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नागौर लोकसभा सीट से मिर्धा-बेनीवाल का राजनीतिक भविष्य तय करेंगे युवा वोटर्स

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Published : Apr 14, 2019, 5:49 PM IST

देशभर में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले नागौर लोकसभा सीट पर इस बार कांग्रेस की ज्योति मिर्धा से राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल का कड़ा मुकाबला होने जा रहा है. भाजपा ने चुनावी रणनीति के तहत हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से गठबंधन कर बेनीवाल को NDA उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतारा है.

नागौर लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा युवा वोटर.

नागौर. देशभर में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले नागौर लोकसभा सीट पर इस बार कांग्रेस की ज्योति मिर्धा से राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल का कड़ा मुकाबला होने जा रहा है. भाजपा ने चुनावी रणनीति के तहत हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से गठबंधन कर बेनीवाल को NDA उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतारा है.

वहीं, इस बार नागौर जिले के चुनाव में युवा मतदाता और पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं पर खास नजर रहेगी. भाजपा आलाकमान ने भाजपा के स्थानीय नेताओं की नागौर जिले में चल रही गुटबाजी को समाप्त करने के लिए राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के साथ गठबंधन करके नागौर की सीट निकालने के लिए इस बार तुरुप का पत्ता फेंका है. अब देखना यह है कि भारतीय जनता पार्टी का यह दांव कांग्रेस की ज्योति मिर्धा के सामने किस हद तक सफल होता है.

नागौर लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा युवा वोटर.
इस बार नागौर जिले के चुनाव में युवा मतदाता और पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं पर विशेष निगाहें रहेगी. क्योंकि इस लोकसभा चुनाव में 18 साल से 40 साल तक की उम्र के वोटरों का आंकडा 40 प्रतिशत है. उधर, काग्रेस की ज्योति मिर्धा का भी नागौर के युवाओं में काफी क्रेज देखने को मिल रहा है तो वहीं नागौर ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेशभर में हनुमान बेनीवाल के पीछे युवा लोगों की एक भारी फौज खड़ी है.

इधर, हनुमान बेनीवाल युवाओं के सहारे संसद तक पहुंचने की बात कह कर अपनी जीत का दावा कर रहे हैं तो वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति मिर्धा भी कहती नजर आ रही हैं कि युवा जिले में विकास चाहते हैं और जिले में साफ-सुथरी राजनीतिक देखना पसंद करते हैं. इस बार 2014 में बेरोजगारों को रोजगार के मुद्दे पर मोदी सरकार को चूना था लेकिन रोजगार नहीं मिला इस बार कांग्रेस को वोट करेंगे. बता दें, जाट बाहुल्य नागौर सीट हमेशा चौकानेवाले परिणाम देती है. 1977 में चुनाव के दौरान जब कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था उस वक्त कांग्रेस के नाथूराम मिर्धा ने कांग्रेस को नागौर सीट पर जीत दिलाई थी.

वहीं, नागौर लोकसभा सीट की वर्तमान स्थिति कि बात करें तो इस लोकसभा सीट में कुल 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इस सीट पर19 लाख 13 हजार 46 कुल मतदाता हैं. कांग्रेस के 5 विधायक तो भारतीय जनता पार्टी के दो और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के एक विधायक है. अगर पिछली लोकसभा सीट की परिस्थिति की बात करें भारतीय जनता पार्टी के सी आर चौधरी को 4 लाख 14 हजार 791 जबकि, कांग्रेस की ज्योति मिर्धा को 3 लाख 39 हजार 573 और निर्दलीय हनुमान बेनीवाल को 1लाख 59 हजार 980 वोट मिले थे.

Intro:Slug..Youa Voter Par Nazar..युवा मतदाता करेंगे प्रत्याशियों का भविष्य तय..

देश भर में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले नागौर लोकसभा सीट पर इस बार कांग्रेस की ज्योति मिर्धा से राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल से कड़ा मुकाबला होने जा रहा है. भाजपा ने चुनावी रणनीति के तहत हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से गठबंधन करके भारतीय जनता पार्टी ने नागौर सीट से अपना प्रत्याशी नहीं उतारा और हनुमान बेनीवाल को नागौर से NDA के उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतारा है... इस बार नागौर जिले के चुनाव में युवा मतदाता और पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं पर खास नजर रहेगी दोनों ही पार्टियों की...


