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Exclusive : 'पद्मश्री' से नवाजे जाएंगे अनवर खान, जगजीत सिंह से लेकर ए.आर. रहमान तक रहे इनके मुरीद

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Published : Jan 26, 2020, 5:32 PM IST

Updated : Jan 26, 2020, 10:19 PM IST

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55 से अधिक देशों में प्रस्तुति दे चुके हैं अनवर खान.

भारत सरकार ने अनवर खान को प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार देने का एलान किया है. घोषणा के बाद से ही अनवर खान और उनके चाहने वाले बेहद खुश हैं. अनवर के नाम की घोषणा होते ही उनके घर बधाई देने वालों का तांता लग गया है. अनवर खान ने अवार्ड की घोषणा के बाद ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत की, पढ़ें, उनसे जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां...

जैसलमेर. कला के क्षेत्र में जैसलमेर अपनी एक अलग पहचान रखता है. लोक कला के क्षेत्र में पूरी दुनिया में जिले का नाम रोशन करने वाले अनवर खान के नाम अब एक बड़ी उपलब्धि दर्ज होने वाली है.

भारत सरकार ने अनवर खान को प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार देने का एलान किया है. घोषणा के बाद से अनवर खान और उनके चाहने वाले बेहद खुश हैं. अनवर के नाम की घोषणा होते ही उनके घर बधाई देने वालों का तांता लग गया है.

55 से अधिक देशों में प्रस्तुति दे चुके हैं अनवर खान.

अनवर की गायकी का एक अलग ही जादू है, जब वे लोक गीत गाते हैं, तो सुनने वाले एक अलग ही दुनिया में कहीं खो जाते हैं. थार के लोक संगीत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में अनवर खान का एक बहुत बड़ा योगदान रहा है.

जीवन परिचय...

अनवर खान का जन्म जैसलमेर जिले के छोटे से गांव बईया में साल 1960 में हुआ था. उनके पिता और दादा भी पेशे से एक लोक गायक ही थे. अनवर खान को संगीत विरासत में ही मिला. उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से उसे न केवल सहेजकर रखा, बल्कि देश और दुनिया में एक अलग पहचान भी दिलवाई.

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अनवर संगीत के सच्चे साधक रहे हैं, और उन्होंने जिससे भी सीखा दिल से सीखा. संगीत की प्रारम्भिक शिक्षा उन्होंने अपने पिता से ही ली. इसके अलावा उन्होंने चांदण मुल्तान और सदीक खान जैसे उस्तादों से लोक संगीत के गुर सीखे.

उपलब्धियां...

अनवर खान की ख्याति और काबिलियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि वे अब तक 55 से अधिक देशों में अपनी गायकी का नमूना पेश कर चुके हैं. इसके अलावा वे कई हिंदी फिल्मों में भी अपनी आवाज दे चुके हैं. विख्यात संगीतकार ए.आर. रहमान के साथ काम करने को अनवर बड़ी उपलब्धि मानते हैं. अनवर एक अच्छे सूफी गायक भी हैं.

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अनवर खान मारवाड़ी के अलावा राजस्थानी, हिंदी, उर्दू, पंजाबी के साथ ही सिंधी भाषा में भी गाने गा चुके हैं. वे गजल सम्राट स्वर्गीय जगजीत सिंह के साथ भी काम कर चुके हैं.

पुरस्कार और सम्मान...

अनवर खान की ख्याति देश-विदेश तक फैली है. लंबे समय से कला जगत में उनके योगदान के दौरान उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया है. उन्हें संगीत नाटक अकादमी नेशनल अवार्ड, मारवाड़ रत्न अवार्ड, मरुधरा अवार्ड और राजस्थान रत्न अवार्ड मिल चुका है. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उन्हें कई बार सम्मानित किया जा चुका है.

क्या कहते हैं अनवर खान...

अनवर खान का कहना है, कि शास्त्रीय संगीत की आत्मा लोक गीतों में बसती है. वे लोक संगीत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाना चाहते हैं. हालांकि, अनवर लोक संगीत के भविष्य को लेकर चिंतित हैं. वे कहते हैं, कि हमारी कला को सहेजकर रखा जाना बेहद आवश्यक है. अगर सरकार द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाली पीढ़ी तक यह कैसे पहुंच पाएगा.

