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Special : अब छोड़ दीजिए शाही शादी के सपने! संसद में पेश हुए प्राइवेट बिल ने बढ़ाई व्यापारियों की चिंता, जानें कैसे चौपट होगी ये इंडस्ट्री

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Published : Aug 9, 2023, 5:34 PM IST

पंजाब के खंडूर साहिब से कांग्रेस सांसद जसबीर सिंह गिल ने लोकसभा में प्राइवेट मेंबर के तौर पर शादी विवाह की फिजूलखर्ची रोकने के लिए बिल पेश किया है. इससे व्यापारियों में हड़कंप मचा गया है. व्यापारियों का कहना है कि ये बिल देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाला है.

Congress MP Jasbir Singh Gill introduced bill
Congress MP Jasbir Singh Gill introduced bill

बिल ने बढ़ाई व्यापारियों की चिंता

कोटा. लोकसभा में पंजाब के खंडूर साहिब से सांसद जसबीर सिंह गिल ने विशेष अवसरों पर व्यर्थ व्यय की रोकथाम विधेयक बतौर प्राइवेट मेंबर के तौर पर पेश किया है. सदन में इस बिल को चर्चा के लिए रखा गया है, जिसके तहत शादी विवाह और मांगलिक कार्यक्रमों में मेहमानों की संख्या व्यंजन और शगुन को भी दायरे में लाने की बात कही गई है. साथ ही अन्य कई पाबंदियां लगाने की मांग की गई है. सदन में यह बिल पास होगा या नहीं ये तो दूर की बात है, लेकिन अभी से ही इसका विरोध शुरू हो गया है. कोटा ही नहीं पूरे देश भर के व्यापारी इसका विरोध कर रहे हैं. व्यापारियों का कहना है कि जिस तरह से कोविड-19 में पाबंदियां लगाई गई थी और हमारा व्यापार पूरी तरह से चौपट हो गया था. ऐसे ही हालात बनने वाले हैं, क्योंकि भारत में अधिकांश पैसे शादी समारोह में खर्च होते हैं और इसी से हमारी अर्थव्यवस्था चलती है. हमारा व्यापार भी इस पर निर्भर है.

बंद हो जाएगा बिजनेस, बेरोजगार होंगे लोग - कोटा होटल फेडरेशन के अध्यक्ष नीरज त्रिवेदी का कहना है कि कोटा में जितने भी होटल या रिसार्ट है उनका बिजनेस शादियों व मांगलिक कार्यक्रमों पर निर्भर हैं. इससे लोगों को रोजगार मिलता है, जिसमें कैटरिंग, टेंट, किराना, ट्रांसपोर्टेशन, रिसार्ट, मैरिज गार्डन, होटल से लेकर हलवाई और मजदूर तक शामिल हैं. इसके अलावा डीजे, इवेंट मैनेजमेंट, लाइटिंग और डेकोरेशन वाले लोग भी जुड़े हैं. ऐसे में जब 100 लोगों को ही किसी विवाह समारोह में शामिल होने की अनुमति होगी तो फिर बिजनेस पर भी इसका सीधा असर पड़ेगा.

Congress MP Jasbir Singh Gill introduced bill
छोड़ दीजिए शाही शादी के सपने !

शादी विवाह सबसे बड़ी इंडस्ट्री है - नीरज त्रिवेदी का कहना है कि बड़ी संख्या में इन्वेस्टमेंट भी लोगों ने इनविजीलेटे किया है. आज शादियां भारत की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा सेक्टर और इंडस्ट्री है. इसीलिए इस तरह के बिल को तुरंत खारिज करना चाहिए. दूसरी तरफ उन्होंने सभी ट्रेड के लोगों से भी आह्वान किया है कि वह इसके लिए एकजुट हो जाएं, क्योंकि इस तरह के बिल अर्थव्यवस्था के लिए भी खतरा होते हैं. आने वाले दिनों में उन्होंने जो इन्वेस्टमेंट किया था, उसका रिटर्न भी इस तरह के बिल के पास होने पर रुक जाएगा.

