प्रसिद्ध मदनमोहनजी मंदिर में नहीं मनाया जाएगा कृष्ण जन्मोत्सव, भक्तों में छाई निराशा

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Published : Aug 30, 2021, 10:56 AM IST

Updated : Aug 30, 2021, 12:44 PM IST

प्रसिद्ध राधा मदनमोहनजी, famous radha madanmohanji

प्रसिद्ध राधा मदनमोहनजी मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान कृष्ण की झांकी और रात्रि 12:00 बजे कृष्ण जन्मोत्सव नहीं मनाया जाएगा. जिसका कारण है कोरोना. वहीं इस वजह से भक्तों में भी निराशा छा गई.

करौली. राजस्थान के प्रमुख मन्दिरों मे शुमार और करौली के प्रसिद्ध राधा मदनमोहनजी मंदिर में कोरोना की वजह से श्रीकृष्ण जन्माष्टमोत्सव नहीं मनाया जाएगा. जिसके कारण भक्तों में निराशा छा गई. कोरोना को देखते हुए राज सरकार की गाइडलाइन और जिला प्रशासन के निर्देशानुसार मंदिर ट्रस्ट प्रबंधक कमेटी ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की अवसर पर भगवान कृष्ण की झांकी और रात्रि 12:00 बजे कृष्ण के जन्म के दर्शन श्रद्धालुओं के लिए बंद रखने का फैसला लिया है. जिसके कारण भक्त जन भगवान कृष्ण जन्मोत्सव के दर्शन नहीं कर सकेंगे.

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हालांकि जिला प्रशासन ने मंदिर ट्रस्ट को कृष्ण भक्तों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन आराध्य देव श्री राधा मदन मोहन जी महाराज के दर्शनों के लिए सुबह 8:30 से 11:30 तक दर्शन करवाने की अनुमति दी है. जिसके कारण श्रद्धालु श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन प्रशासन के निर्देश पर सुबह 8:30 बजे से 11:30 बजे तक दर्शनों का लाभ प्राप्त कर सकेंगे. इसके बाद श्रद्धालुओं को श्री राधा मदन मोहन जी महाराज के दर्शन 31 अगस्त को सुबह 8:30 बजे से होंगे.

श्री राधा मदन मोहन जी महाराज मंदिर ट्रस्ट प्रबंधक मलखान पाल और भूपेंद्र पाल ने बताया कि कोरोना वायरस के कारण राज्य सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन और जिला प्रशासन के निर्देशानुसार श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर रात्रि झांकी दर्शन और कृष्ण जन्मोत्सव नहीं मनाया जाएगा. श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन जिला प्रशासन के निर्देशानुसार भक्तजन सुबह 8:30 बजे से 11:30 बजे तक दर्शनों का लाभ प्राप्त कर सकेंगे, लेकिन सायं कालीन झांकियों के दर्शन बंद रहेंगे और इसके बाद भक्तजनों को 31 अगस्त को सुबह 8:30 से श्री राधा मदन मोहन जी महाराज के दर्शनों का लाभ मिलेगा.

रात 12:00 बजे भगवान कृष्ण को कराया जाता है पंचामृत से स्नान

करौली जिले के प्रसिद्ध आराध्य देव मदन मोहन जी महाराज मंदिर में पुजारी रात्रि 12:00 बजे भगवान कृष्ण की प्रतिमा को सर्वप्रथम पंचामृत से स्नान करवाते हैं. उसके बाद जिस प्रकार एक नवजात बच्चे को कपड़े में लपेटा जाता है उसी प्रकार भगवान कृष्ण की प्रतिमा को भी सफेद सूती कपड़े में लपेटकर मंदिर में विराजमान करते हैं. भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना कर आरती की जाती है और सभी भक्तों को पंजीरी और पंचामृत प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है, लेकिन इस बार भक्तजनों को कृष्ण जन्म उत्सव का आनंद लेने का अवसर नहीं मिल पाएगा.

