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कोटा में होगा प्लास्टिक और गत्ते के सिक्कों का दीदार

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Published : Dec 16, 2022, 6:24 PM IST

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद धातुओं की कमी हो गई (Metal shortage after world war II) थी. जिसके चलते रियासत और कई स्टेटों के पास सैलरी देने के लिए भी मुद्रा नहीं थी. चांदी की मुद्रा दे नहीं सकते थे, क्योंकि वो काफी महंगी थी. ऐसे में कई रियासतों ने गत्ते की मुद्रा बनवाई, जिसे इमरजेंसी करेंसी का नाम दिया गया...

Plastic and cardboard coins
Plastic and cardboard coins

प्लास्टिक और गत्ते के सिक्कों का दीदार

कोटा. शहर में एक अनोखी दो दिवसीय प्रदर्शनी लगने जा रही है. जिसमें 2600 साल पुरानी मुद्रा लोग देख सकेंगे. इसके साथ ही इसमें प्लास्टिक और गत्ते के सिक्कों का भी दीदार होगा. कोटा फ्लेटली एंड न्यूम्समेटिक सोसायटी की ओर से आयोजित होने जा रही 'मुद्रा उत्सव 2022' में (Kota Mudra Utsav 2022) अबकी कई तरह की खास चीजें देखने को मिलेगी. यह प्रदर्शन कल यानी 17 दिसंबर को शुरू होगी, जो 18 दिसंबर तक चलेगी. इसका आयोजन रोटरी क्लब कोटा नॉर्थ के बसंत विहार में सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक होगा.

आयोजक और कोटा फ्लेटली एंड न्यूम्समेटिक सोसायटी फाउंडर चेयरमैन लकेश दंदोना ने बताया कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद धातुओं की कमी हो गई थी. जिसके बाद रियासत और कई स्टेटों के पास सैलरी देने के लिए भी मुद्रा नहीं थी. चांदी की मुद्रा दे नहीं सकते थे और यह काफी महंगी भी थी. ऐसे में कई रियासतों (Rajasthani states introduced emergency currency) ने गत्ते की मुद्रा बनाई थी. जिसे इमरजेंसी करेंसी कहा जाता था. जिसमें बूंदी जिले के इंद्रगढ़ रियासत, बलबन स्टेट, बीकानेर, नवलगढ़ रियासत, गुजरात के सायला, मैंगनी सहित कई स्टेट शामिल है. यहां के भी सिक्कों को यहां प्रदर्शित किया जाएगा. गत्ते की मुद्रा में संबंधित स्टेट या रियासत के लोगों ने खंजाची हस्ताक्षर हुआ करते थे.

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मिलेगी कौड़ी और फूटी कौड़ी की जानकारी: लकेश दंदोनो ने बताया कि इसमें कौड़ी और फूटी कौड़ी की भी जानकारी लोगों को मिलेगी. इन्हें प्रदर्शित भी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 2400 मिलाकर एक रुपया बनता था। इस प्रदर्शनी में देशभर से आने वाले 15 लोग अपनी कलेक्टिव वस्तुओं को प्रदर्शित करेंगे. जिसमें करीब 800 तरह की मुद्राएं यहां पर प्रदर्शित की जाएगी. इसके साथ ही भारत सरकार के स्पेशल कोई भी प्रदर्शनी में रखे जाएंगे. जिन्हें लोग खरीद भी सकते हैं.

दिखेंगे 2600 साल पुराने सिक्के: उन्होंने बताया कि यहां प्रदर्शनी में रखी जाने वाली 2600 साल पुराने सिक्के मगध जनपद के पंचमार्क की है. इसके अलावा भी कई यूनिक कॉइन यहां पर प्रदर्शित किए जाएंगे. रशियन कंट्री ट्रांसनिस्ट्रिया की जारी प्लास्टिक की करेंसी को भी यहां प्रदर्शित किया जाएगा. जिसमें 1, 3, 5 और 10 रूबल शामिल होगी. साथ ही प्लास्टिक के नोट भी यहां देखने को मिलेंगे.

राजस्थानी रियासतों की मुद्रा: कोटा, बूंदी, झालावाड़, जयपुर, जोधपुर, प्रतापगढ़, जैसलमेर, करौली, मेवाड़, बीकानेर व भरतपुर सहित कई राज परिवारों की प्रचलित मुद्रा भी दिखाई जाएगी. इसके साथ ही हस्तलिखित ग्रंथ, पते पर लिखी रामायण व पंजाबी में गीता शामिल है. साथ ही साइकिल के टोकन और स्टांप पेपर, डाक टिकट की प्रदर्शनी भी यहां पर होगी. वहीं, जर्नी ऑफ टेलीग्राम भी यहां दिखाया जाएगा. भारत सरकार की कोलकाता स्थित टकसाल की तरफ से विशेष महापुरुषों पर जारी सिक्कों की जानकारी यहां पर दी जाएगी.

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