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गणेश डूंगरी मंदिर दे रहा महिला सशक्तिकरण का संदेश, 132 साल से महिलाएं हैं प्रधान पुजारी

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 19, 2023, 8:39 PM IST

Updated : Sep 19, 2023, 11:24 PM IST

कुचामनसिटी के डूंगरी गणेश जी मंदिर में 132 साल से प्रधान पुजारी महिला बनती आई हैं. इस तरह से यह मंदिर महिला स​​शक्तिकरण का संदेश दशकों से दे रहा है.

Dungri Ke Ganesh Ji temple in Kuchaman City
132 साल से महिलाएं हैं प्रधान पुजारी

132 साल से प्रधान पुजारी महिला

कुचामनसिटी. डूंगरी के गणेश जी महिला सशक्तिकरण का बड़ा संदेश दे रहे हैं. यह संभवत प्रदेश का पहला ऐसा मंदिर है जहां प्रधान पुजारी एक महिला है. मंदिर में यह परंपरा पिछले करीब 132 साल से चली आ रही है. पूरे शहर के लिए ये प्रथम आराध्य हैं. नया वाहन खरीदा गया हो या व्यापार में वृद्धि की कामना हो, श्रद्धालु यहां धोक लगाने आते हैं. 330 साल पुराने इस मंदिर में भगवान गजानन रिद्धि-सिद्धि के साथ सिद्धि विनायक स्वरूप में विराजमान हैं.

गणेश चतुर्थी के मौके पर मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. गणेश मंदिर में करीब 50 हजार से भी ज्यादा लोगों ने दर्शन किए. आज के दौर में हम जहां महिला सशक्तिकरण के प्रयास कर रहे हैं, वहीं इस मंदिर ने 132 साल पहले 1891 में ही पूजा के लिए महिला पुजारी की व्यवस्था शुरू कर महिला सशक्तिकरण का संदेश दे दिया था. इस मंदिर की प्रधान पुजारी का कार्य महिलाएं करती हैं. यह पंरपरा साल 1891 से चली आ रही है.

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बताया जाता है कि मंदिर में 330 साल से सिंडोलिया परिवार पूजा-अर्चना का कार्य कर रहा है. 1891 में पुजारी परिवार के मुखिया का आकस्मिक निधन होने पर उनकी पत्नी डालीदेवी शर्मा ने तत्कालीन राजा से मंदिर में पूजा करने की अनुमति मांगी ताकि परिवार चलाया जा सके. जिस पर उन्होंने पूजा की अनुमति दे दी. महिला द्वारा मंदिर में पूजा का काम संभालना उस दौर में बड़ी बात थी, जब हमारा समाज पर्दा प्रथा जैसी रूढ़ियों में जकड़ा हुआ था. इसके बाद परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी महिलाओं ने ही प्रधान पुजारी की जिम्मेदारी संभाली.

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वर्तमान में अगली पीढ़ी के तौर पर पुजारी नथमल सिंडो की पत्नी रमादेवी बबीता शर्मा और उनके भतीजे पंकज शर्मा की पत्नी नेहा शर्मा पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी निभा रही हैं. वे बताती हैं कि हमारी पीढ़ियों से यह परंपरा चली आ रही है. कुचामन के गणेश डूंगरी स्थित गणेश मंदिर का महत्व आज का नहीं बल्कि रजवाड़ों के दौर का है.

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पुजारी पंकज सिंडोलिया ने बताया कि राजाओं-महाराजाओं के दौर में जब भी राज परिवार कोई नया काम शुरू करता था. कोई त्योहार का मौका होता था या फिर युद्ध में जाना होता था, तो सबसे पहले गणेश डूंगरी स्थित भगवान गणेश के दर्शन किए जाते थे. युद्ध में जीतकर लौटने पर भी सबसे पहले गणेश जी के दर्शन किए जाते थे. सिंडोलिया ने बताया कि राजाओं-महाराजाओं के दौर में जब भी राज परिवार कोई नया काम शुरू करता था. कोई त्योहार का मौका होता था या फिर युद्ध में जाना होता था, तो सबसे पहले गणेश डूंगरी स्थित भगवान गणेश के दर्शन किए जाते थे.

Last Updated : Sep 19, 2023, 11:24 PM IST
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