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Sanjeevani Scam : एसओजी ने केंद्रीय मंत्री शेखावत और उनके परिवार को माना आरोपी, कोर्ट में पेश की रिपोर्ट

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Published : Apr 29, 2023, 2:14 PM IST

संजीवनी घोटाला मामले में एसओजी ने हाईकोर्ट में एक रिपोर्ट पेश की है, जिसमें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उनके परिवार को आरोपी (SOG report accused Gajendra Shekhawat) माना गया है.

Sanjeevani Scam
Sanjeevani Scam

जोधपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत संजीवनी घोटाला मामले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को लगातार आरोपी बताते रहे हैं. हाल ही में हाईकोर्ट में एसओजी की जो तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश की गई है, उसमें इसका विवरण भी दिया गया है. इस रिपोर्ट के अनुसार गजेंद्र सिंह शेखावत ने संजीवनी के मुखिया विक्रम सिंह की एक फर्म को लोन दिलाने में गारंटर की भूमिका निभाई थी. दोनों के नाम से खरीदी गई शहर की सबसे महंगी कॉलोनी उमेद हेरिटेज स्थित प्लॉट को इसके लिए गिरवी रखा गया था.

एसओजी की रिपोर्ट के अनुसार, इसमें कई ऐसे कई तथ्य शामिल किए गए हैं जो बता रहा है कि संजीवनी क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी मामले में केंद्रीय मंत्री शेखावत और उनके परिजनों की भूमिका है. शेखावत के निदेशक हित वाली फर्म नवप्रभा टेक के शेयर के लेनदेन में सभी लिप्त हैं. एसओजी अपनी जांच में यह जिक्र कर रही है कि संजीवनी की ओर से निवेशकों के रुपए नहीं लौटाने में कौन-कौन शामिल है. नवप्रभा के अलावा ल्यूसिड फार्मा और गैलब इंडस्ट्रीज जो कि शेखावत के स्वामित्व की थी, उसके शेयर भी संजीवनी की फडिंग से विक्रम सिंह ने खरीदे थे. इससे सोसाइटी को नुकसान हुआ, जिसकी वजह से निवेशकों की राशि अटकने लगी थी.

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चुनाव से पहले शेखावत ने सब निपटाया : रिपोर्ट के अनुसार, पावटा स्थित मानजी का हत्था में नवप्रभा टेक बिल्डटेक का पुराना नाम अरिहंत थियेटर था. उस समय कंपनी में 1000 गज का प्लॉट था, इसमें अरिहंत थियेटर की निर्माणाधीन बिल्डिंग थी, उसे गिराकर प्लॉट खाली किया. इस पर बहुमंजिला आवासीय परिसर संजीवनी आनंदा विकसित किया गया है. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत साल 2005 से 2014 तक इस कंपनी के निदेशक थे. 2005 से 2008 तक शेखावत ने अपने नाम के अलावा पत्नी, पिता, माता और साले के नाम से कुल 63 हजार 600 शेयर 50 और 100 रुपए में खरीदे थे. यही शेयर 2013 में विक्रमसिंह, उसकी पत्नी विनोद कंवर और अन्य को 500 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से बेच दिए थे. विक्रमसिंह ने इन शेयर को खरीदने के लिए तीन करोड़ रुपए से अधिक की राशि संजीवनी से उठाई थी, जो वापस नहीं की. बता दें कि शेखावत 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले इस कंपनी के निदेशक थे.

सांसद चुने जाने के बाद बने गांरटर : गजेंद्र सिंह शेखावत और सजीवनी के विक्रम सिंह के बीच हमेशा रिश्ते रहे हैं. सीएम गहलोत ने तो यहां तक आरोप लगाया था कि शेखावत ही संजीवनी में सबकुछ थे. एसओजी ने अपनी रिपोर्ट में एक तथ्य दिया है कि साल 2015 में नवप्रभा टेक बिल्डटेक ने पावटा के प्लॉट पर निर्माण के लिए आरएफसी ने 20 करोड़ का लोन दिया था, जिसमें गजेंद्र सिंह शेखावत गारंटर बने थे. बतौर गारंटी उमेद हेरिटेज का एक प्लॉट रखा गया था, जिसका स्वामित्व भी शेखावत और विक्रम सिंह के नाम है. इस दौरान वे सांसद बन चुके थे, जो दर्शाता है कि उनके विक्रम सिंह से घनिष्ठ संबंध थे. नवप्रभा में निदेश नहीं होने के बावजूद गारंटर बने थे.

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