ETV Bharat / state

Dussehra 2023 : दशहरा मैदान में डटकर खड़ा हो गया रावण, जेठी समाज ने पैरों से कुचलकर किया 'अहंकार' का दमन

author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 24, 2023, 5:18 PM IST

Ravan Dahan in Kota
कोटा में रावण दहन

कोटा में विजयदशमी को लेकर रावण दहन की तैयारियां हो चुकी हैं. रावण, मेघनाथ सहित कुम्भकर्ण के पुतले को दहन के लिए मैदान में खड़ा किया गया है. वहीं, जेठी समाज ने भी मिट्टी का रावण बनाकर उसे पैरों से कुचलकर अहंकार का दमन किया.

दशहरा मैदान में डटकर खड़ा हो गया रावण.

कोटा. शहर में राष्ट्रीय दशहरा मेले की शुरुआत विजयदशमी के दिन से होती है. यहां पर बड़ी ऊंचाई वाला रावण और उसका कुनबा तैयार किया जाता है. मंगलवार दोपहर में अहंकारी रावण का पूरा कुनबा श्रीराम रंगमंच पर सीधा खड़ा हो गया है, जिसका दहन रात्रि के समय होगा. वहीं, कोटा में जेठी समाज की ओर से मिट्टी का रावण बनाकर उसके अहंकार का दमन किया गया है.

बनाने से ज्यादा खड़े करने में होता है खर्चा : करीब एक से डेढ़ महीने पहले से इसकी तैयारी नगर निगम कोटा उत्तर और दक्षिण ने शुरू कर दी थी. दोनों नगर निगम की तरफ से बनाई गई दशहरा मेला समिति ने 8.30 लाख रुपए से यह 75 फीट ऊंचाई का रावण तैयार करवाया है. इसमें 50-50 फीट के कुम्भकर्ण और मेघनाथ के पुतले भी बनाए गए हैं. इन पुतलों को दिल्ली से आए कारीगर ने तैयार किया है. इसके बाद नगर निगम के इंजीनियर, अधिकारियों और कार्मिकों ने खड़ा करवाया है, जिसके लिए 100 से ज्यादा मजदूर और दो बड़ी क्रेन भी मंगवाई गई थी. इसको खड़ा करने में 8.90 लाख रुपए का खर्चा हुआ है. करीब 30 घंटे से ज्यादा का समय इन्हें खड़ा करने में लग गया.

Dussehra 2023
जेठी समाज ने पैरों से कुचलकर किया 'अहंकार' का दमन

पढ़ें. Dussehra 2023 : राजस्थान के जोधपुर में रावण के वंशज मनाते हैं शोक, नहीं देखते 'दहन'

कुचलकर किया रावण के अहंकार का दमन : कोटा में करीब 150 साल से जेठी समाज मिट्टी का रावण बनाकर उसके अहंकार का दमन कर रहा है. नांता स्थित लिम्बजा के मंदिर की सेवा पूजा करने वाले सोहन जेठी का कहना है कि कोटा में जेठी समाज के 120 परिवार हैं. ये लोग तीन मंदिर की सेवा भी करते हैं. सभी मंदिरों से अखाड़े भी जुड़े हुए हैं. इनमें एक किशोरपुरा और दो नांता में हैं. अमावस्या के दिन से ही अखाड़े की इस मिट्टी से रावण तैयार किया जाता है. इस मिट्टी में घी, दूध, शहद, दही और गेहूं डाल दिए जाते हैं. ऐसे में नवरात्र के नौ दिनों तक इसमें जवारे उगते हैं. इसके बाद इस मंदिर में किसी की एंट्री नहीं होती है, केवल माता की पूजा के लिए पुजारी को ही अंदर भेजा जाता है. मंदिर के परिसर में गरबा भी आयोजित होता है. वहीं, दशहरे के दिन माता की पूजा अर्चना के बाद इस रावण के पैरों से कुचलकर मारते हैं. बता दें कि, राज परिवार के सदस्य परंपरा के अनुसार लक्ष्मीनारायण जी की सवारी के साथ आकर रावण दहन करते हैं. हालांकि, आचार संहिता की वजह से इस बार जनप्रतिनिधि ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे हैं और मेले की पूरी जिम्मेदारी अधिकारियों के पास है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.