जिले भर में धूमधाम से मनाई जाएगी कृष्ण जन्माष्टमी

नंद बाबा और देवकी की आठवीं संतान के रूप में भाद्रपद अष्टमी को जन्मे भगवान कृष्ण के जन्म उत्सव को श्री कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाने वाला पर्व पूरे जिले भर में बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ में मनाया जाएगा. प्रसिद्ध आराध्य देव राधा मदन मोहन जी महाराज मंदिर को छोड़कर जिले के सभी श्री कृष्ण मंदिरों में रात्रि भगवान कृष्ण जन्मोत्सव और झांकी दर्शनों के साथ भजन संध्या के कार्यक्रम भी आयोजित होंगे.

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वहीं, जिले में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन दिन भर आसमान में पतंगबाजी का नजारा भी देखने को मिलेगा. जिले भर में पतंग उड़ाने के शौकीन लोगों ने दुकानों से माजा, धागा और विभिन्न प्रकार की रंग बिरंगी पतंगे खरीद कर रख ली है जिससे जन्माष्टमी के दिन बड़े भी अपने बच्चों के साथ पतंग उड़ाने का आनंद लेंगे.

सीकर के खंडेला कस्बे में स्थित श्री बांके बिहारी जी मन्दिर में जन्माष्टमी पर्व मनाया जा रहा है. कस्बे में स्थित इस मन्दिर का इतिहास 600 साल पुराना है. जन्माष्टमी के दिन मन्दिर में सुबह और रात्रि को दोनों समय कार्यक्रम होते हैं. दोपहर में होने वाले कार्यक्रम में भगवान बिहारी जी की मूर्ति को 108 प्रकार विशेष प्रकार की जड़ी बूटियों से वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ स्नान करवाया जाता है. जो कि वृंदावन और खंडेला में ही श्री बांके बिहारी जी के मन्दिर में करवाया जाता है. साथ ही आम कि पतियों और कनिर की डालियों से बगीचा तैयार किया जाता है.

मंदिर का इतिहास

खंडेला कस्बे में स्थित श्री बांके बिहारी जी का मन्दिर करीब 600 साल पुराना मन्दिर है. मन्दिर में स्थित मूर्ति शेखावाटी कि मीरा के नाम से प्रसिद्ध भक्त करमेती बाई की ओर से वृंदावन के ब्रह्मकुंड से निकालकर अपने पिता और राजा को दी गई थी. मन्दिर पुजारी बिहारीलाल पारिक ने बताया कि मन्दिर 600 साल पुराना है.

करमेती बाई का विवाह उनकी मर्जी के विरुद्ध 12 साल की उम्र में कर दिया गया था. एक रात करमेती बाई घर से निकलकर वृंदावन पहुंच गई. जब उनके पिता उन्हें ढूंढते हुए वहां पहुंचे तो उन्होंने कहा कि उनके पति श्री कृष्ण हैं. वो यहीं रहकर कृष्ण की भक्ति करेंगी.

श्री बांके बिहारी जी मंदिर, Shri Banke Bihari Ji Temple
सीकर का श्री बांके बिहारी जी का मन्दिर

जब करमेती बाई के नहीं माने तो उन्होंने कहा कि आप मेरे ठाकुर जी को ले जाओ और ब्रह्मकुंड से मूर्ति निकालकर अपने पिता को दी. जिसका नाम बिहारी जी रखा गया. साथ ही राधा जी की भी प्रीतक के रूप में मूर्ति दी. जो अभी भी मन्दिर में बिहारी जी की मूर्ति के साथ विराजमान हैं. जिसके दर्शन भक्तों को सिर्फ राधाष्टमी के दिन होते हैं.

करमेति बाई के पिता और राजा मूर्ति लेकर खंडेला आए. राजा ने खंडेला में मन्दिर का निर्माण करवाया और मूर्ति मन्दिर में स्थापित की जिस मन्दिर को आज बिहारी जी के नाम से जाना जाता है. मन्दिर में जन्माष्टमी पर्व पर दोनों समय कार्यक्रम आयोजित कर जन्मोत्सव मनाया जाता है.

Last Updated :Aug 30, 2021, 12:44 PM IST
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