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अफसरों की करतूत ! अंडरग्राउंड में पहुंचे पूर्व सीएम और उनके मंत्री

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 17, 2024, 10:31 AM IST

Updated : Jan 17, 2024, 10:59 PM IST

पूर्व मंत्री शांति धारीवाल ने अपनी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ही मूर्तियां चंबल हेरिटेज रिवरफ्रंट पर लगवाने के लिए तैयार करवा दी. लाखों रुपये की लागत से बनी इन मूर्तियों को वर्तमान में संग्रहालय में रखा गया है. इनमें यूआईटी के सलाहकार आरडी मीणा और आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया की मूर्तियां भी हैं. अब इस पर विवाद खड़ा हो गया है.

Dhariwal and Gehlot Statue
अशोक गहलोत और धारीवाल की मूर्ति
पूर्व विधायक प्रह्लाद गुंजल ने साधा निशाना

कोटा. नगर विकास न्यास में 1455 करोड़ से कोटा में हेरिटेज चंबल रिवरफ्रंट का निर्माण करवाया, लेकिन इसके दौरान कुछ ऐसा स्ट्रक्चर भी बनाए गए हैं, जिनको लेकर विवाद लगातार गहराते जा रहे हैं. जिनमें विश्व का सबसे बड़ा घंटा है. रिवरफ्रंट में निर्माण को लेकर भ्रष्टाचार के आप भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं ने लगाए हैं और जांच की बात कही थी. अब सरकार बदल गई है तो नित नए मामले सामने आ रहे हैं.

इसमें एक और मामला सामने आया है, जिसमें पूर्व मंत्री शांति धारीवाल ने अपनी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ही मूर्तियां चंबल हेरिटेज रिवरफ्रंट पर लगवाने के लिए तैयार करवा दी. लाखों रुपये की लागत से बनी इन मूर्तियों को वर्तमान में संग्रहालय में रखा गया है. इस पूरे मामले पर पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल का कहना है कि जनता के धन की बर्बादी की गई है. पूर्व मंत्री शांति धारीवाल के निर्देश पर अनियोजित विकास करने वाले सभी अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए. उनका कहना है कि अपने को अजर-अमर करने के लिए ही इस तरह के काम किए गए हैं.

पढ़ें : गुंजल का आरोप: मनमानी दरों पर टेंडर कर चंबल रिवरफ्रंट में किया करोड़ों का घोटाला

सरकार बदलते ही छुपा कर रख दी मूर्तियां : राजस्थान में सरकार बदलने के चलते ही अधिकारी भी इन मूर्तियों को लगवाने में इंटरेस्टेड नहीं हैं. वहीं, इन मूर्तियों का क्या किया जाए, यह अधिकारियों के भी समझ में नहीं आ रहा है. हालांकि, निर्माण करवाने वाले अधिकांश अधिकारी वर्तमान में भी राज्य सरकार के नगर विकास न्यास में ही तैनात हैं. ऐसे में वह इन मूर्तियों को छुपाने में ही जुटे हुए हैं, ताकि जांच से बचा जा सके. इन्हें रिवरफ्रंट पर बने संग्रहालय में ही अंदर छुपा करके रखा हुआ है, जहां पर किसी को नहीं जाने दिया जाता है.

संग्रहालय में रखी हुई हैं मूर्तियां : नगर विकास न्यास के सचिव मान सिंह मीणा का कहना है कि उनके पहले यह मूर्तियां यूआईटी ने तैयार करवाई थी. इनको बनाने की क्या मंशा थी, इस संबंध में पता किया जाएगा. इस मामले में जांच सरकार के कहने पर करवाई जाएगी. सरकार के जिस तरह के आदेश होंगे, उनकी पालना इन मूर्तियों के संबंध में की जाएगी. फिलहाल, इन मूर्तियों को संग्रहालय में रखा हुआ है.

मेरे देखरेख में तैयार हुईं मूर्तियां, उच्च अधिकारियों ने बनवाई : लाखों रुपये की लागत से बनकर तैयार हुईं मूर्तियों का निर्माण नगर विकास न्यास के अधिशासी अभियंता अंकित अग्रवाल की देखरेख में हुआ है. अंकित अग्रवाल इस संबंध में जानकारी देने से भी कतरा रहे हैं. अंकित अग्रवाल का केवल यह कहना है कि इनका निर्माण मेरी देखरेख में हुआ था और उच्च अधिकारियों ने ही मुझे यह निर्माण करवाने के लिए कहा था. जिसके बाद कंसलटेंट से ड्राइंग मेरे पास आती थी और मैं उसको चेक करके इसके निर्माण को स्वीकृत करता था.

तीन अलग-अलग बनी हैं मूर्तियां : तीन अलग-अलग मूर्तियां पूर्व मंत्री धारीवाल ने अपनी बनवा ली है. पहली मूर्ति में वे पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ कुर्सी पर बैठे हुए हैं. इसके साथ ही दूसरी मूर्ति में रिवरफ्रंट के आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया उन्हें कुछ समझ रहे हैं. दोनों कुर्सी पर बैठे हुए हैं व टेबल पर नक्शा देख रहे हैं. तीसरी मूर्ति में चार जने खड़े हुए हैं और अनूप भरतरिया, अशोक गहलोत, शांति धारीवाल और यूआईटी के पूर्व सलाहकार आरडी मीणा खड़े हुए रिवरफ्रंट को निहार रहे हैं.

