भीषण बाढ़ से घिरा हाड़ौती, प्रशासन ने गांवों को खाली कराना शुरू किया

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Published : Aug 23, 2022, 11:36 AM IST

Updated : Aug 23, 2022, 5:05 PM IST

Kota division severe floods
बाढ़ जैसे हालात ()

कोटा संभाग में लगातार दो दिनों से हो रही बारिश से नदी नाले उफान पर हैं. जिससे कोटा संभाग में बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं. साथ ही नदी का जलस्तर बढ़ने से बाधों के गेटों को खोलकर पानी की निकासी की जा रही है. संभाग के कई जिलों में बाढ़ आने से जिलों का संपर्क टूट गया है.

कोटा. कोटा संभाग पिछले दो दिनों से लगातार हो रही बारिश (Heavy rain in Kota) के कारण भीषण बाढ़ में घिर गया है. जिससे संभाग का मध्य प्रदेश के साथ-साथ आपसी जिलों में भी संपर्क कट गया है. प्रशासन ने नदी के पास के क्षेत्र लो लाइन एरिया में बाढ़ का खतरा बढ़ने से लोगों को निकालना शुरू कर दिया है. कोटा से झालावाड़ और झालावाड़ से बारां जाना बंद है. इसके साथ ही कोटा जिले के पीपल्दा उपखंड से भी संपर्क टूट गया है और सवाई माधोपुर का रास्ता भी बंद हो गया है. जिसके चलते लोग आवागमन नहीं कर पा रहे हैं.

कोटा संभाग के दो दर्जन से ज्यादा गांव टापू बन गए. जहां पर रेस्क्यू टीम ने लोगों को निकालना शुरू कर दिया है. वहीं कोटा संभाग में लोगों को निकालने के लिए सेना की मदद भी मांगी गई. साथ ही कोटा संभाग में दूसरी जगह से एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमों को बुलाया गया है. इसके अलावा हाड़ौती संभाग में करीब 25 टीमें लोगों को रेस्क्यू कर रही है.

Kota division severe floods
बाढ़ में डूबी बस्तियां

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नाव के सहारे लोगों को निकाला जा रहा: एसडीआरएफ ने इटावा गैंता के किरपुरिया गांव का रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया है. नाव के सहारे ग्रामीणों को निकालकर गैंता स्कूल में शरण दिलाई जा रही है. जहां पर जिला प्रशासन की तरफ से कानूनगो हरगोविंद लोगों से समझाइश कर उन्हें बाहर निकाल रहे हैं. करीब 250 की आबादी इस गांव में है. इसके अलावा नोनेरा, नारायणपुरा व खरवन गांव भी भारी बारिश में टापू बने हुए हैं. इन इलाकों में कालीसिंध का पानी लोगों के घरों में पहुंच रहा है.

चंबल नदी से भी पानी की निकासी बढ़ाकर करीब 6 लाख क्यूसेक तक होगी. इसके चलते लो लाइन एरिया के कई गांव क्षेत्र में डूब जाएंगे. जहां से लोगों को निकाला जा रहा है. साल 2019 में भी चंबल नदी से 709000 क्यूसेक पानी की निकासी कोटा बैराज से की गई थी. जिसके बाद नदीं के आस-पास के कई गांवों में तबाबी मच गई थी. ऐसे में वैसा ही अंदेशा देखते हुए प्रशासन ने इटावा उपखंड के कई गांवों को खाली करा रहा है.

