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हाईकोर्ट ने अवैध बंधक की याचिका को किया खारिज, युवती को इच्छा अनुसार जाने की दी इजाजत

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Published : May 17, 2021, 11:01 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सोमवार को अवैध बंधक की याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने सुनवाई के बाद युवती को अपनी इच्छा अनुसार जाने की स्वतंत्रता दी है.

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राजस्थान हाईकोर्ट

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने चूरू निवासी एक युवक की ओर से अपनी पत्नी को बंधक बनाने की याचिका दायर की थी. जिसपर न्यायालय ने सुनवाई के बाद खारिज करते हुए युवती को अपनी इच्छा अनुसार जाने की स्वतंत्रता दी है.

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चूरू निवासी युवक ने उच्च न्यायालय के समक्ष बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पेश कर बताया था कि उसने एक युवती के साथ जोधपुर के आर्य समाज मंदिर में विवाह कर लिया. जिसके बाद युवती के परिजन उसे जबरन ले गए और उसे बंधक बना दिया है. उच्च न्यायालय ने पिछली सुनवाई पर युवती के बयान हुए तो उसने कहा कि शादी दबाव के चलते हुई थी. ऐसे में उच्च न्यायालय ने युवती के बयानों को देखते हुए उसे दबाव में लगे तो युवती को स्वतंत्र चिंतन के लिए नारी निकेतन भेज दिया था.

सोमवार को वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढा व न्यायाधीश रामेश्वर व्यास की खंडपीठ के समक्ष युवती को न्यायालय में पेश किया गया. युवती ने सोमवार को भी सुनवाई के दौरान अपने पिछले बयानों पर रही और कहा कि उसकी शादी दबाव में हुई थी. वह अपने माता-पिता के साथ जाना चाहती है. ऐसे में न्यायालय ने याचिका को खारिज करते हुए युवती को स्वतंत्र कर दिया. वहीं, याचिकाकर्ता के द्वारा जमा दस हजार रुपए लौटाने के निर्देश भी दिए हैं.

दुष्कर्म के आरोपी की जमानत याचिका खारिज

पॉक्सो कोर्ट के जज रामेश्वर प्रसाद चौधरी ने नाबालिग लड़की से रेप के आरोपी विजय आचार्य की जमानत खारिज कर दी. आरोपी की ओर से जमानत प्रार्थना पत्र पेश किया गया था. परिवादी के एडवोकेट रीटा पटवा व निखिल भण्डारी ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि सदर कोतवाली थानांर्तगत हुई इस घटना के तहत आरोपी ने परिवादी की नाबालिग पुत्री जो कि घर से बाहर दूध लेने के लिए गई थी, उस समय आरोपी ने उसका अपहरण कर उसको कार में डालकर लेकर गया व उसके साथ दो दिन तक रेप किया.

इसकी रिपोर्ट थाने में दर्ज है. आरोपी और उसके परिवारवालों की ओर से नाबालिग पीड़िता व उसके परिजनों को जान से मारने की धमकी भी दी गई थी. जज रामेश्वर प्रसाद चौधरी ने सभी पक्षों की बहस सुनते हुए परिवादी के एडवोकेट के तर्कों से सहमत होते हुए आरोपी का जमानत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया.

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