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जयपुर के सरकारी दफ्तरों में शीतलाष्टमी पर 15 को रहेगा अवकाश, चाकसू में भरेगा मेला

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Published : Mar 14, 2023, 3:15 PM IST

राजस्थान में शीतलाष्टमी का विशेष महत्व है. यहां इस पर्व को काफी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. जयपुर के जिला कलेक्टर ने इस दिन के लिए अवकाश भी घोषित कर दिया है. जाने क्या है शीतला माता के इस विशेष पर्व की कहानी.

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जयपुर के सरकारी दफ्तरों में शीतलाष्टमी पर 15 को रहेगा अवकाश

जयपुर. शीतला अष्टमी के अवसर पर बुधवार को जयपुर जिले में सरकारी अवकाश रहेगा. इस अवसर पर चाकसू में शीतला माता का बड़ा मेला भी भरा जाएगा. चाकसू में होने वाले मेले को लेकर जिला प्रशासन की ओर से पूरी तैयारियां कर ली गई है. जयपुर जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए जयपुर जिले में शीतला अष्टमी के अवसर पर अवकाश घोषित कर चुके है. इस दौरान स्कूलों में भी अवकाश रहेगा और जिन शैक्षिक संस्थानों में परीक्षा है वहां तय समय पर परीक्षा आयोजित की जाएगी.

दो दिन तक चलेगा मेलाः शीतला अष्टमी के अवसर पर चाकसू स्थित शील की डूंगरी पर शीतला माता का मेला आयोजित होगा जो दो दिन तक चलेगा. इस दिन शीतला माता के ठंडे पकवानों का भोग भी लगाया जाएगा. इस मेले में प्रदेश ही नहीं देश भर के माता के भक्त पहुंचते हैं. मंगलवार दोपहर बाद राँधा पुआ के तहत महिलाएं पकवान बनाएगी और अगले दिन बुधवार को शीतला माता को इन्ही ठंडे पकवानों का भोग लगाया जाएगा. शीतला माता को भोग लगाने के लिए मूंग मोठ, पुआ, पकौड़ी, दही राबड़ी चावल आदि पकवान मनाए जाते हैं. इस दिन लोग शीतला माता के ठंडे पकवानों का भोग लगाकर अपनी मनोकामना भी मांगते हैं. ऐसा माना जाता है कि शीतला माता के ठंडे पकवानों का भोग लगाने से वह प्रसन्न होती है और मनोकामना पूर्ण करती हैं. चैत्र कृष्ण पक्ष अष्टमी पर जयपुर के चाकसू स्थित शील की डूंगरी पर शीतला माता का मेला भरता है.

जाने क्या है शीतला माता की कहानीः ऐसी मान्यता है कि शीतला माता एक बार बुजुर्ग महिला का रूप धरकर शील की डूंगरी पहुंचीं. माता जानना चाहती थी कि कौन-कौन लोग उनकी पूजा करते हैं. यहां घूमने के दौरान किसी ने माता पर चावलों का गर्म पानी डाल दिया जिससे माता का शरीर बुरी तरह से झुलस गया और शरीर पर छाले पड़ गए. गांव में जाकर माता ने कई लोगों से मदद भी मांगी, लेकिन किसी ने भी उनकी मदद नहीं की. इस दौरान माता एक कुम्हार के घर पहुंची जहां कुम्हार की पत्नी ने उन्हें अपने घर में बुलाया. कुम्हार की पत्नी ने माता पर मटके का ठंडा पानी डाल दिया, जिससे शीतला माता की पीड़ा कम हुई. कुम्हार की पत्नी ने रात की बनी हुई रबड़ी और दही भी माता को खाने के लिए दिया. माता ने प्रसन्नता से रबड़ी और दही खा लिया. रात का बासी खाना खाने से माता को आराम मिला. माता के बिखरे हुए बालों को ठीक करने के दौरान कुम्हार की पत्नी को पीछे तीसरी आंख भी दिखाई दी यह देखकर कुम्हार की पत्नी डर गई. इस पर माता ने अपना परिचय दिया और कहा कि वह शीतला माता है और यह देखने आई थी कि कौन-कौन लोग उसे मानते हैं.

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कुम्हार की पत्नी को माता ने दिया वरदानः शीतला माता का रूप देखकर कुमार की पत्नी ने उन्हें कहा कि मेरे घर में तो चारों तरफ गंदगी फैली हुई है, मैं आपको कहां बैठाऊ. इस पर शीतला माता कुम्हार के गधे पर बैठ गईं. शीतला माता ने कुम्हार की सारी दरिद्रता दूर कर दी और कुम्हार की पत्नी से खुश होकर वर मांगने को कहा. इस पर कुम्हार की पत्नी ने कहा कि आप हमारे ही गांव में निवास करें और जो भी लोग आप की पूजा करें ठंडे पकवानों का भोग लगाएं आप उनकी मनोकामना पूरी करें. माता ने कुम्हार की पत्नी का वरदान पूरा होने का आशीर्वाद भी दिया. शीतला माता ने कुम्हार की पत्नी को कहा कि कल पूरे गांव में आग लगेगी. तुम इस घड़े का पानी अपने घर के चारों तरफ छिड़क देना तुम्हारे घर पर आग नहीं लगेगी. इस पर कुम्हार की पत्नी ने घड़े का पानी अपने घर के चारों तरफ से रख लिया. दूसरे दिन पूरे गांव में आग लग गई लेकिन कुम्हार की पत्नी के घर में आग नहीं लगी.

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राजपरिवार ने बनवाया माता का बड़ा मंदिरः चमत्कार देखकर सभी लोग आश्चर्यचकित हो गए और राजा के दरबार में पहुंचे. राजा ने कुम्हार की पत्नी को अपने दरबार में बुलाया और उससे पूछा कि आग में तुम्हारा घर क्यों नहीं जला. इस पर कुम्हार की पत्नी ने कहा कि मेरे घर शीतला माता आई थी और उनकी कृपा से ही ऐसा चमत्कार हुआ है. राजा ने सभी को आदेश दिया कि सभी लोग शीतला माता की पूजा-अर्चना करेंगे और उन्हें ठंडे पकवानों का भोग लगाएंगे. शील की डूंगरी पर जयपुर राजपरिवार की ओर से शीतला माता का एक बड़ा मंदिर भी बनवाया गया और हर साल चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर वहां एक भव्य मेला आयोजित किया जाता है. जिसमें माता के देशभर के श्रद्धालु माता के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं. माता को ठंडे पकवानों का भोग भी लगाते हैं. जयपुर राजपरिवार के पूर्व महाराजा माधो सिंह की ओर से शीतला माता का मंदिर शील की डूंगरी पर बनवाया गया था और आज भी माता के पहला भोग जयपुर राज परिवार की ओर से ही ठंडे पकवानों का लगाया जाता है.

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