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शिल्पग्राम महोत्सव में उमड़ी कलाकारों की फौज, कला प्रदर्शन से जीता दिल

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Published : Dec 28, 2022, 6:14 PM IST

उदयपुर का शिल्पग्राम महोत्सव इन (Shilpgram Festival in Udaipur) दिनों पर्यटकों के साथ ही कलाकारों व शिल्पकारों को खासा अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. जिसका नतीजा यह है कि अब तक यहां 40 हजार से अधिक लोग आ चुके हैं. जिससे यहां के व्यापारियों को लाखों रुपए की कमाई भी हुई है...

Shilpgram Festival in Udaipur
शिल्पग्राम महोत्सव में प्रस्तुति देते कलाकार.

उदयपुर. झीलों की नगरी उदयपुर में शिल्पग्राम महोत्सव (Shilpgram Festival in Udaipur) अपने पूरे शबाब पर है. जिसमें शामिल होने के लिए केवल देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं. वहीं, अभी छुट्टियों का माहौल है. ऐसे में लोग अपनी छुट्टियों को सेलिब्रेट व खास बनाने के लिए अलग-अलग टूरिस्ट प्लेस पर जा रहे हैं तो फिलहाल तक (Shilpgram Festival 2022) शिल्पग्राम मेले में 40 हजार लोग अब तक आ चुके हैं. जिसमें स्थानीय भी शामिल रहे. इससे उदयपुर में व्यापारियों को लाखों रुपए की कमाई भी हुई है. दस दिवसीय इस महोत्सव में देशभर के विभिन्न राज्यों से आए कलाकार और शिल्पकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं. साथ ही देशी-विदेशी पर्यटक भी इस महोत्सव का जमकर लुत्फ उठा रहे हैं. पिछले साल कोरोना की पाबंदियों के कारण यहां लिमिटेड लोगों को ही प्रवेश दिया गया था.

1600 कलाकार हुए शामिल: वेस्ट जॉन कल्चर सेंटर की निदेशक किरण सोनी ने बताया कि यह 34 वां शिल्पग्राम उत्सव है. इस बार रिकॉर्ड तोड़ भागीदारी कलाकारों की हुई है. जिसमें 1600 कलाकार और शिल्पकारों ने भाग लिया है. उत्सव में क्राफ्ट, हैंडलूम वर्क्स लोगों को अपनी ओर खासा आकर्षित (artists gathered at Udaipur Shilpgram Festival) कर रहे हैं. इसके अलावा उत्सव में देश भर से आए कलाकार रोजाना अपने प्रदेश की संस्कृति को मुक्ताकांशी मंच पर बिखेर रहे हैं. सोनी ने बताया कि कला के साथ-साथ शिल्पग्राम में बहुरुपिया कला भी लोगों को खासी पसंद आ रही है. वहीं, यहां आने वाले लोग जमकर खरीदारी भी कर रहे हैं.

Shilpgram Festival in Udaipur
शिल्पग्राम महोत्सव में प्रस्तुति देते कलाकार

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उन्होंने आगे कहा कि यहां भाग लेने के लिए आए सभी कलाकारों और शिल्पकारों के पास लोक कलाओं का अनमोल खजाना है. यही नहीं शिल्पग्राम उत्सव में इस बार (Crowd of artists gathered in Udaipur) आदिवासियों के महाकुंभ बेणेश्वर धाम के संत मावजी महाराज के चोपड़ों में समाहित चित्रों का भी छायांकन कर प्रलेखन किया गया है. इस उत्सव में आए अलग-अलग राज्यों के पर्यटकों का कहना है कि जितना इस महोत्सव के बारे में सुना था, उससे भी कई गुना ज्यादा उन्हें ये पसंद आया है.

अलग-अलग राज्यों की लगी स्टॉल: इस बार सर्दी को देखते हुए ऊनी वस्त्र ज्यादातर देखने को मिल रहे हैं. इसमें हिमाचल, जम्मू कश्मीर, लद्दाख और अलग-अलग (art performance won hearts) राज्यों से आए व्यापारियों ने दुकानें लगाई हैं. खास करके इस बार मफलर, स्वेटर की अलग-अलग क्वालिटी देखने को मिल रही है.

अलग-अलग राज्यों की दिख रही झलक: मेले में विभिन्न किस्म के बाजार लगाए गए हैं. इनमें धातु शिल्प, चर्म शिल्प, काष्ठ शिल्प, वस्त्र संसार, अलंकार आदि प्रमुख हैं. उत्सव में असम का ढाल थुंगड़ी, छत्तीसगढ़ का कर्मा नृत्य, गोवा का समई नृत्य, पश्चिम बंगाल का खोल वादन, पंजाग का भांगड़ा, गुजरात का डांग, महाराष्ट्र का लावणी व कोली, सिलवास का मास्क नृत्य, भवाड़ा कश्मीर का रौफ की प्रस्तुति देखने को मिलेगी.

साथ ही राजस्थान का घूमर, पश्चिम बंगाल का छऊ, ओडिशा का गोटीपुवा, गुजरात का गरबा व राजस्थान के गैर नृत्य की प्रस्तुतियां पहले दो दिन तक देखने को मिलेगी. वहीं, उत्सव के लिए रंगमंच को जैसलमेर की पटवों की हवेली के आवक्ष के रूप में सुसज्ज्ति किया गया है.

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