन रोका गया

author img

By

Published : Dec 30, 2022, 8:45 PM IST

खांसी की दवा डॉक-1 मैक्स से उज्बेकिस्तान में कथित तौर पर कुछ बच्चों की मौत को देखते हुए दवा बनाने वाली कंपनी मैरियन बायोटेक की नोएडा इकाई में उत्पादन को रोक दिया गया है. इस बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया (Union Health Minister Mansukh Mandaviya) ने जानकारी दी.

cough syrup (symbolic)
कफ सिरप (प्रतीकात्मक)

नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया (Union Health Minister Mansukh Mandaviya) ने शुक्रवार को कहा कि मैरियन बायोटेक द्वारा निर्मित खांसी की दवा डॉक-1 मैक्स से उज्बेकिस्तान में कथित तौर पर 18 बच्चों की मौत से जुड़ी खबरों के मद्देनजर कंपनी की नोएडा इकाई में सभी उत्पादन गतिविधियों को रोक दिया गया है. मांडविया ने ट्वीट कर बताया कि डॉक-1 मैक्स से उज्बेकिस्तान में कथित तौर पर 18 बच्चों की मौत से जुड़े मामले में आगे की जांच जारी है.

उन्होंने लिखा,'खांसी की दवा डॉक-1 मैक्स के विषाक्त होने से संबंधित खबरों के मद्देनजर केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की टीम द्वारा किए गए निरीक्षण के बाद मैरियन बायोटेक की नोएडा इकाई में सभी उत्पादन गतिविधियों को गुरुवार रात रोक दिया गया. मामले में आगे की जांच जारी है.' सरकारी सूत्रों ने कहा कि खांसी की दवा से कथित तौर पर जुड़ी मौतों के संबंध में उज्बेकिस्तान के अधिकारियों ने गुरुवार रात को भारत से संपर्क किया और मामले की गहन जांच की मांग की.

इससे पहले, मैरियन बायोटेक के कानूनी प्रतिनिधि ने गुरुवार को बताया था कि डॉक-1 मैक्स का उत्पादन फिलहाल रोक दिया गया है. मांडविया ने गुरुवार को कहा था कि दवा कंपनी के निरीक्षण के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार के एक अधिकारी ने कहा था कि मैरियन बायोटेक भारत में डॉक-1 मैक्स की बिक्री नहीं करती है और इसका निर्यात सिर्फ उज्बेकिस्तान में किया गया है.

मांडविया ने बताया था कि मैरियन बायोटेक की नोएडा इकाई से खांसी के उक्त सिरप के नमूने लेकर जांच के लिए चंडीगढ़ स्थित क्षेत्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला (आरडीटीएल) भेजे गए हैं. उन्होंने कहा था कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) मामले को लेकर 27 दिसंबर से उज्बेकिस्तान के राष्ट्रीय दवा नियामक के साथ लगातार संपर्क में था. वहीं, विदेश मंत्रालय ने बताया था कि भारत सरकार उज्बेक अधिकारियों के नियमित संपर्क में है और इस मामले में उनकी जांच का विवरण मांगा गया है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि कंपनी से जुड़े कुछ लोगों को राजनयिक सहायता प्रदान की जा रही है, जो उज्बेकिस्तान में कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं. बागची ने बताया था कि उज्बेक अधिकारियों ने औपचारिक रूप से नई दिल्ली के समक्ष यह मामला नहीं उठाया है. उन्होंने कहा था, 'बावजूद इसके, हमारे दूतावास ने उज्बेक अधिकारियों से संपर्क किया है और उनकी जांच के बारे में अतिरिक्त जानकारी मांगी है.'

वहीं, नोएडा स्थित मैरियन बायोटेक के कानूनी प्रतिनिधि हसन हैरिस ने कहा था कि दोनों देशों की सरकारें इस मामले को देख रही हैं. उन्होंने कहा था, 'हमारी तरफ से कोई गड़बड़ी नहीं हुई है और हमें जांच से भी कोई दिक्कत नहीं है. हम पिछले 10 साल से वहां के दवा बाजार में सक्रिय हैं. सरकार की रिपोर्ट आने के बाद हम इस पर गौर करेंगे. फिलहाल उत्पादन रोक दिया गया है.'

उज्बेकिस्तान के इन आरोपों से पहले साल 2022 की शुरुआत में हरियाणा स्थित मेडेन फार्मास्यूटिकल्स द्वारा निर्मित खांसी के सिरप से गाम्बिया में कथित तौर पर 70 बच्चों की मौत होने संबंधी खबरें आई थीं. बाद में भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से कहा था कि उसने गाम्बिया में बच्चों की मौत के मामले को भारत में निर्मित खांसी की दवा से जोड़ने में जल्दबाजी दिखाई.

ये भी पढ़ें - भारतीय कफ सिरप से नहीं हुई बच्चों की मौत, गाम्बिया सरकार ने लिया यू-टर्न!

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.