पूर्व विधायक प्रह्लाद गुंजल ने साधा निशाना

कोटा. नगर विकास न्यास में 1455 करोड़ से कोटा में हेरिटेज चंबल रिवरफ्रंट का निर्माण करवाया, लेकिन इसके दौरान कुछ ऐसा स्ट्रक्चर भी बनाए गए हैं, जिनको लेकर विवाद लगातार गहराते जा रहे हैं. जिनमें विश्व का सबसे बड़ा घंटा है. रिवरफ्रंट में निर्माण को लेकर भ्रष्टाचार के आप भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं ने लगाए हैं और जांच की बात कही थी. अब सरकार बदल गई है तो नित नए मामले सामने आ रहे हैं.

इसमें एक और मामला सामने आया है, जिसमें पूर्व मंत्री शांति धारीवाल ने अपनी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ही मूर्तियां चंबल हेरिटेज रिवरफ्रंट पर लगवाने के लिए तैयार करवा दी. लाखों रुपये की लागत से बनी इन मूर्तियों को वर्तमान में संग्रहालय में रखा गया है. इस पूरे मामले पर पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल का कहना है कि जनता के धन की बर्बादी की गई है. पूर्व मंत्री शांति धारीवाल के निर्देश पर अनियोजित विकास करने वाले सभी अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए. उनका कहना है कि अपने को अजर-अमर करने के लिए ही इस तरह के काम किए गए हैं.

पढ़ें : गुंजल का आरोप: मनमानी दरों पर टेंडर कर चंबल रिवरफ्रंट में किया करोड़ों का घोटाला

सरकार बदलते ही छुपा कर रख दी मूर्तियां : राजस्थान में सरकार बदलने के चलते ही अधिकारी भी इन मूर्तियों को लगवाने में इंटरेस्टेड नहीं हैं. वहीं, इन मूर्तियों का क्या किया जाए, यह अधिकारियों के भी समझ में नहीं आ रहा है. हालांकि, निर्माण करवाने वाले अधिकांश अधिकारी वर्तमान में भी राज्य सरकार के नगर विकास न्यास में ही तैनात हैं. ऐसे में वह इन मूर्तियों को छुपाने में ही जुटे हुए हैं, ताकि जांच से बचा जा सके. इन्हें रिवरफ्रंट पर बने संग्रहालय में ही अंदर छुपा करके रखा हुआ है, जहां पर किसी को नहीं जाने दिया जाता है.

संग्रहालय में रखी हुई हैं मूर्तियां : नगर विकास न्यास के सचिव मान सिंह मीणा का कहना है कि उनके पहले यह मूर्तियां यूआईटी ने तैयार करवाई थी. इनको बनाने की क्या मंशा थी, इस संबंध में पता किया जाएगा. इस मामले में जांच सरकार के कहने पर करवाई जाएगी. सरकार के जिस तरह के आदेश होंगे, उनकी पालना इन मूर्तियों के संबंध में की जाएगी. फिलहाल, इन मूर्तियों को संग्रहालय में रखा हुआ है.

मेरे देखरेख में तैयार हुईं मूर्तियां, उच्च अधिकारियों ने बनवाई : लाखों रुपये की लागत से बनकर तैयार हुईं मूर्तियों का निर्माण नगर विकास न्यास के अधिशासी अभियंता अंकित अग्रवाल की देखरेख में हुआ है. अंकित अग्रवाल इस संबंध में जानकारी देने से भी कतरा रहे हैं. अंकित अग्रवाल का केवल यह कहना है कि इनका निर्माण मेरी देखरेख में हुआ था और उच्च अधिकारियों ने ही मुझे यह निर्माण करवाने के लिए कहा था. जिसके बाद कंसलटेंट से ड्राइंग मेरे पास आती थी और मैं उसको चेक करके इसके निर्माण को स्वीकृत करता था.

तीन अलग-अलग बनी हैं मूर्तियां : तीन अलग-अलग मूर्तियां पूर्व मंत्री धारीवाल ने अपनी बनवा ली है. पहली मूर्ति में वे पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ कुर्सी पर बैठे हुए हैं. इसके साथ ही दूसरी मूर्ति में रिवरफ्रंट के आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया उन्हें कुछ समझ रहे हैं. दोनों कुर्सी पर बैठे हुए हैं व टेबल पर नक्शा देख रहे हैं. तीसरी मूर्ति में चार जने खड़े हुए हैं और अनूप भरतरिया, अशोक गहलोत, शांति धारीवाल और यूआईटी के पूर्व सलाहकार आरडी मीणा खड़े हुए रिवरफ्रंट को निहार रहे हैं.

Last Updated : Jan 17, 2024, 10:59 PM IST
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