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राजस्थान पुलिस स्थापना दिवस पर सेमिनार: भविष्य में बढ़ सकता है साइबर क्राइम, डिजीटल तकनीक में पारंगत होना जरूरी

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Published : Apr 17, 2023, 7:00 PM IST

राजस्थान पुलिस के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में सोमवार को राजस्थान पुलिस अकादमी में 'भारतीय पुलिस: वर्तमान समय की चुनौतियां और भविष्य के लिए रोड मैप' विषय पर सेमिनार आयोजित हुआ. इस मौके पर सीआरपीएफ के पूर्व डीजीपी के. विजय कुमार, महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी डी. शिवानंदन और सुरक्षा सलाहकार शांतनु मुखर्जी ने विचार रखे.

राजस्थान पुलिस स्थापना दिवस सेमिनार में बोले वक्ता
राजस्थान पुलिस स्थापना दिवस सेमिनार में बोले वक्ता

राजस्थान पुलिस स्थापना दिवस सेमिनार में बोले वक्ता

जयपुर. राजस्थान पुलिस स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में सोमवार को राजस्थान पुलिस अकादमी में सेमिनार का आयोजन किया गया. 'भारतीय पुलिस: वर्तमान समय की चुनौतियां और भविष्य के लिए रोड मैप' विषय पर हुए इस सेमिनार में सीआरपीएफ के पूर्व डीजीपी के. विजय कुमार, महाराष्ट्र के पूर्व डीजी डी. शिवनंदन और सुरक्षा सलाहकार शांतनु मुखर्जी ने संबोधित किया.

सेमिनार में यह बात प्रमुखता से निकलकर आई कि भविष्य में साइबर तकनीक से होने वाले अपराधों में बढ़ोतरी हो सकती है. इसलिए पुलिसकर्मियों को इस प्रकार के क्राइम पर रोकथाम के लिए डिजीटल तकनीक में पारंगत होना जरूरी होगा. समय के साथ पुलिसकर्मियों को भी अपडेट होना बहुत जरूरी है. सीआरपीएफ के पूर्व डीजीपी के. विजय कुमार ने सेमिनार में कहा कि आज शिक्षित और संभ्रांत परिवारों के बच्चे भ्रमित होकर अपराधी की दुनिया में जा रहे हैं जो बहुत ही चिंताजनक है. उन्होंने पुलिस के सामने आगामी समय में आने वाली चुनौतियों के बारे में यह बात कही. उन्होंने अपराध की रोकथाम के लिए इमरजेंसी रेस्पोंस स्टेशन की जरूरत पर बल दिया.

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पड़ोसी देशों की राजनीतिक उथल-पुथल का भी असर
पूर्व डीजीपी ने कहा कि साइबर अपराध की रोकथाम के लिए पुलिसकर्मियों को डिजीटल तकनीक की व्यापक जानकारी होना जरूरी है. आज उच्च शिक्षित युवा अपराध के रास्ते पर चल रहा है. उसे रोकने और शातिर अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस को एक कदम आगे रहना होगा. उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों में होने वाली राजनीतिक या सामाजिक उथल-पुथल का भी हमारे जीवन पर व्यापक असर होता है. इसे समझने के लिए व्यापक दृष्टिकोण की दरकार है. पूर्व डीजीपी के. विजय कुमार ने ही कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन पर नकेल कसने के लिए बनाई गई एसटीएफ का नेतृत्व किया था.

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आर्थिक गतिविधियों से बढ़ रहे संगठित अपराध
महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी डी. शिवनंदन ने महाराष्ट्र और खास तौर पर मुंबई में पनपे माफिया गिरोहों और अंडरवर्ल्ड के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि आर्थिक गतिविधियों के कारण संगठित अपराध बढ़ रहे हैं. इसे रोकने के लिए विशेष सतर्कता की जरूरत है. उन्होंने कहा कि मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है. वहां लंबे समय तक माफिया और अंडरवर्ल्ड का दबदबा रहा. कोई क्षेत्र ऐसा नहीं था जिसे अंडरवर्ल्ड ने चुनौती नहीं दी हो. उन्होंने कहा कि भविष्य में साइबर तकनीक ही अपराधों का केंद्र बिंदु होगा. उन्होंने यह भी बताया कि वे एक स्वयंसेवी संगठन चलाते हैं जो 11 मिलियन लोगों को भोजन मुहैया करवा चुका है.

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मिलीभगत करने वालों पर जरूरी है सख्ती
उत्तर प्रदेश कैडर के रिटायर्ड आईपीएस शांतनु मुखर्जी ने कहा कि आज संगठित अपराध पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है. इस पर प्रभावी अंकुश लगाने में माफिया गिरोहों के साथ कुछ पुलिसकर्मियों की मिलीभगत बड़ी बाधा है. इसलिए संगठित माफिया और आपराधिक गिरोहों से मिलीभगत करने वाले पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई की जरूरत है. इससे इमानदारी से काम करने वाले पुलिसकर्मियों की मेहनत बेकार नहीं जाएगी. शांतनु मुखर्जी ने विदेश मंत्रालय में भी सेवाएं दी हैं. सेवानिवृत्ति के बाद वे 2010 से 2015 तक मॉरीशस के प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी रहे. फिलहाल वह एक थिंक टैंक के सलाहकार हैं.

तकनीक के साथ परंपरागत पुलिसिंग जरूरी
राजस्थान के डीजीपी उमेश मिश्रा ने कहा कि सेमिनार में वक्ताओं ने जो बातें कही वह हर पुलिसकर्मी के लिए उपयोगी है. पुलिस के लिए अत्याधुनिक और नई तकनीक के साथ ही परंपरागत पुलिसिंग का अहम स्थान है. उन्होंने पुलिसकर्मियों को हर समय अपने आप को अपडेट करते रहने पर जोर दिया और कहा कि ज्ञान और सही दृष्टिकोण के साथ काम करना आज के दौर में सबसे ज्यादा जरूरी है.

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