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सतीश पूनिया ने लिखा सीएम गहलोत को पत्र, कहा- बिपरजॉय तूफान से प्रभावित लोगों को तत्काल मिले सहायता

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Published : Jun 24, 2023, 11:23 AM IST

Satish Poonia and CM Gehlot
सतीश पूनिआ और सीएम गहलोत

उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया ने शनिवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा. पत्र के जरिए पूनिया ने कहा कि बिपरजॉय तूफान से विशेषकर पश्चिमी राजस्थान में कुछ जगह जनहानि भी हुई है और कुछ जगह लोगों की आजीविका का सहारा पशुधन भी बहकर काल कवलित हो गया है. इसलिए प्रभावित क्षेत्रों को हर तरीके की सहायता सहयोग अविलंब उपलब्ध कराई जाए.

जयपुर. पिछले दिनों बिपरजॉय तूफान के कहर से प्रदेश के कई जिलों में जान-माल की हानि हुई है. विशेषकर पश्चिमी राजस्थान में कुछ जगह जनहानि भी हुई है और कुछ जगह लोगों की आजीविका का सहारा पशुधन भी बहकर काल कवलित हो गए. बिपरजॉय तूफान से प्रभावित हुए लोगों की समस्याओं को देखने उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया ने पश्चिमी राजस्थान के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया. हालातों की ग्राउंड रिपोर्ट देखने के बाद पूनिया ने आते ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा.

पश्चिमी क्षेत्र में हुआ ज्यादा नुकसान : पूनिया ने अपने पत्र में कहा कि पिछले दिनों आए बिपरजॉय तूफान से राजस्थान का विशेषकर पश्चिमी क्षेत्र बाड़मेर, जोधपुर, पाली जालोर सिरोही और अजमेर विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं. आपने भी हवाई सर्वेक्षण किया है. आपके प्रवास के बाद मैनें भी बाड़मेर और जालोर के कुछ क्षेत्रों की जमीनी हकीकत जानने के लिए दौरा किया है. बहुत दूरस्थ गावों-ढाणियों तक पैदल चलकर प्रत्यक्ष देखने पर जो दृश्य दिखा वह बहुत कष्टकारक है.

Satish Poonia Letter to CM Gehlot
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अभी भी कई गांव-ढाणियां और घर जल प्लावित होकर टापू बने हुए हैं. लोगों के झोपड़े और कच्चे घर सहित पक्के मकानों को भी भारी नुकसान हुआ है. कुछ जगह जनहानि भी हुई है और कुछ जगह लोगों की आजीविका का सहारा पशुधन भी बहकर काल कवलित हो गया है. पानी अब भी जमा है और निकासी के उपाय भी दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं. विद्युत आपूर्ति पूर्णतया बाधित है. पानी ठहराव के कारण संक्रमण से बीमारियां फैलाने का अंदेशा बरकरार है.

पढ़ें : CM गहलोत पर पूनिया का तंज, कहा- हवाई सर्वे कर लिया अब थोड़ा जमीनी कर लें, बाढ़ राहत भी 'महंगाई राहत' की तरह साबित हो गई

प्रभावित लोगों की नहीं ली किसी ने सुध : पूनिया ने आगे लिखा कि इस प्रवास के दौरान जो मुख्य बातें सामने आई हैं वो यह कि बहुत दूरस्थ क्षेत्रों में तो राज्य सरकार का कोई अधिकारी, कर्मचारी अभी तक प्रभावित क्षेत्र के लोगों की सुध बुध लेने नहीं गया है. यह सरकारी दावों के विपरीत आश्चर्यजनक सत्य है. प्रदेश के इन पीड़ित प्रभावित लोगों की तकलीफ की घड़ी में हम सब साथ हैं. यह पीड़ा की सियासत से परे है. इसलिए एक सार्थक और सकारात्मक विपक्ष के नाते 'ग्राउंड जीरो' पर जो मैनें देखा वो आपको इस पत्र के माध्यम से साझा किया है.

Satish Poonia Tweet
पूनिया का ट्वीट...

पूनिया के साझाव :

  1. प्रत्येक जिले की प्रशासनिक मशीनरी को सक्रिय कर उनको वस्तुस्थिति जानने के लिए दूरस्थ अंतिम छोर की गांव ढाणियों घरों तक भेजकर नुकसान की रिपोर्ट/सर्वे किया जाए.
  2. इस दौरान जिन लोगों को जो-जो भी नुकसान हुआ है, जनहानि, पशु हानि, छप्पर, झोपडी, कच्चे मकान, पक्के मकान, गौशालाएं, दुकान, व्यापार उनका आकलन करके तुरंत मुआवजा प्रदान किया जाए. उदाहरणार्थ सांचौर के व्यापार मंडल ने व्यापारियों के नुकसान का उल्लेख किया है. वहीं, केसूरी और सरवाणा के मध्य कोलियों की बस्ती में दानाराम की इसी दौरान मौत हुई है. कालू कोली की जैसे काल कवलित हो गई हैं और उसका आजीविका का सहारा छिन गया. गंगासरा में एक ही परिवार के दो बच्चे डूब गए. ऐसे बहुत से उदाहरण हैं, इसलिए मशीनरी को युद्ध स्तर पर सक्रिय कर पीड़ितों तक पहुंचें और राहत पहुंचाएं.
  3. मौके पर पाया कि जल भराव वाले क्षेत्रों में अतिक्रमण या पानी को रोकने या डायवर्जन नहीं होने से बस्तियां जलमग्न हुईं और पानी घरों तक पहुंचा है. इसका भी तत्काल सर्वे कर भविष्य में पानी निकासी के सुदृढ़ व्यवस्था की कार्य योजना अवश्य बनाएं. देखने में आया कि कुछ स्थान सामान्य बारिश में भी जलमग्न हो जाते हैं और न केवल उनका संपर्क शेष जगह से कट जाता है, बल्कि स्कूल जैसी संस्थाएं टापू बन जाती हैं और बच्चे साल-साल भर तक स्कूल नहीं जा पाते हैं. बाड़मेर के चौहटन के बावतलाई गांव का दृश्य ऐसा ही था. इन जगह पर तत्काल सहायता उपलब्ध हो.
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