पढ़ें: कोटा बैराज समेत चंबल के बांधों से जल निकासी फिर शुरू, लाखों क्यूसेक छोड़ा जाएगा पानी

प्रशासन ने लो लाइन एरिया में अलर्ट जारी किया: दूसरी तरफ, चंबल नदी के सबसे बड़े बांध गांधी सागर से लाखों क्यूसेक पानी की निकासी मंगलवार को की जाएगी. करीब सवा चार लाख क्यूसेक पानी वहां से छोड़ा जाएगा. जिसके बाद राणा प्रताप सागर बांध जवाहर सागर बांध और कोटा बैराज से भी लाखों क्यूसेक पानी की निकासी होगी. जवाहर सागर बांध के कैचमेंट एरिया में ब्रह्माणी नदी और राणा प्रताप सागर बांध के कैचमेंट में गुंजाली नदी का पानी भी आ रहा है. ऐसे में वहां से साढ़े 4 लाख से 5 लाख क्यूसेक पानी की निकासी की जा सकती है और इतनी ही निकासी कोटा बैराज से भी होगी. जिसको लेकर कोटा जिला प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी करते हुए कोटा जिले की सीमा में चंबल नदी के नजदीक लो लाइन एरिया में किसी भी व्यक्ति को नहीं जाने की हिदायत दी गई है. वर्तमान में कोटा बैराज के 14 गेट खोलकर 400000 क्यूसेक पानी निकाला जा रहा है.

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चंबल नदी उफान पर

गांधी सागर बांध में 9 लाख से अधिक क्यूसेक पानी आ रहा: आरपीएस डैम के सहायक अभियंता हरीश तिवाड़ी ने बताया कि वह भी 9:15 बजे के बाद पानी की निकासी बढ़ाकर करीब साढ़े 4 लाख क्यूसेक करेंगे. साथ ही उन्होंने बताया कि गांधी सागर बांध में जो इनफ्लो 9,42,233 क्यूसेक पानी आ रहा है. जबकि पानी छोड़ने की कैपेसिटी 4 लाख 50 हजार क्यूसेक है. इसके चलते लंबे समय तक पानी की निकासी की जा सकती है क्योंकि गांधी सागर बांध का लेवल 1308 पहुंच गया है.

मकान ढहने से एक ही परिवार के 5 सदस्य घायल: डग क्षेत्र में हो रही लगातार बारिश के चलते हैं डग कस्बे में गुप्त गणेश मंदिर पठारी मोहल्ला पर स्थित एक कच्चा मकान ढह गया. जिससे एक ही परिवार के पांच सदस्य घायल हो गए. पड़ोसियों की मदद से सभी लोगों को बाहर निकालाकर सीएसची अस्पताल में भर्ती कराया गया. चिकित्सकों ने गंभीर रूप से घायल चार लोगों को झालावाड़ रेफर कर दिया.

भीषण बाढ़ से घिरा हाड़ौती

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सांगोद क्षेत्र में बाढ़ जैसे हालात: सांगोद क्षेत्र में हो रही लगातार बारिश से नदी नाले उफान पर हैं. जिससे सांगोद में भी बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए. भीमसागर बांध के 5 गेट खोलकर उजाड़ नदी में लगातार पानी की निकासी की जा रही है. जिससे सांगोद में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं. उजाड़ नदी का जलस्तर बढने से दुकानदारों के साथ निचली बस्तियों में रह रहे लोगों की भी चिंता बढ़ गई. दिनभर लोग नदी के जलस्तर पर निगार रखे हुए हैं. नुकसान की आशंका से कई दुकानदारों ने अपनी दुकानों के सामानों को उंचाई पर रख लिए हैं तो कई दुकानदार दुकानों के सामानों को ऊंचे इलाकों में सुरक्षित पहुंचाने में जुट गए है. उजाड़ नदी के बढ़ते जलस्तर को लेकर इस बार प्रशासन सतर्क है. उजाड़ नदी में बढ़ते जलस्तर को देखते हुए प्रशासन ने सुबह ही हींगी स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर आवासीय स्कूल को भी खाली करवा दिया तथा यहां रह रही बालिकाओं व शिक्षकों को सांगोद पहुंचाया. साथ ही कैथून में चन्द्रलोही नदी में उफान व बाढ़ से कोटा-सांगोद वाया देवली मार्ग बंद हो गया. वहीं परवन में उफान से बारां-झालावाड़ मेगा हाईवे पर भी आवागमन ठप हो गया. कुंदनपुर क्षेत्र में उजाड़ व कालीसिंध नदी में पानी की आवक से नदी पार बसे एक दर्जन से अधिक गांवों का संपर्क पंचायत मुख्यालय से कट गया है.

