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RAJASTHAN SEAT SCAN: दूदू में निर्दलीय नागर की फिर होगी जय-जयकार या गढ़ में लगेगी सेंध, पासा पलटा तो बिगड़ सकता है खेल

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Published : May 24, 2023, 5:52 PM IST

Updated : Dec 1, 2023, 6:19 PM IST

राजस्थान में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा (Dudu ASSEMBLY CONSTITUENCY SEAT) चुनाव के लिए राजनीतिक दल जमीनी रणनीति बनाने में जुटे हैं. वहीं, राजनीतिक दलों के बीच जारी आरोप-प्रत्यारोप के कारण सियासी पारा हाई होता जा रहा है. चुनावी रण में भाजपा जहां सत्ता छीनने के लिए उतर रही है, वहीं, सीएम अशोक गहलोत सरकार रिपीट करने के लिए दांव खेल रहे हैं. इस बीच आज हम आपको दूदू विधानसभा सीट का लेखा-जोखा बता रहे हैं. इस सीट पर कौन है भारी और किसकी क्या है तैयारी जानिये इस रिपोर्ट में.

RAJASTHAN SEAT SCAN,  Dudu ASSEMBLY CONSTITUENCY SEAT
दूदू विधानसभा सीट.

जयपुर. राजस्थान की सियासी जमीन धीरे-धीरे 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए तैयार होने लगी है. चुनाव नजदीक आने के साथ ही कांग्रेस-बीजेपी समेत अन्य सभी राजनीतिक दल सियासी चौसर पर पासा अपने अनुरूप चलने लगे हैं. कांग्रेस जहां इस चुनाव में हर पांच साल में सरकार बदलने की रीति को तोड़ने के लिए मैदान में उतर रही है, वहीं भाजपा सत्ता के ताज को कांग्रेस से छीनकर अपनी झोली में डालने के लिए रणनीति बना रही है.

इसकी शुरुआत पीएम नरेंद्र मोदी के 31 मई को अजमेर में होने वाले सभा से हो रही है. वहीं, कांग्रेस को जीत का ताज दोबारा पहनाने के लिए सीएम अशोक गहलोत जनकल्याणकारी योजनाओं की बदौलत चुनावी रणनीति को तैयार करने में लगे हैं. इन सभी के बीच आज हम आपको दूदू विधानसभा सीट का हाल बता रहे हैं. इस सीट पर वैसे तो बाबूलाल नागर बड़ा नाम है. 1998 से 2018 तक हुए पांच चुनाव में चार बार जीत चुके नागर इस बार निर्दलीय विधायक हैं, लेकिन सीएम के खास हैं. सीएम से नजदीकियों का फायदा दूदू को काफी मिला है.

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पिछले चुनाव का परिणाम.

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पंचायत समिति से सीधे जिले की सौगातः जयपुर की दूदू विधानसभा सीट शायद देश की एक मात्र सीट होगी जिसे पंचायत समिति से सीधे जिला बनने का गौरव हासिल हुआ है. इस सीट से निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़कर पिछले चुनाव में जीतने वाले विधायक बाबूलाल नागर की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नजदीकी किसी से छिपी नहीं है. साल 2018 में कांग्रेस के बागी के तौर पर बाबूलाल नागर ने चुनाव लड़ा और कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी को तीसरे नंबर पर धकेल दिया. अब इस बार फिर बाबूलाल नागर कांग्रेस से टिकट चाहते हैं और अपने क्षेत्र में यह कहते नजर आते हैं कि दूदू की जनता के लिए बाबूलाल नागर ही भाजपा, बाबूलाल नागर ही कांग्रेस और बाबूलाल नागर ही आरएलपी हैं.

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आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल व पूर्व विधायक प्रेमचंद.

