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निकाय चुनाव परिणामः क्या कहता है सीकर का सट्टा बाजार, किसका बनेगा बोर्ड, कौन होगा किंगमेकर?

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Published : Jan 30, 2021, 2:19 PM IST

सीकर की सातों नगर पालिकाओं के चुनाव संपन्न हो चुके हैं. ऐसे में अब सभी की निगाहें 31 जनवरी को आने वाले परिणामों पर टिकी हुई हैं. इस बीच सीकर का सट्टा बाजार भी चुनाव परिणामों पर अपनी भविष्यवाणी करने लगा है. आइए जानते हैं सीकर की एक-एक नगर पालिका पर क्या है सट्टा बाजार का आंकलन...

Sikar's betting market, सीकर का सट्टा बाजार
क्या कहता है सीकर का सट्टा बाजार

सीकर. जिले की सात नगर पालिकाओं में चुनाव संपन्न हो चुके हैं. अब 31 जनवरी को आने वाले परिणामों पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. इस बीच सट्टा बाजार भी सक्रिय हो गया है और हार जीत को लेकर सट्टे चल रहे हैं. सीकर के सट्टा बाजार के आकलन को हमेशा काफी हद तक सही भी माना जाता है और चुनाव में यहां का सट्टा चर्चित रहता है. नगर पालिकाओं के चुनाव को लेकर भी सट्टा बाजार ने अपने पत्ते खोल दिए हैं. जिले की सात नगर पालिकाओं में कांग्रेस को सबसे बड़ी पार्टी बताया जा रहा है. वहीं, ज्यादातर जगह निर्दलीय पार्षद किंग मेकर बनेंगे. इन निकायों में कुछ जगह निर्दलीयों के सहारे जोड़-तोड़ कर भाजपा भी पालिका अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा जमा सकती है.

क्या कहता है सीकर का सट्टा बाजार?

जिले की बात करें तो रामगढ़, फतेहपुर, श्रीमाधोपुर, खंडेला, रींगस, लक्ष्मणगढ़ और लोसल में चुनाव हुए हैं. सट्टा बाजार के आंकलन की बात करें तो कांग्रेस सातों निकायों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है. हालांकि, कहीं भी पूरा बहुमत कांग्रेस के पक्ष में जाता नहीं दिख रहा है. ऐसे में निर्दलीयों की भूमिका अहम रहेगी और बड़ी संख्या में निर्दलीय चुनाव जीतकर आएंगे. चुनाव के असली नतीजे क्या होंगे यह तो रविवार को मतगणना के बाद ही स्पष्ट होगा, लेकिन सट्टा बाजार के आकलन पर सभी की चर्चाएं जारी हैं.

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जिले की सात नगर पालिकाओं में सट्टा बाजार का आंकलन

  • रामगढ़ शेखावाटी

यहां की नगर पालिका अध्यक्ष की कुर्सी पर लंबे समय से कांग्रेस का कब्जा है और एक बार फिर यह सीट कांग्रेस के खाते में जा सकती है. सट्टा बाजार का आकलन है कि यहां की 35 वार्डों में से कांग्रेस 20 वार्ड में जीत दर्ज कर सकती है. वहीं, भाजपा 11 वार्डों में सिमट सकती है और चार जगह निर्दलीय चुनाव जीत सकते हैं.

  • फतेहपुर

पिछले दो चुनाव से यहां नगर पालिका अध्यक्ष की कुर्सी पर भाजपा का कब्जा है, लेकिन इस बार के चुनाव में यहां भी कांग्रेस को सबसे बड़ी पार्टी बताया जा रहा है और निर्दलीयों के सहयोग से पार्टी पालिका अध्यक्ष बना सकती है. यहां के 55 वार्डों में से सट्टा बाजार का आकलन है कि 24 से 26 वार्डों में कांग्रेस जीत सकती है और 12 से 15 वार्डो में भाजपा जीत सकती है. इसके अलावा निर्दलीयों के खाते में काफी सीटें जाएंगी और वही किंगमेकर बनेंगे.

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  • लक्ष्मणगढ़

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की नगरपालिका होने की वजह से यह हॉट सीट है. पिछली बार यह सीट कांग्रेस के खाते में गई थी और इस बार भी कांग्रेस यहां सबसे बड़ी पार्टी बन सकती है, लेकिन पालिका अध्यक्ष बनाने के लिए जोड़-तोड़ करनी पड़ेगी. यहां 40 वार्ड हैं जिनमें से कांग्रेस 16 वार्डों में जीत सकती है और 12 वार्ड भाजपा के खाते में जा सकते हैं. इसके साथ साथ 12 वार्डों में निर्दलीय चुनाव जीत सकते. सट्टा बाजार का आकलन है कि जोड़-तोड़ के बाद कांग्रेसी यहां पालिका अध्यक्ष बना सकते हैं.

  • लोसल

सट्टा बाजार का आकलन है कि नगर पालिका में कांग्रेस और भाजपा के बीच करीबी मुकाबला रह सकता है और निर्दलीयों के सहयोग से भाजपा यहां बोर्ड बनाने में सफल हो सकती है. यहां के 35 वार्डों में भाजपा और कांग्रेस बराबरी पर रह सकती हैं और दोनों को 10 से 13 तक सीटें मिल सकती हैं. इस वजह से दोनों ही पार्टी के लिए निर्दलीयों का सहयोग जरूरी होगा.

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  • श्रीमाधोपुर

यहां भी नगर पालिका में 35 वार्ड हैं, जिनमें से 2 वार्डों में कांग्रेस के प्रत्याशी पहले से ही निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं. सट्टा बाजार का आकलन है कि कांग्रेस को यहां 16 सीटें मिल सकती हैं और भाजपा 11 सीटें हासिल कर सकती है. वहीं, अन्य सीटों पर निर्दलीय चुनाव जीत सकते हैं, जो पालिका अध्यक्ष बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे.

  • खंडेला और रींगस

इन दोनों नगर पालिकाओं में निर्दलीय दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशियों से ज्यादा जीत कर आ सकते हैं. हालांकि, सट्टा बाजार भाजपा के मुकाबले कांग्रेस को बढ़त बता रहा है, लेकिन निर्दलीय उससे ज्यादा जीत सकते हैं. खंडेला की बात करें तो यहां पर 25 वार्ड हैं, जिनमें से 8 से 10 वार्ड कांग्रेस के खाते में जा सकते हैं और भाजपा 5 से 6 वार्डों में सिमट सकती है, जबकि 10 वार्डों में निर्दलीय जीत सकते हैं. रींगस में भी 35 वार्डों में भाजपा और कांग्रेस दोनों से ज्यादा निर्दलीय चुनाव जीत सकते हैं. सट्टा बाजार का आकलन है कि यहां 17 से 20 सीट निर्दलीयों के खाते में जा सकती है.

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