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Collegium system VS Government : कानून मंत्री को कॉलेजियम का हिस्सा बनाने से दूर होगा टकराव: प्रो मुस्तफा

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Published : Mar 20, 2023, 10:35 PM IST

पूर्व कुलपति और संविधान विशेषज्ञ प्रो फैजान मुस्तफा का कहना है कि सरकार और कॉलेजियम के बीच का टकराव लंबे समय तक चलना सही नहीं है. उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार कानून मंत्री को कॉलेजियम में शामिल कर ले, जिससे सारे कंसंर्स दूर हो जाएं.

Prof Faizan Mustafa suggestion for Collegium system
प्रो फैजान मुस्तफा ने सरकार और कॉलेजियम के टकराव पर दी ये राय

प्रो फैजान मुस्तफा ने सरकार और कॉलेजियम के टकराव पर दी ये राय

जोधपुर. हैदराबाद की नालसार लॉ यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति एवं संविधान विशेषज्ञ प्रो फैजान मुस्तफा का कहना है कि देश में सरकार और कॉलेजियम के बीच चल रहा टकराव ठीक नहीं है. यह लंबे समय तक नहीं चलना चाहिए. इससे नुकसान होता है. अगर देश के कानून मंत्री को कॉलेजियम का हिस्सा बना दें, तो यह टकराव दूर हो सकता है. प्रो मुस्तफा सोमवार को एनएलयू में भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी), विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के बौद्धिक सहयोग के 20वें संस्करण के तहत ऑफिस ऑफ एटॉर्नी जनरल, नेपाल के अधिवक्ताओं के लिए सोमवार से शुरू हुए दो सप्ताह के स्पेशल ट्रेनिंग कार्यक्रम के मुख्य अतिथी के रूप में शामिल हुए थे.

उन्होंने कहा कि वर्तमान गतिरोध में जजेज कह रहे हैं कि कॉलेजियम सर्वश्रेष्ठ है. लॉ मिनिस्टर इसके विरोध में बोल रहे हैं. यह टकराव खत्म होना चाहिए. यह देश के लिए अच्छा नहीं है. सरकार अगर राजी हो जाए, तो कानून मंत्री को कॉलेजियम में शामिल कर दिया जाए. वहां पर लोकतांत्रिक तरीके से फैसले हों. कानून मंत्री अपने कंसंर्स बताएं, बाकी के पांच जज अपने फैसले बताएं. इससे सरकार के लिए जजों की नियुक्ति आसान हो जाएगी. बहुत कम ऐसे मामले आएंगे जिसमें टकराव होगा. प्रो मुस्तफा ने कहा कि मैं समझता हूं कि टकराव के हालात को रोकना चाहिए. ऐसा कोई बीच का रास्ता होना चाहिए जिसमें सरकार की भी बात हो जाए और जजेज की भी.

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मजबूत सरकार में कोर्ट कमजोर: मुख्य अतिथि के रूप में उद्बोधन के दौरान प्रो मुस्तफा ने कहा कि जब मजबूत सरकार होती है, तब सुप्रीम कोर्ट ज्यादा प्रभावी नहीं होता है. लेकिन जब कमजोर सरकार होती है, तो ज्यादा प्रभावी व असरदार होती है. प्रो मुस्तफा ने देश में सरकार ओर ज्यूड्शरी से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें कहीं. उन्होंने कहा कि ज्यादातर जज सरकारी वकील के बड़े ओहदे पर रहने के बाद बनते हैं. तब स्थितियां अलग हो जाती हैं. उस समय कोर्ट का इस्तेमाल पॉलिटिकल आइडियोलॉजी के लिए भी होता है.

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31 तक चलेगा प्रशि​क्षण: 31 मार्च तक चलने वाले इस प्रशिक्षण के दौरान नेपाल के अधिवक्ताओं को भूतपूर्व न्यायाधीश, अधिवक्ता, प्रशासनिक अधिकारी एवं अकादमिक क्षेत्र के विशेषज्ञ संबोधित करेंगे. इस दौरान वे राजस्थान हाईकोर्ट, उम्मेद भवन पैलेस, मेहरानगढ़ किला, नागौर किला, जसवंत थड़ा, जोधपुर, ओसियां डेजर्ट सफारी, आफरी, सालावास और सुरपुरा सहित ऐतिहासिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक प्रासंगिकता के विभिन्न स्थानों का भ्रमण करेंगे.

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