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राजस्थान की एक ऐसी सीट जहां 56 सालों से विधायक नहीं हुआ रिपीट, इस बार त्रिकोणीय संघर्ष

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 19, 2023, 6:59 AM IST

राजस्थान विधानसभा चुनाव में डीडवाना विधानसभा का पिछले 56 साल से अजब इतिहास रहा है. यहां कभी भी कोई विधायक रिपीट नहीं हुआ. इस सीट पर इस बार त्रिकोणीय संघर्ष देखा जा रहा है. क्या है यहां का इतिहास, क्या है इस सीट के समीकरण, क्या कहते हैं यहां के प्रत्याशी जानिए हमारी इस रिपोर्ट में...

Strange history of Didwana assembly seat
डीडवाना सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष

कुचामन सिटी. नागौर जिले से अलग होकर बने डीडवाना-कुचामन जिले के डीडवाना विधानसभा क्षेत्र में पिछले 56 सालों में कोई भी विधायक रिपीट नहीं हुआ. पूर्व मंत्री यूनुस खान का भाजपा से बगावत कर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में आ जाने के बाद क्षेत्र का सियासी समीकरण बदल गया है. कांग्रेस प्रत्याशी चेतन डूडी यहां से मौजूदा विधायक हैं, लेकिन ऐसे में सवाल यह है कि क्या डूडी पिछले 56 सालों से चला आ रहा ये सिलसिला तोड़ पाएंगे?

राजस्थान के पांचवें सबसे बड़े जिले यानी नागौर से अलग होकर सूबे के भूगोल पर नए जिले के रूप में उभरने वाले डीडवाना की विधानसभा सीट इस बार हॉट सीट मानी जा रही है. इस सीट पर परिणाम क्या होगा, इस पर सब की निगाहें टिक गई हैं. यहां का रोचक तथ्य यह है कि यहां साल 1967 के चुनाव के बाद कोई भी प्रत्याशी लगातार दूसरी बार चुनाव नहीं जीत पाया है. इस बार कांग्रेस ने एक बार फिर चेतन डूडी पर भरोसा जाता है तो भाजपा ने भी पूर्व में प्रत्याशी रहे जितेंद्र सिंह जोधा को अपना उम्मीदवार बनाया है. टिकट नहीं मिलने पर पूर्व मंत्री यूनुस खान ने भाजपा से बगावत कर निर्दलीय के रूप में ताल ठोक दी है. ऐसे में त्रिकोणीय मुकाबले में वर्तमान विधायक चेतन डूडी के लिए विधायकी को रिपीट करना सबसे बड़ी चुनौती है. उनके दोनों प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार चेतन डूडी के वर्तमान कार्यकाल को असफल बता रहे हैं.

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पहला मुद्दा डीडवाना का सम्मान : निर्दलीय प्रत्याशी यूनुस खान का कहना है कि इस चुनाव में सबसे पहला मुद्दा डीडवाना का सम्मान और स्वाभिमान है, क्योंकि जिस तरह से जनता के मन में पिछले 5 वर्ष का जो आक्रोश और भय है, उसको मिटाने की जिम्मेदारी मेरी है. मैं यहां पर 10 साल तक प्रतिनिधि रहा हूं, इसलिए सबसे पहला मुद्दा यह है कि जनता के मन से भय निकाला जाए. भ्रष्टाचार खत्म किया जाए और आमजन को प्यार मिले. उन्होंने कहा कि विकास की परिभाषा पहले भी हमने गढ़ी है. विकास की कोई लिमिट नहीं होती है. अब हम नए विकास की परिभाषा गढ़ेगे.

भाजपा प्रत्याशी जितेंद्र सिंह जोधा का कहना है कि डीडवाना विधायक की ओर से क्षेत्र में कोई विकास नहीं है. इनकी कोई उपलब्धियां नहीं है. डीडवाना की जनता ने उनका साथ छोड़ दिया है. कोई भी उनके कार्यालय में जाना पसंद नहीं करता है, इसलिए कांग्रेस के प्रतिनिधि का यहां से जाना तय है. भारतीय जनता पार्टी भारी बहुमत से जीत रही है.

कांग्रेस प्रत्याशी रिपीट नहीं होंगे. वो तो तीसरे या चौथे स्थान पर जाएंगे, क्योंकि कांग्रेस को वोट देना लोगों की मानसिकता ही नहीं है. कांग्रेस तो किसानों व युवाओं से झूठे वादे करके सत्ता में आई है. 5 साल में जिस तरह से राजस्थान की जनता परेशान हुई है, भ्रष्टाचार फैला है उससे साफ है कि डीडवाना ही नहीं बल्कि राजस्थान से भी कांग्रेस का जाना तय है. प्रदेश की जनता त्राहिमाम कर रही है. - जितेंद्र सिंह जोधा

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ये है सीट का इतिहास : इस सीट पर अब तक हुए 15 विधानसभा चुनावों में अलग-अलग जनप्रतिनिधि चुनकर विधानसभा पहुंचे, जिनमें मथुरादास माथुर, उम्मेद सिंह राठौड़ और यूनुस खान अलग-अलग सरकार में मंत्री भी रहें. सबसे पहले मथुरादास माथुर मंत्री बने. वे डीडवाना के पहले विधायक भी थे. इसके बाद मोतीलाल चौधरी, भोमाराम, उम्मेद सिंह राठौड़, चेनाराम, भंवराराम, रुपाराम डूडी, चेतन डूडी, यूनुस खान भी यहां से विधायक के रूप में विधानसभा पहुंच चुके हैं. यहां 1962 में मोतीलाल के बाद कोई भी विधायक अपनी विधायकी को लगातार रिपीट नहीं कर पाया है.

इस बार रिवाज बदलेगी : भले ही भाजपा के प्रत्याशी जितेंद्र सिंह और निर्दलीय उम्मीदवार यूनुस खान के लगातार प्रहार के बाद कांग्रेस प्रत्याशी डूडी का भी बयान सामने आया है, जिसमें वो उनके ऊपर भाजपा और निर्दलीय प्रत्याशी की ओर से लगाए गए आरोपों को खारिज कर रहे हैं. साथ ही वो डीडवाना के साथ प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जनता इतिहास बदलेगी और इस बार रिवाज बदलेगा. डीडवाना में ही नहीं बल्कि इस बार फिर से हम सरकार बनाएंगे. देखने वाली बात यह होगी कि नया जिला बनाने के श्रेय के साथ 5 साल में कराए गए विकास कार्यों के दम पर चेतन डूडी डीडवाना विधानसभा क्षेत्र में पिछले 56 साल की इस रिवाज को बदल पाएंगे या फिर ये परंपरा एक बार फिर डीडवाना में कायम रहेगी.

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