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विशाखापट्टनम गैस कांड : केंद्र ने दिया एक साल तक पीड़ितों की जांच का आदेश

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Published : May 12, 2020, 12:56 AM IST

आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम की एक एलजी पॉलिमर कंपनी में खतरनाक जहरीली गैस के रिसाव होने से इसके आस-पास के क्षेत्रों में लोगों की चिंता बढ़ गई है. बता दें कि इस हादसे में 11 लोगों की मौत हुई थी. वहीं 100 से ज्यादा लोग बुरी तरह घायल हुए हैं. इस हादसे की गंभीरता को समझते हुए केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को एक साल तक पीड़ितों के स्वास्थ्य की जांच करने का आदेश दिया है. पढ़ें पूरी खबर...

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घटनास्थल की तस्वीर

नई दिल्ली : आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम की एक एलजी पॉलिमर कंपनी में खतरनाक जहरीली गैस के रिसाव होने से इसके आस-पास के क्षेत्रों में लोगों की चिंता बढ़ गई है. बता दें कि इस हादसे में 11 लोगों की मौत हुई थी. वहीं 100 से ज्यादा लोग बुरी तरह घायल हुए हैं. इस हादसे की गंभीरता को समझते हुए केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को एक साल तक पीड़ितों के स्वास्थ्य की जांच करने का आदेश दिया है.

इस संबंध में केंद्र सरकार ने एक टीम नियुक्त की है, जिसमें वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद, राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनईईआरआई) और आंध्र प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एपीपीसीबी) के विशेषज्ञ शामिल हैं. इन अधिकारियों ने कई सिफारिशें की हैं, जिन्हें सख्ती से लागू किया जा रहा है.

इस टीम ने इस ग्रसित क्षेत्र में अध्ययन के बाद केंद्र को एक रिपोर्ट सौंपी है. इसमें बताया गया है कि जमीन से 1.5 से 4.5 फीट की ऊंचाई पर स्टाइलिन की सघनता को मापा गया.

इस अध्ययन में पाया गया कि सड़कों और खुले क्षेत्र में इसका मूल्य शून्य है. हालांकि, कुछ बंद घरों में 1.7 पीपीएम स्टाइलिन पाया गया है.

टीम ने कहा कि उचित वेंटिलेशन और सफाई के बाद लोग अपने घरों में जा सकते हैं. इस गैस से प्रभावित लोगों के स्वास्थ्य की एक साल तक जांच की जाएगी.

इस क्षेत्र के तीन किमी के दायरे के सभी किचन गार्डन और आस-पास के खेतों की फल और सब्जियों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही यह फल और सब्जियां मवेशियों को भी नहीं खिलाई जाएगी.

जांच की रिपोर्ट आने तक इन क्षेत्रों का दूध और इससे बनने वाली सामाग्री का भी उपयोग नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही खुले पानी के स्त्रोतों का भी उपयोग नहीं किया जाएगा.

गौरतलब है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा बनाई गई समिति इस क्षेत्र की हवा, पानी और मिट्टी की निगरानी करेगी.

इस समिति ने प्रभावित क्षेत्रों में लघु, मध्यम और दीर्घावधि तक पर्यावरण (वायु, जल और मिट्टी) की निगरानी की मांग की है.

इनके अलावा टीम ने सोडियम हाइपोक्लोराइट (sodium hypochlorite) के साथ पूरे प्रभावित क्षेत्र की सफाई करने और सभी प्रभावित क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति को रोकने की भी मांग की है.

टीम ने कहा कि उपयोग से पहले सभी चार पहिया वाहनों की सफाई और उन्हें वेंटिलेट किया जाना चाहिए. टीम ने इन सभी सुरक्षा से संबंधित कदमों को उठाने के लिए जोर डाला है.

जैसा कि ईटीवी भारत ने पहले भी बताया था कि इस दुर्घटना का सही कारण पहचानना मुश्किल हो सकता है क्योंकि स्टाइलिन रिसाव दुर्घटना बहुत दुर्लभ है.

11 साल तक इस प्लांट में काम करने वाले विशाखापट्टनम के एक केमिकल इंजीनियर अनंतराम गणपति ने हमसे बात की और बताया कि यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि ओवरहीटिंग क्यों हुई.

उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह आसानी से पता चल सकता है. यह कोई आग नहीं है बल्कि यह एक बहुत ही दुर्लभ और अनसुनी घटना है.

आपको बता दें, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की टीम दुर्घटनास्थल का दौरा कर सकती है.

गौरतलब है कि इससे पहले एनजीटी ने एक सु-मोटो कार्रवाई के तहत एलजी पॉलीमर्स पर वैधानिक प्रावधानों के उल्लंघन के लिए 50 करोड़ रुपए का अंतरिम जुर्माना लगाया था.

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