जयपुर. 16 अक्टूबर, 1846 में विलियम टीजी मोर्टन ने एनेस्थीसिया (Anesthesia by William TG Morton) का सबसे पहले सफल प्रयोग किया था. जिसके बाद वर्ल्ड फेडरेशन सोसाइटी ऑफ एनेस्थिसियोलॉजिस्ट (World Federation Society of Anesthesiologists) की ओर से हर साल दुनियाभर के देशों में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से आज के दिन विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.
वहीं, अगर बात प्रदेश की मौजूदा स्थिति की करें तो राजस्थान में एनेस्थिसियोलॉजिस्ट की भारी कमी है. जिसके कारण कई बार मरीजों को खासा दिक्कतें पेश आती हैं. जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज (Sawai Man Singh Medical College) से जुड़े विभिन्न अस्पतालों की बात करें तो हर दिन 100 से अधिक ऑपरेशन किए जाते हैं. बावजूद इसके प्रदेश में सिर्फ 60 एनेस्थिसियोलॉजिस्ट ही मौजूद हैं.
आलम यह है कि एनेस्थिसिया से जुड़े एक चिकित्सक को कई बार 2 से 3 ऑपरेशन करने पड़ते हैं. सवाई मानसिंह अस्पताल के एनेस्थीसिया विभाग के प्रमुख डॉ. राजेश शर्मा ने बताया कि ऑपरेशन में सर्जन के साथ-साथ एनेस्थिसियोलॉजिस्ट की भूमिका भी अहम (role of anesthesiologist) रहती है. इसके अलावा पेन मैनजमेंट, क्रिटिकल केयर, एमरजेंसी और पैलिएटिव मैडिसिन का काम एनेस्थिसियोलॉजिस्ट के जिम्मे में रहता है.
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क्या है एनेस्थिसिया?: एनेस्थीसिया एक दवा है, जिसका इस्तेमाल सर्जरी से पहले मरीज को बेहोश करने के लिए किया जाता है. ताकि सर्जरी के दौरान मरीज को दर्द महसूस न हो. मरीज को एनेस्थीसिया निश्चित समय पर यानी (सर्जरी होने तक) के लिए दिया जाता है. इसके बाद मरीज को होश आ जाता है. लकवा, कैंसर आदि रोग में दर्द कम करने के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है.