रायसिंहनगर (श्रीगंगानगर). कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों का हौसला कम नहीं हो रहा है. किसान मोर्चे पर डटे हुए हैं. केन्द्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 26 नवम्बर 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर किसान डटे हैं.
रायसिंहनगर के स्थानीय पत्रकारों के दल ने शाहजहांपुर और टिकरी बॉर्डर का दौरा कर आंदोलन में सम्मिलित किसान संगठनों के पदाधिकारियों से मुलाकात की. यहां मौजूद किसानों ने उम्मीद जताई कि केन्द्र सरकार उनकी बात जरूर सुनेगी और किसान हित में अपना फैसला पलट देगी.
पत्रकार दल ने रायसिंहनगर से यहां पहुंचे माकपा नेता कालू थोरी से मुलाकात की. पत्रकारों ने अस्थाई टैंट में माकपा के पूर्व विधायक कामरेड अमराराम से भी मुलाकात की. पूर्व विधायक अमराराम ने कहा कि केन्द्र सरकार कारर्पोरेट हित में फैसले ले रही है. जबकि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद का भरोसा देने में असफल रही है. सरकार केवल न्यूनतम मूल्य की बात करती है, लेकिन खरीद गिनी-चुनी फसलों की मात्र 8-10 प्रतिशत ही कर पाती है. किसान संगठनों की मांग है कि तीनों कृषि कानून वापस लिये जाएं.
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शहीद हुए किसानों के गांव से लाई जा रही है मिट्टी
माकपा के कालू थोरी पत्रकार दल को आंदोलन के दौरान विभिन्न कारणों से मारे गए करीब 400 किसानों के गांव से लाई गई मिट्टी से बने स्मारक स्थल पर लेकर गये.
आपदाओं में भी डटे किसान
लगभग 8 महीने से बॉर्डर पर डटे किसानों को प्राकृतिक समस्याओं से भी सामना करना पड़ रहा है. एक तरफ तेज गर्मी से किसान तंबू लगाकर राहत ले रहे हैं तो वही आंधी तूफान के चलते किसानों को काफी परेशानी का सामना भी करना पड़ता है. तेज हवाओं के साथ उनके तंबू उड़कर बिखर जाते हैं. बारिश में भी किसान यहां डटे रहते हैं.