उदयपुर: मिट्टी के दीपक बने सबकी पसंद, महंगाई की मार, फिर भी खरीदार बेशुमार

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Published : Oct 25, 2019, 9:53 AM IST

उदयपुर में रोशनी के पर्व दीपावली की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो गई है. हर कोई दीपोत्सव को पारंपरिक अंदाज में मनाने की तैयारी कर रहा है. आइए आपको भी बताते हैं आखिर उदयपुर के बाशिंदे इस बार दीपावली मनाने को लेकर किस तरह की तैयारियां कर रहे हैं.

उदयपुर. आमजन के जीवन में रोशनी के पर्व दीपावली को खास और उमंग भरा बनाने के उद्देश्य से उदयपुर के कुम्हार समाज के कई परिवार इसमें जी-जान से जुटे हुए है. शहर के कुम्हारों का भट्टा इलाके में स्थित मकानों में कुम्हार समाज के ये लोग मिट्टी के दीये तैयार कर लोगों की दीपावली को रोशन कर रहे हैं.

मिट्टी से बने दीपक बने सबकी पसंद

लेक सिटी उदयपुर के कुम्हार समाज के कई परिवारों द्वारा दीपावली पर्व पर परम्परा स्वरूप मिट्टी के दीए बनाने का कार्य बदस्तूर जारी है. हालांकि, महंगाई और चाइनीज दीयों के चलन ने वतन की माटी से तैयार होने वाले इन दीयों की चमक को फीकी करने की कोशिश जरूर की है. लेकिन, इन सब के बीच आज भी शंकर लाल प्रजापत का पूरा परिवार इस बड़े त्योहार दीपावली के लिए व्यापक मात्रा में मिट्टी के दीये तैयार किए जा रहा है.

शंकर लाल कुम्हार ने अपने परिवार के साथ पिछले लंबे समय से अपने पुरखों से मिली मिट्टी की कारीगरी की विरासत को सहेज रखा है. यही नहीं इस परंपरा को जीवित रखते हुए शंकरलाल और उनका पूरा परिवार दिन-रात मेहनत कर इन दीयों को तैयार कर रहा है. हालांकि आज के इस महंगाई के दौर और ज्यादा बारिश के चलते दिए बनाने की मिट्टी का काफी महंगी मिलती है. लेकिन, इन सब के बावजूद कुम्हार समाज के लोग इन दीयों को बनाने में जुटे है.

पढ़ें- दिवाली विशेष: आज भी यहां के कुम्हार 'मुद्रा विनिमय प्रणाली' के बदले अपनाते हैं 'वस्तु विनिमय प्रणाली'

उदयपुर में छोटे दीयों के साथ बड़े दीए और मिट्टी के लक्ष्मी जी को चाक पर बनाने का काम जारी है. भले ही चाइनीज दीयों ने बाजारों में पैर पसारने का काम शुरू कर दिया हो. लेकिन, आज भी ऐसे कई लोग है जो अपनी माटी की खुशबू से दूर नहीं रहना चाहते है. यही नहीं लोग इन कलाकारों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और इन पारम्परिक दीयों की परंपरा को जीवंत रखने के लिए मिट्टी के दीयों की खूब खरीदारी कर रहे है. ताकि अपने त्योहार पर अपने देश माटी से बने दीयों से उनका घर रोशन हो सके.

मिट्टी के दीये खरीदने वाले लोगों का कहना है कि इस तरह की कलाकारी और परम्परा को जीवंत रखने के लिए आमजन को आगे आने चाहिए. ताकि मिट्टी के दीये बनाने की परंपरा को जीवित रखा जा सके. साथ ही मिट्टी से बने दीयों को बनाने की कारीगरी को जीवित रखा जा सके.

Intro:उदयपुर में रोशनी के पर्व दीपावली की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो गई है हर कोई दीपोत्सव को पारंपरिक अंदाज में मनाने की तैयारी कर रहा है आइए आपको भी बताते हैं आखिर उदयपुर के बाशिंदे इस बार दीपावली किस तरह मनाएंगेBody:आमजन के जीवन मे रोशनी के पर्व दीपावली को खास और उमंग भरा बनाने के उद्देश्य से उदयपुर के कुम्हार समाज के कुछ परिवार इसमें जी जान से जुटे हुए शहर के कुम्हारों का भट्टा इलाके में स्थित मकानों में कुम्हार समाज के ये लोग मिट्टी के दिये तैयार कर लोगो की दीपावली को रोशन कर रहे है लेकसिटी उदयपुर के कुम्हार समाज के कई परिवारों द्वारा दीपावली पर्व पर परम्परा स्वरूप मिट्टी के दीए बनाने का कार्य बदस्तूर जारी है हालांकि महंगाई और चाइनीज दियो के चलन ने वतन की माटी से तैयार होने वाले इन दियो की चमक को फीकी करने की कोशिश जरूर की है लेकिन इन सब के बीच आज भी शंकर लाल प्रजापत का पूरा परिवार हिन्दू समाज के इस बड़े त्योहार दीपावली के लिए व्यापक मात्रा में मिट्टी के दिये तैयार किये जा रहे है शंकर लाल कुम्हार ने अपने परिवार के साथ पिछले लंबे समय से अपने पुरखों से मिली मिट्टी की कारीगरी की विरासत को सहेज रखा है यही नही इस परंपरा को जीवित रखते हुए शंकर लाल और उसका पूरा परिवार रात दिन मेहनत कर इन दियो को तैयार कर रहा है हालांकि की आज के इस महंगाई के दौर और ज्यादा बारिश के चलते दिए बनाने की मिट्टी का काफी महंगी मिलती है लेकिन इन सब के बावजूद कुम्हार समाज के लोग इन दियो को बनाने में जुटे है उदयपुर में छोटे दियो के साथ बड़े दिए और मिट्टी के लक्ष्मी जी को चाक पर बनाने का काम जारी है
भले ही चाइनीज दियो ने बाज़ारो में पैर पसारने का काम शुरू कर दिया हो लेकिन आज भी ऐसे कई लोग है जो अपनी माटी की खुश्बू से दूर नही रहना चाहते है Conclusion:यही नही लोग इन कलाकारों को आर्थिक रूप से मजबूत करने और इन पारम्परिक दियो की परंपरा को जीवंत रखने के लिए मिट्टी के दियो को खूब खरीदारी कर रहे है ताकि अपने त्योहार पर अपने देश माटी से बने दियो से उनका घर रोशन हो सके मिट्टी के दिये खरीदने वाले लोगो का कहना है कि इस तरह की कलाकारी और परम्परा को जीवंत रखने के लिए आमजन को आगे आने चाहिए ताकि मिट्टी के दिये बनाने की परंपरा को जीवित रखा जा सके साथ ही मिट्टी से बने दियो को बनाने की कारीगरी को जीवित रखा जा सके


बाइट-शंकर लाल कुम्हार,मिट्टी के दिए बनाने वाला
बाइट-शैलजा,खरीददार
बाइट-जया, खरीददार
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