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कोरोना से भी अधिक खतरनाक - कोटा व्यापार महासंघ के उपाध्यक्ष सुरेंद्र गोयल विचित्र का कहना है कि लोकसभा में एक वेंडिंग बिल के नाम से बिल प्रस्तुत किया गया है. जिसमें दो-तीन दिन पहले कुछ सांसद चर्चा भी कर रहे थे, मुझे सुनकर बड़ा आश्चर्य हो रहा है कि इस तरह के बिल का मसौदा किसी जनप्रतिनिधि ने कैसे तैयार किया है. इस तरह का बिल से पूरे देश भर में जितने भी शादियां होगी, उसमें केवल 100 मेहमानों की परमिशन होगी और केवल 10 व्यंजन ही परोसे जाएंगे. यह बहुत ही सिंपल और साधारण समारोह आयोजित होगा. जिनमें कोई टेंट डेकोरेशन भी नहीं होगा.

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शाही शादी पर रोक की तैयारी, संसद में बिल पेश

एक विवाह में सैकड़ों एजेंसियां करती हैं काम - सुरेंद्र गोयल विचित्र का कहना है कि आज किसी भी शादी में दर्जनों एजेंसी काम करती है और सैकड़ों हजारों लोगों को रोजगार मिलता है. हम नहीं कह रहे हैं कि बड़े धूमधाम से शादी होनी चाहिए, कुछ शादियों में देखा देखी हुई है. कुछ लोगों ने शादी को मखौल बनाया है और अनाप-शनाप पैसे खर्च करते हैं. करीब 100 से 200, 300 व्यंजन भी बनाते हैं. इसकी आड़ में इस तरह का मसौदा तैयार नहीं होना और बिल प्रस्तुत करना भी खतरनाक है. इससे अर्थव्यवस्था चौपट होगी. व्यापार पूरी तरह से ठप हो जाएगा. हमारी सरकार से यही मांग है कि इस तरह के बिल को अविलंब सदन से बाहर किया जाए. इस प्रस्ताव को पारित नहीं किया जाना चाहिए.

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रिश्तों में आएगी दरार - अग्रसेन बाजार व्यापार संघ के अध्यक्ष महेंद्र कांकरिया का कहना है कि वो इस बिल का घोर विरोध करते हैं, क्योंकि आज आदमी व्यवहारिक जीवन में कई लोगों से संपर्क रखता है. उसके परिवार में जब भी कोई मांगलिक अवसर आता है तो वो अपने मित्रजनों को बुलाता है. अगर वो ऐसा नहीं करता है तो उसे शर्मिदंगी झेलनी पड़ती है. खैर, आज तेजी से समय आगे बढ़ रहा है और वैसे भी लोग एक-दूसरे से कटते जा रहे हैं. यह शादी ब्याह के फंक्शन या प्रसंग ही शेष बचे हैं, जहां लोग एक-दूसरे से मिल पाते हैं. सभी समाज में मांगलिक कार्यक्रम होते हैं, उसी पर संस्कृति टिकी हुई है. शादी में 100 लोगों को बुलाएं यह अभी बड़ा संकट भरा हो जाएगा. ऐसे में रिश्तों में भी दरार आएगी.

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शादी विवाह की फिजूलखर्ची रोकने के लिए बिल

देश की उन्नति में मदद करती है शादियां - सुरेंद्र गोयल विचित्र का कहना है कि सरकार को इस तरह के बिल को पास करवाने की जगह इस बात पर नजर रखनी चाहिए कि शादी विवाह में जो बड़ी मात्रा में राशि खर्च हो रहे हैं, उन लोगों ने सही से टैक्स का भुगतान किया है या नहीं. अगर इसका ध्यान रखा जाएगा तो सरकार को भी लाभ होगा.

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