Body:भाजपा आलाकमान ने भाजपा के स्थानीय नेताओं की नागौर जिले में चल रही गुटबाजी को समाप्त करने के लिए राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के साथ गठबंधन करके नागौर की सीट निकालने के लिए इस बार तुरुप का पत्ता फेंका है... अब देखना यह है कि भारतीय जनता पार्टी का यह दांव कांग्रेश की ज्योति मिर्धा के सामने किस हद तक सफल होता है ..इस बार नागौर जिले के चुनाव में युवा मतदाता और पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं पर विशेष निगाहें रहेगी नजर इसलिए आज से भी है क्योंकि इस लोकसभा चुनाव में 18 साल से 40 साल तक की उम्र के वोटर इस बार आंकडा 40 प्रतिशत.है और युवा मतदाता लोकसभा प्रत्याशी का इस बार भविष्य तय करेंगे और कांग्रेसी और एनडीए दोनों के प्रत्याशी भी युवा हैं ..काग्रेस की ज्योति मिर्धा का भी नागौर के युवाओं में काफी क्रेज देखने को मिल रहा है तो वहीं नागौर नहीं बल्कि पूरे प्रदेश भर में हनुमान बेनीवाल के पीछे युवा लोगों की एक बारी फौज खड़ी है एक और हनुमान बेनीवाल युवाओं के साहरे एक बार संसद तक पहुंचने की बात कह कर अपनी जीत का दावा कर रहे हैं.. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति मिर्धा भी कहती नजर आ रही है कि युवा जिले में विकास चाहते हैं और जिले में साफ-सुथरी राजनीतिक देखना पसंद करते हैं.. इस बार 2014 मे बेरोजगारो को रोजगार के मुद्दे पर मोदी सरकार को चूना था लेकिन रोजगार नही मिला इस बार कांग्रेस को वोट करेंगे... जाट बाहुल्य नागौर सीट हमेशा चौकानेवाले परिणाम देती है.. 1977 में चुनाव के दौरान जब कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था उस वक्त कांग्रेस के नाथूराम मिर्धा ने कांग्रेस को नागौर सीट पर जीत दिलाई थी.. मेवाड़ के नाथूराम मिर्धा.. रामनिवास मिर्धा परसराम मदेरणा के साथ.. रामरधूनाथ चौधरी नेता भे जो जाट राजनीति धूरी थे लेकिन बदलते समय मे छात्र नेता से राजनेता बने हनुमान बेनिवाल मेवाड के उबरते हुए जाट नेता के तौर सामने आए इस बार नागौर के मतदाताओं को अपना राजनीतिक भविष्य तय करना है.. नागौर का मतदाता यह भी तय करेगा कि वह हनुमान बेनीवाल के संघर्ष के रास्ते को सुनना चाहते हैं या फिर ज्योति मिर्धा के विकास की राजनीति को उनको यह भी तय करना है .. उन्हें 36 कोम की राजनीति करनी है या फिर से सबको साथ लेकर आना है इस बार का चुनाव नागौर जिले का बहुत ही महत्वपूर्ण है.. फैसला 6 मई को होगा ..यह फैसला नागौर के मतदाताओं को ही तय करना है..
नागौर लोकसभा सीट की वर्तमान स्थिति कि हम बात करें तो कुल 8 विधानसभा क्षेत्र आते है तो 19 लाख 13 हजार 046 कुल मतदाता है कांग्रेस के 5 विधायक तो भारतीय जनता पार्टी के दो और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के एक विधायक है
अगर पिछली लोकसभा सीट के परिस्थिति की अगर बात करें 2014 की तो भारतीय जनता पार्टी के सी आर चौधरी को 4 लाख 14 ह्जार 791 कांग्रेस की ज्योति मिर्धा को 3 लाख 39 हजार 573 निर्दलीय हनुमान बेनीवाल को 1लाख 59 हजार 980 वोट मिले थे वहीं पर भारतीय जनता पार्टी के सी आर चौधरी ने 75 हजार 218 वोटों से जीत दर्ज की थी
ज्योति मिर्धा की छवि उनके दादा नाथूराम मिर्धा की तरह जाट नेताओं की है परंतु राजपूतों में उनके खिलाफ कोई भावना नहीं थी अब दलित मुस्लिम ओबीसी तक पहुंच ज्योति मिर्धा की सीधी है एक महिला की घरेलू जिम्मेदारियों के कारण उनका क्षेत्र से दूरी बना कर रखना काफी लोगों को रास नहीं आ रहा है इसी तरह स्थिति समझ से परे है वही . नागौर का मतदाता यह भी तय करेगा कि वह हनुमान बेनीवाल के सधर्ष के रास्ते को चुनना चाहते या फिर ज्योति मिर्धा की विकास की रास्ते को यह भी तय होगा हालांकि जाट मारवाड़ की सबसे बड़ी कौम है इन चुनावो मे मतदाता ये भी तय करना है कि दलित मुस्लिम अन्य समाज किसके साथ जाएगा किस करवट बैठेगा यह भी तय होगा पहली नजर में सभी सवालों का जवाब मतदान के बाद ही होगा और दोनों में से एक योद्धा इस बार गिरेगा पूरे देश की निगाहें नागौर की हॉट सीट पर आएगी..


Conclusion:6 मई अभी दूर है नागौर से उम्मीद है यही है कि जाट हो या राजपूत हो या फिर मुसलमान या दलित ओबीसी उनके भविष्य का फैसला सोच समझकर करेंगे अब देखना यह है कि युवा मतदाता किस का भविष्य तय करते हैं और किसके चेहरे पर नागौर के सांसद का ताज होता है
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