चंबल में बहेगा 12 लाख क्यूसेक पानी: चंबल नदी में कोटा बैराज से लगभग छह लाख क्यूसेक पानी की निकासी की जाएगी. इसके बाद कालीसिंध पार्वती नदी का पानी भी इसमें मिलेगा. इन दोनों नदियों में अन्य सहायक नदियों का भी पानी आ रहा है. ऐसे में करीब तीन-तीन लाख क्यूसेक पानी दोनों नदियों में आ रहा है. जिसके बाद चंबल नदी का फ्लो 1200000 क्यूसेक हो जाएगा. जिससे कोटा जिले की सीमा के बाद सवाई माधोपुर, करौली व धौलपुर तक नदी का जलस्तर खतरे के निशान पर ही रहेगा. इसके लो लाइन एरिया में भयंकर बाढ़ जैसे हालात उतपन्न हो सकते हैं. इसके अलावा नदी के तटीय इलाके के गांवों में कोटा और बूंदी जिले में भी बाढ़ जैसे हालात बन सकते हैं. कोटा और बूंदी जिला प्रशासन इसको लेकर सतर्क है और इन गावों में रेस्क्यू अभियान भी बड़े स्तर पर चलाया जा रहा है.

Kota division severe floods
बस्तियों में भरा पानी

कजली तीज मेले के कार्यक्रम निरस्त: बूंदी में भारी बारिश के चलते बूंदी शहर की कई बस्तियां जलमग्न हो गई हैं. इनमें देवपुरा, छत्रपुरा, महावीर नगर, जवाहर नगर व टीचर्स कॉलोनी शामिल हैं. कई मकानों में पानी भर जाने व जलभराव क्षेत्र में कई लोग अभी भी अपने घरों में कैद है. नगर परिषद बून्दी ने कजली तीज मेले के मंच पर होने वाले रंगारंग कार्यक्रम को भी रदद् कर दिया है.

कई कस्बे भी आए बाढ़ की चपेट में: कोटा जिले के सांगोद कस्बे में भी बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. भीम सागर बांध से उजाड़ नदी में पानी छोड़ा गया है. नदी में लाखों क्यूसेक पानी आने से नदी के आस-पास के कस्बों में बाढ़ का आंदेशा बढ़ गया है. जिसके चलते लोगों ने पहले से ही दुकानों को खाली करना शुरू कर दिया है.

सांगोद के एसडीएम राजेश डागा ने बताया कि तिरोड़ी से घटाल जाते समय पानी में फंसे कालबेलिया बस्ती के 20-25 व्यक्तियों को ट्रैक्टर से सुरक्षित पहुंचा दिया गया. बपावर कलां में परवन नदी का पानी निचली बस्ती में आने से कुछ परिवारों को राजीव गांधी सेवा केंद्र और स्कूल में रुकवाने की व्यवस्था की गई है. बूढनी में चार परिवारों को सुरक्षित निकाल कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने की व्यवस्था की गई है.

हिंगी आवासीय विद्यालय में भी मंगलवार को पानी आ गया और चारों तरफ़ से आवागमन बंद हो गया. वहां से 440 बच्चियों और स्टॉफ को सोमवार को ही बसों से सांगोद शिफ्ट कर दिया है. दूसरी तरफ सुखनी नदी में कालीसिंध से पानी आने के चलते इटावा कस्बे में भी बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं. सुखनी नदी की पुलिया पर बस स्टैंड के नजदीक करीब 10 फीट का पानी जमा है. ऐसे में यह पानी कई इलाकों में घुस गया है. वहीं इटावा कस्बा ही दो हिस्सों में विभाजित हो गया है.

