हिमाचल विधानसभा चुनाव : जीत के लिए कांग्रेस का फोकस अब बूथ लेवल रणनीति पर

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Published : Nov 11, 2022, 4:10 PM IST

Congress reviews booth level plan

हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को मतदान होना है (Himachal poll). 68 सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए 10 नवंबर को प्रचार खत्म हो चुका है. ऐसे में जीत सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस पार्टी का अब सारा ध्यान पहाड़ी राज्य में बूथ स्तर पर चुनाव प्रबंधन पर है (Congress reviews booth level plan to ensure Himachal win). यहां 7881 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. 'ईटीवी भारत' के वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट.

नई दिल्ली : हिमाचल प्रदेश में आक्रामक अभियान चलाने के बाद, कांग्रेस 12 नवंबर को मतदान के दिन अपनी नई बूथ-प्रबंधन योजना पर भरोसा कर रही है (Congress reviews booth level plan to ensure Himachal win). पहाड़ी राज्य की 68 विधानसभा सीटों के लिए प्रचार 10 नवंबर को समाप्त हो गया. पार्टी का ध्यान अब चुनाव आयोग द्वारा बनाए गए लगभग 7881 मतदान केंद्रों पर है.

2017 का चुनाव कांग्रेस ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में लड़ा था, लेकिन उसे भाजपा से हार मिली. भाजपा को 44 सीटें हासिल हुईं, जबकि कांग्रेस महज 21 सीटों पर सिमट गई थी. अब सबसे पुरानी पार्टी की नजर इस बार सत्ता में वापसी करने पर है.

पांच साल बाद पार्टी फिर से पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की विरासत पर भरोसा कर रही है. उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह राज्य इकाई की प्रमुख हैं. हिमाचल प्रदेश के एआईसीसी प्रभारी तजिंदर पाल सिंह बिट्टू (Himachal Pradesh Tajinder Pal Singh Bittoo) ने 'ईटीवी भारत' से कहा कि 'हमने एक आक्रामक अभियान चलाया है. हालांकि, बूथ प्रबंधन चुनाव जीतने की कुंजी है. हमने व्यापक व्यवस्था की है हम मतदान के दिन के लिए तैयार हैं.'

2017 के चुनावों से सबक लेते हुए कांग्रेस ने अधिकांश बूथों पर अलग-अलग टीमों का गठन किया था. हर मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करे, इसके लिए इन टीमों को पूरी तरह से प्रशिक्षित किया गया था.

बूथ स्तर की टीमों को पार्टी की रैलियों में एक अच्छी भीड़ सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय लोगों के साथ समन्वय करने का भी काम सौंपा गया था. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि इसने पार्टी प्रबंधकों को जमीनी स्तर के समर्थन का आकलन करने और मतदान के दिन के लिए रणनीति तैयार करने में मदद की.

पार्टी प्रबंधकों ने मतदान एजेंटों को बूथों की निगरानी करने और सत्तारूढ़ भाजपा कार्यकर्ताओं पर नजर रखने के लिए भी प्रशिक्षित किया है. तजिंदर पाल सिंह बिट्टू ने कहा कि 'वे सत्ता में हैं और सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने की कोशिश कर सकते हैं. हमने अपने मतदान एजेंटों को किसी भी चुनावी कदाचार जैसे ईवीएम या फर्जी वोटों से छेड़छाड़ पर नजर रखने के लिए प्रशिक्षित किया है. हमने मतदान एजेंटों के लिए ईवीएम प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए हैं.'

मतदान से एक दिन पहले हिमाचल प्रदेश के प्रभारी एआईसीसी महासचिव राजीव शुक्ला ने सभी मतदान एजेंटों के साथ तैयारियों की समीक्षा कर उन्हें प्रोत्साहित कर अंतिम निर्देश दिए.

शनिवार को शुक्ला के साथ-साथ एआईसीसी के अन्य पदाधिकारी निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए मतदान एजेंटों के सीधे संपर्क में रहेंगे. पहले यह जिम्मेदारी सिर्फ उम्मीदवारों की होती थी. कांग्रेस में इतनी सतर्कता बरती जा रही है कि पोलिंग एजेंटों को एक मिनट के लिए भी बूथों से बाहर नहीं निकलने को कहा गया है.

बिट्टू ने कहा कि 'हमने उन्हें सतर्क रहने के लिए कहा है. उन्हें मौके पर ही खाने के पैकेट और पानी मुहैया कराया जाएगा.' बिलासपुर क्षेत्र की घुमारवीं सीट से चुनाव लड़ रहे राजेश धर्मानी के मुताबिक पिछले चुनावों में विरोधियों ने कुछ कदाचार किए थे, जिसको ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने इस बार बूथ स्तर की व्यापक समीक्षा की है. धर्मानी ने कहा कि 'मतदान के दिन बूथ प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण है. हमारे एजेंटों ने मतदाता भागीदारी को अधिकतम करने के लिए स्थानीय रणनीति तैयार की है. पिछली बार ऐसे मामले सामने आए थे कि हमारे प्रतिद्वंद्वियों ने स्थानीय लोगों का समर्थन हासिल करने के लिए शराब का इस्तेमाल किया था, हम इस बार सावधान हैं.'

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