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आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों की पत्नियों की मांग...आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दे सरकार

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Published : Feb 15, 2019, 11:50 PM IST

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में जवानों पर हुए आतंकी हमले में 42 सैनिक शहीद हो गए हैं. जिसमें राजस्थान के कुल 5 जवान शामिल हैं. घटना को लेकर शहीदों की वीरांगनाओं ने सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

शहीद की पत्नी

झुंझुनू. पुलवामा में हुए हमले में राजस्थान के पांच जवान शहीद हुए हैं. जिसके चलते प्रदेशवासियों में आक्रोश है. राज्य के सभी जिलों में लोग अपना आक्रोश अपनी प्रतिक्रिया के जरिए जाहिर कर रहे हैं. वहीं शहीदों की पत्नियां सरकार से आतंकियों पर कठोर कार्रवाई की मांग कर रही हैं.

शहीद की पत्नी


शहीद हुए जवानों के परिजनों के लिए दुख का पहाड टूट पड़ा है. उनके पैतृक निवास पर शोक का माहौल है.

भूतपूर्व सैनिक


सुरेंद्र बताते हैं कि वे 10 साल पहले इसी तरह से छुट्टी पूरी करके घर से वापस जा रहे थे. तब भी ऐसा ही एक हमला हुआ. हलांकि वह बस बुलेट प्रूफ थी. जिसके चलते वे बच गए थे. वहीं मई 2014 में जम्मू कश्मीर के ही सांबा बॉर्डर में शहीद हुए फतेहपुरा निवासी श्रीराम गावड़िया के पुत्र अरुण गावड़िया कहते हैं कि अभी तो सोशल मीडिया पर लोगों ने क्रांति कर रखी है, लेकिन यह क्रांति झूठी है. धरातल पर कुछ करना होगा.

भूतपूर्व सैनिक के पुत्र

इसी तरह से शहीद इंद्र सिंह के पुत्र राकेश सैनी कहते हैं कि जैसे आंतकवादी हमले के बारे में सुना. हमें भी वह 26 सितंबर याद आ गया जब हमारे पिताजी की शहादत की खबर मिली थी.

भूतपूर्व सैनिक


घटना को याद करते हुए शहीद दलीप सिंह की पत्नी सुनीता थाकन और शहीद मनोज कुमार की पत्नी अनीता का गला रुंध जाता है. वे कहती हैं वह दर्दनाक मंजर बयां करने के लिए उनके पास शब्द नहीं हैं.

भूतपूर्व सैनिक के पुत्र


वहीं वायु सेना से रिटायर्ड सुनील जानू कहते हैं कि ऐसी घटनाएं जवानों का मनोबल तोड़ने के लिए की जाती हैं. लेकिन इससे देश के जवानों का हौसला पस्त नहीं होता. वे अपनी सोच नहीं बदल पा रहे हैं. जिसका अब उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

Intro:झुंझुनू। पुलवामा में हुए हमले से पूरा देश आंदोलित है तो ऐसे ही मामलों में पहले शहीद हुए जवानों के परिजनों के सामने भी शहादत के दिन का मंजर तैर गया है। वहीं 10 साल पहले इसी तरह हमले में अपना जबड़ा गंवा चुके सुरेंद्र फौजी कहते हैं कि हम भी इसी तरह से छुट्टी काट कर जा रहे थे । हमारी बस बुलेट प्रूफ थी और इसलिए चेहरे पर ही बम के छर्रे लगे थे। आतंकवादियों की हरकते वैसी ही कायराना चल रही है।


Body:मई 2014 में जम्मू कश्मीर के ही सांबा बॉर्डर में शहीद हुए फतेहपुरा निवासी श्रीराम गावड़िया के पुत्र अरुण गावड़िया कहते हैं कि अभी तो सोशल मीडिया पर लोगों ने क्रांति कर रखी है, लेकिन यह क्रांति झूठी है , धरातल पर कुछ करना होगा। इसी तरह से शहीद इंद्र सिंह के पुत्र राकेश सैनी कहते हैं कि जैसे आंतकवादी हमले के बारे में सुना, हमें भी वह 26 सितंबर याद आ गया जब हमारे पिताजी की शहादत की खबर मिली थी।


Conclusion: घटना को याद करते हुए शहीद दलीप सिंह की पत्नी सुनीता थाकन की व शहीद मनोज कुमार की पत्नी अनीता कहती हैं कि बोलने के लिए कोई शब्द नहीं है । इसी प्रकार वायु सेना से रिटायर्ड सुनील जानू कहते हैं कि इस तरह प्रकार की घटनाओं से आंतकवादी सोचते हैं कि हमारे सैनिकों का मनोबल तोड़ देंगे तो वह अपनी सोच बदल ले।
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