जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने करौली के महावीर स्वामी जी तीर्थ में 24 साल बाद हो रहे (Mahamastakabhishek with 100 ml water kalash) महामस्तकाभिषेक के मामले में प्रबंध कारिणी समिति दिगंबर जैन को मंदिर में महामस्तकाभिषेक सहित अन्य आयोजन जारी रखने की अनुमति दी है. साथ ही अदालत ने महामस्तकाभिषेक में सौ एमएल पानी के कलश का उपयोग ही करने के लिए कहा है. जस्टिस बिरेन्द्र कुमार ने यह आदेश श्वेतांबर जैन श्वेत मूर्तिपूजक महा तीरक संघ व भगवान दास की याचिका में दायर प्रार्थना पत्रों को निस्तारित करते हुए दिए.
सुनवाई के दौरान अप्रार्थी प्रबंध कारिणी समिति दिगंबर जैन ने अपनी सहमति दी कि वे मंदिर परिसर में कोई नई मूर्तियां स्थापित नहीं करेंगे. पूर्व में दी गई अंडरटेकिंग के पालन में ही वे महामस्तकाभिषेक का आयोजन लंबे समय से कर रहे हैं. वहीं समिति दिगंबर जैन ने इस बात पर भी सहमति दी कि वे सौ एमएल तक के पानी कलश के जरिए ही महामस्तकाभिषेक की प्रक्रिया करेंगे. अदालत ने इस अंडरटेकिंग के बाद प्रार्थना पत्रों को निस्तारित कर दिया.
महा तीरक संघ व अन्य की ओर से प्रार्थना पत्र में हाईकोर्ट से आग्रह किया था कि महावीर जी के महामस्तकाभिषेक के दौरान सौ एमएल के पानी कलश का ही उपयोग किया जाए. इस दौरान मंदिर परिसर में कोई नई मूर्तियों को स्थापित नहीं किया जाए. ऐसी व्यवस्था 31 जनवरी 1998 के आदेश के जरिए भी की गई थी. इसलिए अप्रार्थियों को अस्थाई निषेधाज्ञा के जरिए पाबंद किया जाए कि वे मंदिर परिसर में कोई नई मूर्ति स्थापित नहीं करें और महामस्तकाभिषेक अभिषेक सौ एमएल पानी के कलश से ही करें.