कोटा कोचिंग में बूम का असर, नहीं मिल रही क्लासरूम के लिए जगह

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Published : Nov 4, 2022, 1:42 PM IST

Updated : Nov 5, 2022, 6:39 AM IST

Boom in Coaching institutes of Kota

कोटा के कोचिंग संस्थानों में हालात ऐसे हो गए हैं कि छात्रों को बैठाने के लिए जगह नहीं है. उनकी ऑफलाइन क्लासेज लगाने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. कोचिंग संस्थान नई-नई बिल्डिंगों को तलाश रहे हैं. साथ ही अपने ही संस्थानों के पुराने कैंपस में भी जगह बनाई जा रही है. कहीं पर ऑफिस को छोटा किया जा रहा है, तो कहीं पार्किंग एरिया को क्लासरूम का शेप दिया जा रहा (Parking area converted in classroom in Kota) है.

कोटा. कोटा के कोचिंग संस्थानों में लगातार छात्रों की संख्या बढ़ती जा रही है. हालात ऐसे हैं कि नवंबर में भी यहां कोचिंग संस्थानों में प्रवेश जारी हैं. जिनमें सैकड़ों की संख्या में विद्यार्थी एडमिशन ले रहे (Boom in Coaching institutes of Kota) हैं. इसके चलते संस्थानों को नई बिल्डिंग्स की जरूरत महसूस हो रही है. वहीं, कुछ संस्थान पार्किंग वाली जगहों को भी क्लासरूम बना रहे हैं.

कई ऐसे विद्यार्थी भी हैं, जिनका नीट की काउंसलिंग में नंबर नहीं आया है या फिर उन्हें अच्छे कॉलेज नहीं मिल पाए हैं. ऐसे में वे अगले साल फिर तैयारी करना चाहते हैं. वे भी प्रवेश ले रहे हैं, लेकिन कोटा के कोचिंग संस्थानों में हालात ऐसे हो गए हैं कि छात्रों को बैठाने के लिए जगह नहीं है. उनकी ऑफलाइन क्लासेज लगाने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. कोचिंग संस्थान नई-नई बिल्डिंगों को तलाश रहे हैं. साथ ही अपने ही संस्थानों के पुराने कैंपस में भी जगह बनाई जा रही है.

ऑफिस और पार्किंग की जगह क्लासरूम

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कहीं पर ऑफिस को छोटा किया जा रहा है और उसकी जगह पर क्लासरूम तैयार किए जा रहे हैं. कहीं पार्किंग एरिया में भी बैंच व टेबल लगाकर क्लासरूम का शेप दिया जा रहा है. हालांकि इन्हें नियमों का उल्लंघन ही कहा जा सकता है, लेकिन बच्चों के बढ़ते हुए रुझान के चलते लगातार प्रयास जारी हैं. वहीं इस साल कोटा में करीब एक दर्जन से ज्यादा बिल्डिंगों में कोचिंग संस्थानों ने क्लासेज शुरू की है.

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अगस्त महीने में ही बंद कर दिया था एडमिशन: ऑफलाइन कोचिंग में एक साल पहले ही एक संस्थान ने कोटा में क्लासेज शुरू की. एक के बाद एक चार बिल्डिंग किराए पर ली और लगातार छात्रों के एडमिशन जारी रहे, उनको भी उम्मीद नहीं थी कि इतने विद्यार्थी उनके यहां पर प्रवेश ले लेंगे, लेकिन हालात ऐसे थे कि उन्हें आनन-फानन में एडमिशन बंद करने पड़े. संस्थान एडमिशन के फॉर्म ही काफी कम लेकर आई थी, लेकिन लगातार छात्रों के रुझान के चलते बड़ी संख्या में एडमिशन हो गए हैं. इस साल उनके संस्थान में करीब 30 हजार नए विद्यार्थियों ने एडमिशन लिया है. इसके बाद बाद में आने वाले विद्यार्थियों को बैरंग ही लौटाना पड़ा.

ऑफलाइन क्लासेज की व्यवस्था करना भी चुनौती रहा: फिजिक्स वाला कोचिंग संस्थान के सेंटर हेड पंकज सीजेरिया का कहना है कि विद्यार्थी कोटा से वापस लौटे हैं. वे ऑनलाइन ही पढ़ रहे हैं. साथ ही उनका कहना है कि छात्रों को पढ़ाना और बैठाने की व्यवस्था करना भी बड़ी चुनौती था. सभी बच्चों के लिए कई दूसरी व्यवस्थाएं भी करनी होती हैं. जिनमें फैकल्टी के अलावा मैनेजमेंट, स्टाफ और अन्य कई व्यवस्थाएं हैं. साथ ही बच्चों को उनका कोर्स भी पूरा करना होता है. इसीलिए एक साथ ज्यादा बच्चों को एडमिशन भी नहीं दे सकते थे. इसीलिए हमें एडमिशन प्रक्रिया रोकनी पड़ी. उनका कहना है कि बच्चों का रिजल्ट ही उनके लिए प्राथमिकता है. इसीलिए तय यह संख्या के बच्चों को ही वह पढ़ाना चाह रहे थे.

