जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के निजी स्कूलों को कहा है कि वे शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत केजी और यूकेजी में प्रवेश पा चुके विद्यार्थियों को नहीं हटाएं. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश क्रांति एसोसिएशन व अन्य की याचिका में राज्य सरकार की ओर से पेश प्रार्थना पत्र को निस्तारित करते हुए दिए.
प्रार्थना पत्र में अतिरिक्त महाधिवक्ता चिरंजीलाल सैनी ने अदालत को बताया कि हाईकोर्ट ने गत सुनवाई को निजी स्कूलों को दिशा-निर्देश जारी किए थे कि वे शैक्षणिक सत्र 2023-24 में बच्चों को प्री प्राइमरी के एंट्री लेवल यानि नर्सरी व प्रथम कक्षा में एडमिशन दें. जबकि राज्य सरकार की ओर से नर्सरी के अलावा केजी, यूकेजी और प्रथम कक्षा में प्रवेश देने का प्रावधान किया गया था. इसकी पालना में राज्य सरकार ने प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी थी. कई स्कूल संचालकों ने नर्सरी व कक्षा प्रथम के अलावा केजी और यूकेजी में भी आरटीई के तहत विद्यार्थियों को प्रवेश देने की प्रक्रिया आरंभ कर दी है.
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ऐसे में अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद अंदेशा है कि निजी स्कूल केजी और यूकेजी में दिए गए प्रवेश को रद्द कर देंगे. ऐसे में निजी स्कूलों को निर्देश दिए जाएं कि वह इन कक्षाओं के विद्यार्थियों का प्रवेश रद्द नहीं करें. वहीं निजी स्कूलों की ओर से अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल और अधिवक्ता अनुराग सिंघी ने कहा कि इन दोनों कक्षाओं में प्रवेश प्रक्रिया में शामिल होना पर्याप्त नहीं है. विद्यार्थी यदि प्रवेश ले चुका है तो उसका एडमिशन रद्द नहीं किया जाएगा. इस पर अदालत ने निजी स्कूलों को निर्देश दिए कि प्रवेश पा चुके अभ्यर्थियों को हटाया नहीं जाए. गौरतलब है कि राज्य सरकार ने गाइडलाइन जारी कर प्री प्राइमरी की तीनों कक्षाओं व प्रथम कक्षा में आरटीई के तहत प्रवेश देने का प्रावधान किया था. गत सुनवाई को हाईकोर्ट ने नर्सरी व प्रथम कक्षा में एडमिशन ही आरटीई के तहत प्रवेश देने और राज्य सरकार को फीस का पुनर्भरण करने को कहा था.