झालावाड़. कोरोना वायरस के चलते घोषित किए गए लॉकडाउन में जहां सरकारी और गैर सरकारी कामकाज थम से गए हैं. वहीं, लॉकडाउन अवैध गतिविधियां करने वालों के लिए सुनहरा अवसर भी बन गया है. एक ऐसा ही मामला झालावाड़ से सामने आया है. जिले के दुर्गपुरा ग्राम पंचायत में स्थित तालाब में मिट्टी की खुदाई का काम किया जाना था. इसके लिए निविदा भी निकाली गई, लेकिन अब तालाब से नियमों की अवहेलना करते हुए मनमाने तरीके से मिट्टी की खुदाई का काम किया जा रहा है.
दरअसल, नियमों के मुताबिक मिट्टी का उपयोग ईंट-भट्ठों और मटकी के निर्माण में लिया जाना था. लेकिन मिट्टी को एक निजी कॉलोनी में डाला जा रहा है. वहीं, तालाब से मिट्टी की खुदाई मनरेगा श्रमिकों के द्वारा करवाई जानी थी, लेकिन JCB से खुदाई करवाई जा रही है. इसके अलावा ट्रॉलियों से मिट्टी की ढुलाई होनी थी, उनकी जगह डंपरों से ढुलाई हो रही है. ऐसे में सरकार को भारी राजस्व का चूना लगाया जा रहा है. इस भ्रष्टाचार के खेल में स्थानीय ग्राम विकास अधिकारी, सरपंच और संबंधित ठेकेदार की आपसी मिलीभगत की संभावना जताई जा रही है.
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मालूम हो कि दुर्गपुरा ग्राम पंचायत के तालाब में हर साल मिट्टी की खुदाई होती है, जिसे ग्राम पंचायत के द्वारा ईंट-भट्ठे और मटकी बनाने वालों को बेचा जाता है. इसमें मनरेगा श्रमिकों के माध्यम से तालाब के ऊपरी छोर से महज दो फीट तक मिट्टी उठाई जानी थी. साथ ही ट्रैक्टर से मिट्टी की ढुलाई करनी थी और उसी हिसाब से रवन्ने भी जारी किए जाने थे. लेकिन स्थानीय सरपंच, बीडीओ और ठेकेदार ने मिलीभगत करते हुए JCB मशीन से बेतरतीब ढंग से तालाब की खुदाई कर दी. साथ ही जगह-जगह गड्ढे कर दिए गए हैं.
इसमें मिट्टी के अलावा तालाब का मलड़ा भी निकाला गया, जिसकी रॉयल्टी मिट्टी से ज्यादा बनती है. इस ढंग से खुदाई के चलते तालाब का स्वरूप भी बिगड़ गया, साथ ही डंपरों से मिट्टी की ढुलाई की जा रही है, जिनके रवन्ने का हिसाब भी नहीं रखा जा रहा है. वहीं, मिट्टी ईंट-भट्ठे वालों को ना देकर एक निजी कॉलोनी में डलवाई जा रही है और ये सारा भ्रष्टाचार का खेल जिला मुख्यालय से महज 2 किलोमीटर दूर प्रशासन की नाक के नीचे खेला जा रहा है. लेकिन जिला प्रशासन को इसकी खबर तक नहीं है. वहीं, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा कि इस तरीके का मामला है तो जांच करवाई जाएगी.