जालोर. जिले के सांचौर व चितलवाना व बाड़मेर जिले के गुड़ामालानी व चौहटन क्षेत्र में सिंचाई के नर्मदा नहर में 2200 क्यूसेक पानी देने की मांग को लेकर गुजरात सरकार के खिलाफ सांचौर नर्मदा विभाग के कार्यालय के आगे तीसरे दिन 28 किसान भूख हड़ताल पर व 250 किसान कार्मिक अनशन पर बैठे. आंदोलन कर रहे किसानों की मांग है कि उनको उनके हिस्से का 2200 क्यूसेक पानी नहर में दिया जाए, जबकि गुजरात की ओर से राजस्थान को 1 हजार से 12 सौं क्यूसेक ही पानी दिया जा रहा है. ऐसे में परेशान किसान आंदोलन कर रहे हैं.
किसानों ने बताया कि नर्मदा नहर में करीबन ढाई लाख से ज्यादा हेक्टेयर में रबी की फसल की बुवाई लोगों ने कर रखी है और नहर में पानी नहीं आ रहा है. जिसके कारण किसान बर्बाद होने के कगार पर हैं. उन्होंने बताया कि गुजरात से राजस्थान को अपने हिस्से का 2200 क्यूसेक पानी मिलना चाहिए था, लेकिन पानी हजार से 12 सौ क्यूसेक मिल रहा है. जिसके कारण मुख्य कैनाल सहित वितरिकाओं व माइनरों में अंतिम टेल तक पानी नहीं पहुंच रहा है. जिससे आम किसान रबी की फसलों की बुवाई समय पर नहीं कर पा रहे है.
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किसानों का कहना है कि उन्होंने लाखों रुपये का कर्ज लेकर खेतों में बीज डालकर बुवाई कर दी है, लेकिन पानी के अभाव में सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं. अब किसानों के सामने यह संकट उत्पन्न हो गया है कि कर्ज लेकर फसलों की बुवाई करने के बाद पानी के बिना फसल उगेगी नहीं तो वो आने वाले समय में ऋण कैसे चुका पाएंगे.
गुजरात सरकार की लापरवाही से नहीं पहुंच रहा है पानी...
नर्मदा नहर में पहली बार पानी 2008 में आया था. उस समय गुजरात व राजस्थान में भाजपा की सरकार थी और राजस्थान में वसुंधरा राजे व गुजरात में नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे, लेकिन अब हालात दूसरे हैं. राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और गुजरात में भाजपा की सरकार है. सरकारों में तालमेल का अभाव व नहर में लम्बे समय से सफाई नहीं होने के कारण राजस्थान के हिस्से का पानी गुजरात से राजस्थान नहीं आ रहा है. जिसके कारण भारी संख्या में किसान गुजरात सरकार के खिलाफ धरने पर डटे हुए है.