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प्रदेश के ये रास्ते बाधित

  • कोटा से झालावाड़ नेशनल हाईवे 52 दरा घाटी में पानी आने के चलते बंद है. यहां से छोटे वाहनों की निकासी नहीं की जा रही है. जबकि भारी और बड़े वाहन निकल रहे हैं.
  • बारां झालावाड़ मेगा हाईवे पर बारां और कोटा जिले की सीमा में परवन नदी की पुलिया पर पानी आ जाने के चलते रास्ता बंद है.
  • बारां झालावाड़ मेगा हाईवे पर ही खानपुर के नजदीक नाले का पानी हाईवे पर आ जाने के चलते रास्ता बंद है.
  • कोटा से सांगोद मार्ग कैथून कस्बे में चंद्रलोई नदी का पानी आ जाने के चलते बंद है.
  • कोटा से सवाई माधोपुर का संपर्क भी कटा हुआ है. बूंदी जिले के केशोरायपाटन कापरेन होते हुए सवाई माधोपुर जाने वाले मार्ग में लाखेरी के पहले मेज नदी की पुलिया पर पानी आ गया है.
  • कोटा जिले से सवाई माधोपुर जाने वाले दूसरे रास्ते वाया इटावा खातौली भी बंद है. इस पर चंबल नदी की झरेल की पुलिया पर पानी आ गया. यह रास्ता पिछले 52 दिनों से बंद है.
  • कोटा से मध्य प्रदेश का संपर्क भी कटा हुआ है.
  • बारां जिले से मध्यप्रदेश के श्योपुर और बड़ौदा जाने वाले मार्ग पर पार्वती नदी की क्वांजापुर पुलिया पर पानी आ जाने के चलते बंद है.
  • कोटा जिले से मध्यप्रदेश के श्योपुर जाने वाला मार्ग पार्वती नदी की पुलिया पर खातौली के नजदीक 36 फीट पानी आने के चलते बंद है.
  • कोटा जिले से इटावा जाने वाला रास्ता भी कालीसिंध की पुलिया पर दीपरी में पानी आ जाने बन्द है.
  • कोटा से सुल्तानपुर जाने वाला मार्ग मारवाड़ा चौकी पर नाले का पानी आ जाने के चलते बन्द है.

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बारां से छबड़ा छीपाबड़ौद का संपर्क कटा: छबड़ा गुगोर पार्वती वाया फतेहगढ़, छबड़ा से धरनावदा, छबड़ा से हिंगलोट वाया कुंभराज, छबड़ा से छीपाबडौद, छबड़ा से कवाई सड़क मार्ग के बीच नदियों व पुलियाओं पर पानी आ जाने से बंद है. छबड़ा गुगोर पार्वती पर 6 से 7 फीट, पार्वती धरनावदा मार्ग पुलिया पर 7 से 8 फीट, छबड़ा छीपाबडौद मार्ग पर करीबन 4 फीट और छबड़ा सालपुरा मार्ग अंधेरी नदी पर 3 से 4 फीट पानी आ जाने से बंद है.

दो लोगों की मौत, छतों पर शरण: भीषण बाढ़ जैसे हालात में जल जनित हादसों में दो लोगों की मौत की खबर भी सामने आई है. बूंदी जिले के नैनवा इलाके के सुवासड़ा निवासी सत्य नारायण प्रजापत माताजी के एनीकट के नजदीक पानी के बहाव में फंस गया था. इसके चलते उसकी मौत हो गई है. दूसरी तरफ खेड़ी शेखापुर गांव में सोमवार शाम पार्वती नदी का उफान देखने जा रहे तीन युवकों एक साथ उफनते नाले में बह गए. इनमें राजवीर व आसम मेघवाल नामक दो युवकों के पानी से सकुशल बाहर निकल लिए गए. लेकिन इकराम नामक युवक का 12 घंटे बाद भी कोई पता नहीं चला है. लेकिन प्रशासन की ओर से उसको बचाने के लिए सोमवार देर शाम तक नदी के उफान में रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू नहीं हो सका. हालांकि बड़े स्तर पर ग्रामीण वहां पर एकत्रित हो गए थे.

