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मेवाड़ की इन सीटों पर दिलचस्प मुकाबला, भाजपा-कांग्रेस की बागियों पर नजर

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 2, 2023, 7:27 AM IST

Rajasthan Election 2023, राजस्थान विधानसभा चुनाव की मतगणना 3 दिसंबर को होगी. इस बार सबकी निगाहें मेवाड़ पर टिकी हुई हैं, क्योंकि मेवाड़ की कई विधानसभा सीटों पर इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है. भाजपा और कांग्रेस अपने ही बागियों से सामना करना पड़ रहा है.

Rajasthan Election 2023
Rajasthan Election 2023

उदयपुर. राजस्थान के मेवाड़ का चुनावी परिणाम क्या होने वाला है इसका पता तो 3 दिसंबर को ही चलेगा, लेकिन उससे पहले भाजपा और कांग्रेस की बागियों पर पैनी नजर है. राजनीति में कब किसकी जरूरत पड़ जाए, कोई नहीं जानता. इतना ही नहीं, मेवाड़-बागड़ में इस बार 2018 के चुनाव में 2 सीटें जीतकर चौंकाने वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) में इस बार 2 फाड़ हो गए हैं. बीटीपी के दोनों विधायकों ने मिलकर भारत आदिवासी पार्टी बना ली है. ऐसे में मेवाड़ में मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है.

मेवाड़ पर भाजपा और कांग्रेस की नजर : राजस्थान में 'सत्ता का द्वार' मेवाड़ कहलाता है. आजादी के बाद से अब तक जिस पार्टी ने मेवाड़ में सर्वाधिक सीट हासिल की, उसने प्रदेश पर राज किया. हालांकि, 2018 में यह मिथक टूटता हुआ नजर आया, जब कांग्रेस के मुकाबले भाजपा ज्यादा सीटें लेकर आई फिर भी उसकी सरकार नहीं बन पाई. इस बार के सियासी रण में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही मेवाड़ को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. संभाग के कई विधानसभा सीटों पर तो कांग्रेस और भाजपा के बीच दिलचस्प मुकाबला नजर आ रहा है. वहीं, कई सीटों पर दोनों ही पार्टियों के बागियों ने खेल बिगाड़ रखा है. उदयपुर जिले की वल्लभनगर, उदयपुर शहर, मावली और सलूंबर विधानसभा सीटों पर रोचक मुकाबला देखा जा रहा है.

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उदयपुर शहर विधानसभा क्षेत्र : पिछले कई दशकों से भाजपा के किले में तब्दील हुई उदयपुर शहर विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प है. उदयपुर से विधायक रहे गुलाबचंद कटारिया के असम के राज्यपाल बनने के बाद भाजपा ने यहां से ताराचंद जैन को मैदान में उतारा है. वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस ने अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ पर दांव खेला है. हालांकि, इस बार के रण में दोनों ही पार्टियों के नेताओं के बीच अंदरखाने गुटबाजी भी नजर आ रही है. एक तरफ जहां गौरव वल्लभ का भविष्य दांव पर है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा को अपना किला बचाने की चुनौती है.

वल्लभनगर विधानसभा सीट : यहां इस बार त्रिकोणीय मुकाबले ने सियासी सरगर्मियां बढ़ा दी है. कांग्रेस-भाजपा के लिए ये सीट इस बार चुनौती बनकर उभरी है. जनता सेना पार्टी ने वल्लभनगर के रण में गरमाहट पैदा कर दी है. एक ओर कांग्रेस ने प्रीति शक्तावत पर दांव लगाया है तो वहीं भाजपा ने आरएलपी छोड़ भाजपा में शामिल हुए उदयलाल डांगी को मैदान में उतारा है. जनता सेना ने दीपेंद्र कुंवर को मैदान में उतारा है. ऐसे में भाजपा-कांग्रेस के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं.