Intro:SPECIAL EXCLUSIVE STORY

भारत-पाक सीमा पर बसा जैसलमेर जिला अपने पीले पत्थरों की वजह से पूरी दुनिया में विख्यात है, यहां जो भी आता है इसकी कला संस्कृति का कायल हो जाता है. यहां के धोरों की धरती की सोंधी महक के साथ जब यहां का लोक संगीत बजता है, तो हर कोई दीवाना होकर झूमने लगता है. यहां के लोक कलाकार देश दुनिया में अपनी लोक कला का परचम लहरा रहे हैं. आज जैसलमेर के छोटे से गांव बईया के लोक कलाकार अनवर खान को पद्मश्री अवार्ड से चुने जाने की खबर आने से जैसलमेर के लोक कलाकारों में एक और जहां खुशी की लहर है, वही अनवर खान को बधाई देने वालों का तांता सा लग गया है.


Body:लोक कला में जैसलमेर का नाम पूरी दुनिया में रोशन करने वाले अनवर खान जब लोकगीत गाते हैं तो प्रकृति में शहद सा घुल जाता है जो अनवर खान की गायकी का जादू है. थार के लोकगीत संगीत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने में अनवर खान की गायकी का अहम योगदान है. जैसलमेर जिले के छोटे से गांव बईया के लोक गायक रमजान खान के घर 1960 में अनवर खान का जन्म हुआ. उनके दादा भी लोक गायक थे, लोकसंगीत अनवर खान को परंपरा में मिला. अनवर लोकगीत संगीत के साधक है, चांदण मुल्तान, सदीक खान जैसे उस्ताद लोक गायकों के शागिर्द अनवर खान ने इनसे लोकगीत संगीत की बारीकियां सीखी. संपूर्ण भारत के साथ-साथ लगभग 55 देशों में अपनी गायकी का परचम लहरा चुके अनवर खान ने विख्यात संगीतकार ए.आर. रहमान की फिल्मों में भी गा चुके हैं, साथ ही कई हिंदी फिल्मों में अपनी लोक गायकी का भी जलवा बिखेर चुके हैं. लोक गायकी के अलावा अनवर खान बेहतरीन सूफी गायक भी है, जब अनवर खान सूफी में लोकगीत गाते हैं तो श्रोता मदमस्त होकर झूम उठते हैं. अनवर का अपना दल है जिसके माध्यम से देश विदेशों में लोक गीत-संगीत के कार्यक्रम करते हैं.


Conclusion:अनवर खान का मानना है कि शास्त्रीय संगीत की आत्मा लोकगीतों में बसती है. अनवर रागों में विश्वास नहीं रखते,अनवर का मानना है कि राग गीतों में होता है. उनका कहना है कि लोकगीत प्रकृति की देन है और वे प्रकृति का भरपूर आनंद उठाते हैं. अनवर को लोक गायक होने का गर्व है . मारवाड़ी, राजस्थानी, हिंदी, उर्दू, पंजाबी, सिंधी भाषा में गाने वाले अनवर खान लोक संगीत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाना चाहते हैं. अनवर खान की गायक का लोहा गजल गायक जगजीत सिंह भी मानते हैं, जगजीत सिंह की एल्बम पधारो म्हारे देश में मुख्य गीत का मुखड़ा अनवर खान ने गाया है. अनवर राजस्थानी तथा सूफी गायकी की मिसाल है. रेगिस्तान के इस लाल को जब पद्मश्री मिलने की खबर आई तो लोक कलाकार खुशी से झूम उठे तथा अनवर खान को फूल मालाओं से लादकर उन्हें बधाइयां दे रहे हैं, कि आपने लोक कलाकारों का नाम रोशन कर दिया. अनवर खान को अपनी आने वाली पीढ़ी की चिंता है और वे सरकार से मांग भी कर रहे हैं कि इन बच्चों को केवल गाना बजाना ही आता है तो इनके लिए संगीत स्कूल-कॉलेज की व्यवस्था करवाएं साथ ही बुजुर्ग कलाकारों को पेंशन से भी जोड़ें ताकि वह अपना गूजर बसर कर सकें.

ख्याति प्राप्त कलाकार अनवर खान को इससे पहले कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है. पिछले साल उन्हें संगीत नाटक अकादमी नेशनल अवार्ड 2017 भी मिल चुका है, इसके साथ ही अनवर खान को मारवाड़ रत्न, मरुधरा अवार्ड और राजस्थान रत्न के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई बार सम्मानित किया जा चुका है.

बाईट-1- अनवर खान, लोक कलाकार
Last Updated :Jan 26, 2020, 10:19 PM IST
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