...तो पायलट समर्थकों की नाराजगी झेलनी होगीः अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व दूदू विधानसभा सीट पर बाबूलाल नागर ने 4 चुनाव लड़ा और जीत हासिल की है. बाबूलाल नागर ने 1998, 2003 और 2008 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ते हुए जीत हासिल की. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें मंत्री भी बनाया, लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में बाबूलाल नागर दुष्कर्म के आरोपों के कारण जेल में थे. ऐसे में कांग्रेस ने उनके भाई हजारीलाल नागर को टिकट दिया. हजारीलाल भाजपा के डॉक्टर प्रेम चंद बैरवा से चुनाव हार गए. इसके बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट के विरोध के चलते बाबूलाल नागर का टिकट कटा, नागर ने कांग्रेस के बागी के तौर पर ताल ठोकी और जीत गए.

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मतदाताओं की यह है स्थिति.

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नागर का बढ़ा सियासी कद, पर चुनौती बरकरारः दूदू विधानसभा क्षेत्र को जिले की सौगात मिलने के बाद निश्चित रूप से बाबूलाल नागर का सियासी कद यहां बढ़ा है. बाबूलाल नागर इस विधानसभा क्षेत्र से वैसे भी मजबूत कैंडिडेट हैं, क्योंकि पिछले 25 साल के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो चार बार जीत का ताज नागर के सिर पर ही सजा है. इस लिहाज से यह माना जा रहा है कि चुनावी मैदान में बाबूलाल नागर को कांग्रेस यहां से उतार सकती है. बाबूलाल नागर वर्तमान में निर्दलीय विधायक हैं, लेकिन वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार भी हैं. अगर कांग्रेस से टिकट मिलता भी है तो भी नागर के सामने कई चुनौतियां होंगी.

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दूदू में बाबूलाल नागर का है बड़ा प्रभाव.

भाजपा के साथ ही उनके क्षेत्र में पिछले चुनाव में चौथे नंबर पर रही हनुमान बेनीवाल की आरएलपी भी अपनी भूमिका निभा सकती है. इसके साथ ही बाबूलाल नागर और सचिन पायलट के बीच राजनीतिक दूरियों के कारण पायलट समर्थकों की दूरी का सामना भी नागर को करना पड़ सकता है. पायलट समर्थक वोट भाजपा के साथ जाता है या आरएलपी के साथ इसे आने वाला समय ही बताएगा. राजनीतिक जानकारों की मानें तो कांग्रेस से नागर को टिकट मिलने के बाद अगर आरएलपी या भाजपा जाट और गुर्जर के गठजोड़ को बनाने में कामयाब रही तो दांव पलट भी सकता है.

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पिछले चार चुनाव का हाल.

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पानी की दिक्कत जारीः दूदू राजस्थान में विकास का ऐसा चेहरा है जो हर किसी के मुंह पर चढ़ा हुआ है. दूदू में विकास के लगभग सभी काम पूरे हुए हैं, लेकिन पानी की समस्या बरकरार है. बीसलपुर का पानी इस बार दूदू विधानसभा तक पहुंच गया है, लेकिन अभी जिस तेजी से हर घर में पानी के लिए नल लगाया जा रहा है, जल्द ही यहां पानी की कमी आ सकती है. पहले ही जिन घरों में कनेक्शन हुआ है वहां कम समय के लिए पानी आता है, ऐसे में भविष्य में यहां पानी की समस्या बड़ी चुनौती बन सकती है.

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सचिन पायलट का भी है प्रभाव.

यह है जातिगत समीकरणः दूदू विधानसभा सीट पर एससी की संख्या करीब 70 हजार है. इनमें बैरवा करीब 35 हजार हैं. इसी प्रकार जाट यहां संख्या बल के हिसाब से दूसरे नंबर हैं. जाट यहां 40 से 50 हजार हैं. वहीं गुर्जर करीब 30 हजार, राजपूत करीब 20 हजार और ब्राह्मण करीब 7 हजार के आसपास हैं.

Last Updated : Dec 1, 2023, 6:19 PM IST
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