जैसलमेर. पश्चिमी राजस्थान और खासकर जैसलमेर में जहां चारों तरफ रेतीले-धोरे और रेत का समंदर ही दिखाई देता है. यहां के लोगों के साथ किसानों को बेसब्री से बारिश का इंतजार रहता है, लेकिन पिछले दिनों की बारिश आफत बनकर बरसी और किसानों से उनका सुकून छीन लिया.
पिछ्ले दिनों हुई बारिश के चलते जैसलमेर के कई ग्रामीण इलाकों में बाढ़ के हालात उत्पन्न हो गए और नदी-नाले अपने उफान पर थे. बात करें तो कई ग्रामीण इलाकों की जो तस्वीरें सामने आई है, वो बहुत ही भयानक है. कई किसानों के खेतों के धोरे (खेत की पक्की बाड़) टूटे धोरे तबाही की कहानी कह रहे हैं. आफत की बारिश ने कई किसानों की खड़ी फसलों के साथ ही उनके आशियाने और कृषि यंत्र को अपने साथ बहाकर ले गई. सोमवार से लेकर शुक्रवार हो गया है, लेकिन इस तबाही के इतने दिन बाद भी अब तक इन किसानों की सुध लेने ना तो कोई सरकारी नुमाइंदा पहुंचा और ना ही इन किसानों के नाम पर राजनीति करने वाले और खुद को किसानों का चहेता बताने वाले कोई राजनेता.
जैसलमेर के जोधा गांव सहित आधा दर्जन से अधिक ढाणियों में बारिश ने सितम ढाया है. यहां खाली पड़े खेत और टूटी झोपड़ियां और पानी आफत की सारी कहानी कह रहे हैं. ईटीवी भारत ने जोधा गांव पहुंचकर मौके का जायजा लिया और किसानों से बात की. जिसमें किसानों ने अपनी पीड़ा और व्यथा बयां की.
किसानों के आंखों के सामने बह गया उनका घर
किसान राजू सिंह ने बताया कि वे खेत में बनी ढाणी में अपने परिवार के साथ रहते हैं. किसान उस भयावह मंजर को याद करते हुए बताते हैं कि सोमवार को दिन का समय था और बारिश आ रही थी कि एकाएक उनके खेत में पानी की आवक बढ़ी. उन्होंने अपनी झोपड़ी से बाहर आकर देखा. पानी तेज गति से खेत की बाड़ को तोड़ते हुए आ रहा था, ऐसे में उन्होंने अपने छोटे बच्चों को अपने कंधों पर बिठाया और उसे सुरक्षित स्थान पर ले गए. इसी दौरान उनकी आंखों के सामने पानी ने उनके आशियाने को बिखेर दिया और अपने साथ सब कुछ बहाकर ले गया. उनका कहना है कि समय रहते उन्होंने अपने परिवार और पशुधन को खेत से बाहर निकाल दिया. जिससे उन सब की जान बच गई, नहीं तो यह पानी उनकी झोपड़ी सहित पूरे परिवार के लिए खतरा बन जाता.
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तबाही झेल रहे इन किसानों के पास अब तक मदद भी नहीं पहुंची है. किसान बताते हैं कि पटवारी, तहसीलदार सहित कई अन्य सरकारी कर्मचारियों को अवगत करवाया गया लेकिन वह अब तक कोई सुध लेने भी नहीं आया.
फसल पूरी तरह बर्बाद, प्रशासन बेखबर
राजू सिंह कहते हैं कि उनकी पूरी फसल लगभग खराब हो चुकी है और उनका आशियाना पूरी तरह तबाह हो गया है. लेकिन वहीं दूसरी तरफ बैंक के ऋण के भुगतान सहित बिजली के बिल के लिए बार-बार विभाग की ओर से फोन आ रहे हैं. ऐसे में यदि सरकार समय रहते किसानों की सहायता नहीं करती है तो उनके पास केवल एक ही उपाय बचता है और वो है आत्महत्या.
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वहीं इलाके के बुजुर्ग किशन सिंह ने बताया कि करीब 60 साल पहले इस तरह की बारिश हुई थी. जिससे इस बरसाती नदी में खौफनाक बहाव आया था. इसके बाद बीते सोमवार को दोबारा इस मंजर को अपनी आंखों के सामने देखकर वो भी घबरा गए थे. किशन सिंह ने कहा कि 4 दिन बीत जाने के बाद भी अब तक कोई सरकारी नुमाइंदा यहां नहीं पहुंचा है. उन्होंने कहा कि प्रशासन को इस ओर ध्यान देकर किसानों के हुए नुकसान का सर्वे करवाकर उचित मुआवजा दिलवाना चाहिए.
सरकार से आस
किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि किसानों और ग्रामीणों को हुए नुकसान का आकलन कर उसकी भरपाई मुआवजे के रूप में करवाई जाए. जिससे गरीब किसानों को राहत मिल सके. किसानों ने सरकार से उन्होंने मदद की मांग की क्योंकि उनके पास कोई चारा नहीं बचा है.