पढ़ें: चंबल नदी में 10 लाख क्यूसेक पानी आने की संभावना, 80 गांवों पर बाढ़ का संकट

मकान की छतों पर कल्लू ओर नाथूलाल लोधा फंसे हैं. बारां जिले के छबड़ा तहसील में बापचा थाना गोड़िया मेहर के समीप मन्दिर में 5 लोग फंस गए हैं. मन्दिर की सीढ़ियों पर दो से ढाई फिट तक पानी भरा हुआ है. इन लोगों को रेस्क्यू कर निकालने के लिए छबड़ा पुलिस और तहसीलदार प्रयासरत हैं. कई गांवों की निचली बस्तियों के घरों में पानी भर गया है. गुगोर गांव के कुछ मकानों को खाली करवा परिवारों को सकुशल सुरक्षित स्थानों पर भेजा है.

5000 से ज्यादा लोगों का किया है रेस्क्यू: कोटा शहर की निचली बस्तियों में तो पानी लगभग उतर गया है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में पानी का चढ़ाव लगातार बढ़ रहा है. बारां झालावाड़ और कोटा के ग्रामीण इलाकों में भी लगातार कई गांव टापू बने हुए हैं. बीते 24 घंटे में करीब 5000 से ज्यादा लोगों का रेस्क्यू किया है. इसके लिए एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, सिविल डिफेंस और कोटा नगर निगम की रेस्क्यू टीम जुटी हुई है. यह रेस्क्यू कोटा, बारां और झालावाड़ जिले में किया गया है. झालावाड़ शहर में भी निचली बस्तियों में 3 से 4 फीट पानी भर गया है. हाथीहेड़ा और अरनिया गांव से भी लोगों को बाहर निकाला है.

पानी का नजारा देखने पहुंचे एक बच्चे की मौत: कोटा के इटावा कस्बे में सुखनी नदी का पानी कच्ची बस्ती में पहुंच गया है. इसमें डूबने से एक बालक की मौत होना सामने आया है. जिसके शव को काफी मशक्कत के बाद गोताखोर ने तलाश कर बाहर निकाला. बताया जा रहा है कि बंटी और उसका दोस्त सतीश बस्ती में पानी आ जाने के चलते नजारा देखने पहुंचे थे. जहां वह नहाने लगे, लेकिन पानी के तेज बहाव में वह बह गए. जिसमें बंटी तो बच कर बाहर निकल आया. लेकिन सतीश डूब गया. सतीश के शव को गोताखोर हयात खान उर्फ टाइगर ने मशक्कत के बाद बाहर निकाला. पुलिस ने शव का पोस्टमॉर्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया.

झालावाड़ के काली सिंध डैम से छोड़ा जा रहा 6 लाख क्यूसेक पानी: कालीसिंध नदी में भी लगातार पानी की आवक हो रही है. इस नदी पर झालावाड़ जिले में बने कालीसिंध डैम से भी पानी की निकासी लगातार की जा रही है. यह पानी की निकासी 28 गेट 175 फीट खोल कर की जा रही है. जिससे करीब 606609 से पानी छोड़ा जा रहा है. इसके चलते झालावाड़ के बाद बारां और फिर कोटा जिले में भी नदी के किनारे के कई गांवों में खतरा बना हुआ. नदी पर काफी ज्यादा पानी आने के चलते कोटा से इटावा जाने वाला मार्ग डीपरी के पास बाधित है.

नदी में पानी का बहाव बढ़ने से जंगल में फंसे लोग: बूंदी जिले के केशोरायपाटन इलाके में कुरैल नदी में भी पानी आ गया है. नदी में पानी का बहाव बढ़ने से रायथल थाना इलाके के भैरुजी के करवाला में अपने जानवरों को लेकर जंगल में चराने के लिए गए चरवाहे फंस गए हैं. सूचना पर केशोरायपाटन के एसडीएम बलबीर सिंह और एसडीआरएफ टीम भी मौके पर पहुंची है. जहां पर इन चरवाहों का रेस्क्यू किया जाएगा.

Last Updated :Aug 23, 2022, 5:05 PM IST
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