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उदयपुर लोकसभा सीट पर इस समुदाय का वोट होगा डिसाइडिंग फैक्टर

प्रदेश में उदयपुर लोकसभा सीट इस बार दिलचस्प होती दिख रही है. यहां सबसे अधिक मीणा समुदाय का वोट होने के कारण मुकाबला दिलचस्प हो गया है. ऐसे में ये समुदाय जिस प्रत्याशी को वोट करेगा, उसी की नैया पार लगेगी.

उदयपुर में बदलता हुआ चुनावी समीकरण
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Published : Apr 16, 2019, 7:29 PM IST

Updated : Apr 16, 2019, 8:30 PM IST

उदयपुर. उदयपुर लोकसभा सीट पर इस बार भाजपा और कांग्रेस के साथ ही बीटीपी ने भी अपना प्रत्याशी चुनावी रण में उतार दिया है. ऐसे में मूल आदिवासी वोटों में जहां बिखराव होने की उम्मीद है. वहीं इस सीट पर इस बार का सियासी समीकरण भी पूरी तरह बदला हुआ नजर आ रहा है.

उदयपुर लोकसभा सीट पर इस समुदाय ने बदल दिया पूरा राजनीतिक समीकरण

उदयपुर लोकसभा क्षेत्र में जहां 8 विधानसभा क्षेत्र है और लगभग 20 लाख मतदाता हैं. इनमें 55 से 60 प्रतिशत मतदाता एसटी वर्ग (आदिवासी मीणा समुदाय) के हैं. वहीं 10 प्रतिशत ओबीसी, 7 प्रतिशत ब्राह्मण, 6 प्रतिशत राजपूत मतदाता हैं. जबकि 5 प्रतिशत अल्पसंख्यक मतदाता हैं.

ऐसे में इस लोकसभा क्षेत्र में सर्वाधिक मतदाता आदिवासी मीणा समुदाय के हैं. साथ ही उदयपुर लोकसभा की 8 विधानसभा सीटों में भी 5 सीटों पर भी आदिवासी मीणा समुदाय के वोटर सर्वाधिक हैं. वहीं 2 सीटों पर लगभग 45 प्रतिशत. इस लोकसभा सीट पर परिसीमन के बाद से ही मीणा समुदाय के प्रत्याशी ही जीतते आ रहे हैं. अब तक इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस का मुकाबला होता था. लेकिन इस चुनाव में भारतीय ट्राइबल पार्टी ने अपना प्रत्याशी उतार कर इस सीट पर सियासी समीकरण बदल दिया है.

अब तक जिस सीट पर आदिवासी मीणा वोट किसी भी राजनीतिक दल को जीत दिलाने के लिए काफी थे. वहीं इस बार के लोकसभा चुनाव में यह वोट तीन राजनीतिक दलों में विभाजित होते दिखाई दे रहे हैं. इस बार इस सीट पर अन्य 40 प्रतिशत जातियां जीत के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती नजर आएंगी.

बता दें कि तीनों ही राजनीतिक दलों के प्रत्याशी इस बार मूल आदिवासी वोटों के साथ ही अन्य जातियों के लिए भी कई योजनाएं और सुविधाएं मुहैया कराने की बात कर रहे हैं. ऐसे में अब देखना होगा उदयपुर लोकसभा सीट की जनता इस बार के दिलचस्प लोकसभा चुनाव में किस पार्टी को अपना वोट देती है.

उदयपुर लोकसभा सीट के परिसीमन के बाद पिछले तीन बार से यहां पर मीणा समुदाय का ही प्रत्याशी जीत दर्ज कर रहा है. इसी के चलते राजनीतिक दल भी मीणा प्रत्याशियों को ही इस सीट से मौका देते हैं. लेकिन इस बार बीटीपी प्रत्याशी के मैदान में उतरने से इस सीट पर सियासी समीकरण बदल गया है. ऐसे में अब देखना होगा इस सीट पर आम जनता किस पार्टी को अपना वोट देकर जीत दिलाती है.

उदयपुर. उदयपुर लोकसभा सीट पर इस बार भाजपा और कांग्रेस के साथ ही बीटीपी ने भी अपना प्रत्याशी चुनावी रण में उतार दिया है. ऐसे में मूल आदिवासी वोटों में जहां बिखराव होने की उम्मीद है. वहीं इस सीट पर इस बार का सियासी समीकरण भी पूरी तरह बदला हुआ नजर आ रहा है.

उदयपुर लोकसभा सीट पर इस समुदाय ने बदल दिया पूरा राजनीतिक समीकरण

उदयपुर लोकसभा क्षेत्र में जहां 8 विधानसभा क्षेत्र है और लगभग 20 लाख मतदाता हैं. इनमें 55 से 60 प्रतिशत मतदाता एसटी वर्ग (आदिवासी मीणा समुदाय) के हैं. वहीं 10 प्रतिशत ओबीसी, 7 प्रतिशत ब्राह्मण, 6 प्रतिशत राजपूत मतदाता हैं. जबकि 5 प्रतिशत अल्पसंख्यक मतदाता हैं.