पुरानी खाली पड़ी बिल्डिंग में बनी मददगार: कोटा के ही कुछ कोचिंग संस्थान ऐसे भी हैं जहां पर बच्चों के प्रवेश महज कुछ सैंकड़ो व हजारों में ही रह गए हैं. ऐसे संस्थानों के पास बड़ी कैपेसिटी की बिल्डिंग मौजूद हैं, लेकिन वे खाली पड़ी थीं. ऐसे में इस बार उन बिल्डिंगों को भी नए आए कोचिंग संस्थानों ने किराए पर लिया और अपने सेंटर डाल दिए हैं. इन बिल्डिंगों का लाखों रुपए महीने का किराया नए संस्थान चुका रहे हैं और उनके पास फिर भी बच्चों को बैठाने के लिए पूरी जगह नहीं है.

कोचिंग संस्थान ने बनाया रिकॉर्ड: कोटा के एक बड़े कोचिंग संस्थान ने शहर में ही 1 लाख 40 हजार बच्चों को पढ़ाने का रिकॉर्ड बनाया है. इसमें करीब 70 फीसदी बच्चे मेडिकल एंट्रेंस परीक्षा के हैं. जबकि 25 फीसदी बच्चे इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के हैं. वहीं शेष 5 फीसदी बच्चे कक्षा 6 से 10वीं तक पढ़ाई कर रहे हैं. यह देश के किसी एक शहर व एक कोचिंग संस्थान में पढ़ रहे बच्चों का एक रिकॉर्ड ही कहा जा सकता है. एलन कोचिंग संस्थान के वाइस प्रेसिडेंट पंकज बिरला का कहना है कि संस्थान ने इस बार भी नए कैंपस शुरू किए हैं. नए कैंपस के लिए भी तैयारी चल रही है.

हॉस्टल से लेकर सब जगह कतारें: कोविड-19 के 2 सालों तक अपने व्यापार को बचाने के लिए जूझ रहे हॉस्टल व मैस संचालकों के लिए यह साल काफी अच्छा रहा है. विद्यार्थियों को कोचिंग संस्थान के कैंपस के नजदीक हॉस्टल लेना भी टेडी खीर रहा है. यहां तक कि कोटा के सभी पीजी और हॉस्टल पूरी तरह से पैक हैं. वहीं मैस में भी उन्हें कतार लगानी पड़ रही है, क्योंकि वहां पर भी क्षमता से ज्यादा बच्चे खाना खाने के लिए पहुंचते हैं. कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल का कहना है कि कोटा के राजीव गांधी नगर, जवाहर नगर, इंडस्ट्रियल एरिया, महावीर नगर, विज्ञान नगर, तलवंडी और कोरल पार्क इलाके में बच्चों को हॉस्टल ही नहीं मिल पा रहे हैं.

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10 का था अनुमान, 25 फीसदी ज्यादा बच्चे आए: कोविड-19 के बाद विद्यार्थियों की संख्या को महज 10 फीसदी ही बढ़ने का अनुमान माना जा रहा था. ऐसे में जहां 2019 में करीब 1 लाख 75 हजार बच्चे कोटा में कोचिंग करने के लिए पहुंचे थे. यह संख्या 10 फीसदी बढ़कर करीब 1 लाख 90 हजार के आसपास ही पहुंचती, लेकिन इस बार बूम के चलते यह संख्या 25 फीसदी से ज्यादा बढ़ गई है और सवा दो लाख बच्चे कोटा में है.

इसी को देखते हुए अब साल 2023 में आने वाले विद्यार्थियों की संख्या करीब पौने तीन लाख के आसपास पहुंचने का अनुमान है. ऐसे में अभी से कोचिंग संस्थानों ने नए सेशन की तैयारी भी शुरू कर दी है. हालांकि साल 2025 में मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश की परीक्षाएं देने वाले छात्रों के लिए एडवांस कोर्स नवंबर और दिसंबर महीने में ही शुरू हो जाते हैं. यह कोर्स दसवीं में पढ़ रहे छात्रों के लिए होता है.

Last Updated :Nov 5, 2022, 6:39 AM IST
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