मावली विधानसभा सीट : उदयपुर की मावली विधानसभा सीट पर भी भाजपा और कांग्रेस के लिए सियासी समीकरण बैठाना आसान नजर नहीं आ रहा, क्योंकि यहां इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. जहां एक ओर कांग्रेस ने पुष्कर डांगी को टिकट देकर मैदान में उतारा है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा ने अपने विधायक धर्म नारायण जोशी का टिकट काटते हुए केजी पालीवाल पर दांव लगाया है. वहीं, भाजपा के कुलदीप सिंह ने टिकट नहीं मिलने पर बगावत करते हुए आरएलपी का दामन थामा और दोनों प्रत्याशियों के सामने ताल ठोकी है. ऐसे में इस बार मावली में भी मुकाबला बड़ा रोचक नजर आ रहा है.

नाथद्वारा विधानसभा सीट : यहां इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है. जहां कांग्रेस ने अपने कद्दावर नेता और विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को फिर से मैदान में उतारा है तो वहीं भाजपा ने महाराणा प्रताप के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ पर दांव लगाया है. दोनों के बीच इस बार दिलचस्प मुकाबला नजर आ रहा है. 2008 के विधानसभा चुनाव में इसी विधानसभा सीट से सीपी जोशी एक वोट से चुनाव हार गए थे, जिसके बाद यह सीट सुर्खियों में आई थी. इस बार फिर से इस सीट को लेकर सियासी चर्चाएं देखने को मिल रही हैं.

राजसमंद विधानसभा सीट : यहां से भाजपा ने दिप्ती माहेश्वरी को उतारा है तो कांग्रेस ने नारायण सिंह भाटी को मैदान में उतारा है. भाजपा से टिकट न मिलने से नाराज दिनेश वडाला बगावत करते हुए मैदान में उतरे हैं. हालांकि, इस बार भाजपा को अपने वोटों में सेंध का डर भी सता रहा है. भाजपा को यहां अपनों की ही बगावत से जूझना पड़ रहा है.

सागवाड़ा विधानससभा सीट : इस सीट से कुल 11 प्रत्याशी मैदान में हैं, लेकिन यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा. भाजपा ने पूर्व प्रधान शंकर डेचा को, कांग्रेस ने कैलाश कुमार रोत और बीएपी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहनलाल रोत को मैदान में उतारा है, जिनके बीच में कड़ा मुकाबला दिख रहा है.

चौरासी विधानसभा सीट : यहां 9 प्रत्याशी हैं, लेकिन यहां भी त्रिकोणीय मुकाबला है. भाजपा के सुशील कटारा, मौजूदा विधायक बीएपी से राजकुमार रोत, कांग्रेस प्रत्याशी ताराचंद भगोरा के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है. कांग्रेस से बागी निर्दलीय महेंद्र बरजोड़ कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ेंगे. वहीं, बीटीपी के प्रत्याशी रणछोड़ ताबीयाड बीएपी से प्रत्याशी राजकुमार का खेल बिगाड़ने का काम करेंगे.

आसपुर विधानसभा सीट : इस सीट से 6 कैंडिडेट चुनावी मैदान में हैं. भाजपा से मौजूदा विधायक गोपीचंद मीणा, बीएपी के उमेश डामोर और कांग्रेस के प्रत्याशी राकेश रोत के बीच कड़ी टक्कर है.

चित्तौड़गढ़ विधानसभा सीट : भाजपा ने अपने दो बार के विधायक चंद्रभान सिंह का टिकट काटते हुए पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी को मैदान में उतारा है तो वहीं कांग्रेस ने सुरेंद्र सिंह जाड़ावत को मैदान में उतारा है. चंद्रभान का टिकट कटने पर उन्होंने भाजपा से बगावत करते हुए चुनावी मैदान में ताल ठोकी है. ऐसे में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के गढ़ में ही भाजपा को चुनौती मिल रही है.

निंबाहेड़ा विधानसभा सीट : यहां पूर्व और वर्तमान मंत्री आमने-सामने हैं. कांग्रेस सरकार ने मंत्री उदयलाल आंजना तो बीजेपी ने श्रीचंद कृपलानी को चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं, बड़ी सादड़ी में बीजेपी के गौतम दक और कांग्रेस के बद्रीलाल जाट मैदान में हैं. बेगूं में बीजेपी के सुरेश धाकड़ और कांग्रेस के राजेंद्र बिधुरी मैदान में हैं. वहीं, कपासन से बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टी से नेताओं ने बगावत कर दी है. यहां से चार प्रत्याशी मैदान में हैं.

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