ऐसे में इस लोकसभा क्षेत्र में सर्वाधिक मतदाता आदिवासी मीणा समुदाय के हैं. साथ ही उदयपुर लोकसभा की 8 विधानसभा सीटों में भी 5 सीटों पर भी आदिवासी मीणा समुदाय के वोटर सर्वाधिक हैं. वहीं 2 सीटों पर लगभग 45 प्रतिशत. इस लोकसभा सीट पर परिसीमन के बाद से ही मीणा समुदाय के प्रत्याशी ही जीतते आ रहे हैं. अब तक इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस का मुकाबला होता था. लेकिन इस चुनाव में भारतीय ट्राइबल पार्टी ने अपना प्रत्याशी उतार कर इस सीट पर सियासी समीकरण बदल दिया है.

अब तक जिस सीट पर आदिवासी मीणा वोट किसी भी राजनीतिक दल को जीत दिलाने के लिए काफी थे. वहीं इस बार के लोकसभा चुनाव में यह वोट तीन राजनीतिक दलों में विभाजित होते दिखाई दे रहे हैं. इस बार इस सीट पर अन्य 40 प्रतिशत जातियां जीत के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती नजर आएंगी.

बता दें कि तीनों ही राजनीतिक दलों के प्रत्याशी इस बार मूल आदिवासी वोटों के साथ ही अन्य जातियों के लिए भी कई योजनाएं और सुविधाएं मुहैया कराने की बात कर रहे हैं. ऐसे में अब देखना होगा उदयपुर लोकसभा सीट की जनता इस बार के दिलचस्प लोकसभा चुनाव में किस पार्टी को अपना वोट देती है.

उदयपुर लोकसभा सीट के परिसीमन के बाद पिछले तीन बार से यहां पर मीणा समुदाय का ही प्रत्याशी जीत दर्ज कर रहा है. इसी के चलते राजनीतिक दल भी मीणा प्रत्याशियों को ही इस सीट से मौका देते हैं. लेकिन इस बार बीटीपी प्रत्याशी के मैदान में उतरने से इस सीट पर सियासी समीकरण बदल गया है. ऐसे में अब देखना होगा इस सीट पर आम जनता किस पार्टी को अपना वोट देकर जीत दिलाती है.

Intro:उदयपुर लोकसभा सीट पर इस बार भाजपा और कांग्रेस के साथ ही बीटीपी ने भी अपना प्रत्याशी चुनावी रण में उतार दिया है ऐसे में मूल आदिवासी वोटों में जहां बिखराव होने की उम्मीद है तो वहीं इस सीट पर इस बार का सियासी समीकरण भी पूरी तरह बदल गया है पेश है एक रिपोर्ट


Body:उदयपुर लोकसभा सीट जहां पर 8 विधानसभा क्षेत्र है और लगभग 20 लाख मतदाता है जिनमें से 55 से 60% मतदाता एसटी वर्ग ( आदिवासी मीणा समुदाय) के हैं 10% ओबीसी 7% ब्राह्मण 6% और 6% थी राजपूत मतदाता है जबकि 5% अल्पसंख्यक मतदाता है ऐसे में इस लोकसभा क्षेत्र में सर्वाधिक मतदाता आदिवासी मीणा समुदाय के हैं तो साथ ही उदयपुर लोकसभा की 8 विधानसभा सीटों में भी 5 सीटों पर भी आदिवासी मीणा समुदाय के वोटर सर्वाधिक है तो वहीं 2 सीटों पर लगभग 45% ऐसे में उदयपुर लोकसभा सीट पर परिसीमन के बाद से ही मीणा समुदाय के प्रत्याशी ही जीते आ रहे हैं अब तक इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस का मुकाबला होता था लेकिन इस चुनाव में भारतीय ट्राइबल पार्टी ने अपना प्रत्याशी उतार कर इस सीट पर सियासी समीकरण बदल दिए हैं जी हां अब तक जिस सीट पर आदिवासी मीणा वोट किसी भी राजनीतिक दल को जीत दिलाने के लिए काफी थे वही इस बार के लोकसभा चुनाव में यह वोट तीन राजनीतिक दलों में विभाजित होते दिखाई दे रहे हैं ऐसे में इस बार इस सीट पर अन्य 40% जातियां जीत के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती नजर आएंगे बता दें कि तीनों ही राजनीतिक दलों के प्रत्याशी इस बार मूल आदिवासी वोटों के साथ ही अन्य जातियों के लिए भी कई योजनाएं और सुविधाएं मुहैया कराने की बात कर रहे हैं ऐसे में अब देखना होगा उदयपुर लोकसभा सीट की जनता इस बार के दिलचस्प लोकसभा चुनाव में किस पार्टी को अपना वोट देती है


Conclusion:बता दें कि उदयपुर लोकसभा सीट के परिसीमन के बाद पिछले तीन बार से यहां पर मीणा समुदाय का ही प्रत्याशी जीत दर्ज कर रहा है और और इसी के चलते राजनीतिक दल भी मीणा प्रत्याशियों को ही सीट से मौका देते हैं लेकिन इस बार बीटीपी के मैदान में उतरने से इस सीट पर सियासी समीकरण बदल गया है ऐसे में अब देखना होगा इस सीट पर आम जनता किस पार्टी को अपना वोट देकर जीत दिलाती है
Last Updated : Apr 16, 2019, 8:30 PM IST
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