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स्पेशल रिपोर्ट: भट्टें की चिमनी में जल रहा 'बचपन', मजदूरी की आग में झुलस रही मासूमों की जिंदगी

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Published : Feb 12, 2020, 11:01 AM IST

बाल श्रम को लेकर सरकार चाहे जितने कानून बना ले, सख्ती कर ले. लेकिन, चोरी छुपे ही सही बाल श्रम बदस्तूर जारी है. राजधानी जयपुर से मात्र 30 किलोमीटर दूर रेनवाल मांजी में मासूमों का बचपन, मेहनत मजदूरी की आग में जल रहा है. यहां खुलेआम बाल श्रम कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है. ईटीवी भारत की पड़ताल में रेनवाल मांजी में करीब 40 ईंट भट्टों में से अधिकतर भट्टों पर मासूम बच्चे हाथों में पेन की जगह ईंटों को आकार देते नजर आए. देखिए जयपुर से स्पेशल रिपोर्ट...

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जयपुर में ईंट भट्टों पर बाल श्रम

फागी (जयपुर). केंद्र हो या राज्य सरकार बाल मजदूरी पर रोक के बड़े-बड़े दावे करती है. लेकिन इसके बाद भी ना तो बाल मजदूरी रुकी ना मासूमों पर अत्याचार. इन सब पर सोचने को मजबूर करने वाली तस्वीरें राजधानी जयपुर से महज 30 किलोमीटर दूर जयपुर- भीलवाड़ा मेगा हाइवे पर स्थित रेनवाल मांजी से आई है. जहां पर सैकड़ों बच्चों से बाल मजदूरी कराई जा रही है.

खुलेआम उड़ाई जा रही बाल श्रम कानून की धज्जियां

बिहार और दूसरे प्रदेशों आए मजदूर परिवारों के साथ उनके बच्चे भी इन भट्टों में पीस रहे हैं. इनता ही नहीं रेनवाल मांजी क्षेत्र में ईंट भट्टे पर खुलेआम बाल श्रम कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है. ईंट भट्टे पर छोटे-छोटे मासूम बच्चे ईंटों को बोझ ढोने का काम कर रहे हैं.

स्पेशल रिपोर्ट: भट्टें की चिमनी में जल रहा 'बचपन'

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ईटीवी भारत पहुंचा मजदूरी कर रहे बच्चों के पास

सरकार भले ही बच्चों की शिक्षा के लिए बड़े-बड़े दावे करती हो. लेकिन हकीकत वहीं है जो यहां से सामने आई है. जिन बच्चों के हाथ में कॉपी किताब होने चाहिए. उन बच्चों के हाथ मजदूरी की मिट्टी में सने नजर आ रहे है और भट्टा मालिक इन मासूम बच्चों से काम कराने में जरा भी हिचक महसूस नहीं कर रहा है. जिन बच्चों के सिर पर बड़ों का हाथ होना चाहिए. माता-पिता का आशीर्वाद होना चाहिए, ईंट भट्टों पर इनके सिर पर टोकरियां दिखाई पड़ रही है. वहीं जब यहां काम कर रहे बच्चों से बात की तो वो बताते है कि पिछले कई सालों से लगातार यहां काम कर रहे हैं और रोज करीब 2 से 5 घंटे यहां मजदूरी करते हैं. वहीं पढ़ाई के बारे में जब पूछा तो कुछ नहीं बोल पाए.

श्रम विभाग की आंखें कब खुलेगी

उधर, बच्चों से मजदूरी कराई जा रहा है, इधर, जिले का श्रम विभाग आंख मूंदे बैठा हुआ है. जब इस पूरे मामले पर ईटीवी भारत ने फागी एसडीएम धर्मराज गुर्जर से बात की गई, तो साहब की बोलती बंद हो गई और बगले झांकने लगे. फिर वो ही हमेशा वाला जवाब कहा की मामला मेरी जानकारी में आया है. टीम गठित कर के जल्द कार्रवाई करेंगे. उन्होंने पूरे मामले की जांच कहने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया.

मजदूरों की पुलिस वेरिफिकेशन भी नहीं

ईंट भट्टों पर काम करने वाले मजदूर अन्य राज्यों से ठेकेदार के द्वारा यहां पर आते है. लेकिन, यहां आने के बाद ना तो ठेकेदार के पास इनका कोई रिकॉर्ड रहता है और ना ही पुलिस प्रशासन की ओर से इनका पुलिस वेरिफिकेशन किया जाता है. जिससे क्षेत्र में लगातार आपराधिक मामले भी बढ़ रहे है. फागी सीआई भंवर लाल ने कहा कि मामला मेरी जानकारी में आया है, जल्द ठेकेदार को तलब कर सभी का वेरिफिकेशन किया जाएगा.

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आखिर कब होगी कार्रवाई

यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि मासूम बच्चों से मजदूरी करवाना ही सबसे बड़ा अपराध है. तस्वीरें सामने हैं ऐसे में जांच के नाम पर लीपापोती, क्यूं तत्काल मौके पर पहुंचकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने से जिम्मेदार अधिकारी क्यों कतरा रहे है, श्रम विभाग के अधिकारी आखिर अपनी ड्यूटी कब निभाएंगे और इनके खिलाफ भी कार्रवाई कब होगी. ये देखना होगा.

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