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राजस्थान के नेता संगठन चलाने में माहिर, लेकिन प्रभारी के तौर पर रहे फेल, जानें इसके पीछे की वजह

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Published : Dec 9, 2022, 4:21 PM IST

गुजरात में मिली करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए (Congress defeat in Gujarat) गुजरात कांग्रेस के प्रभारी रहे रघु शर्मा ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जन खड़गे को अपना इस्तीफा भेज दिया. लेकिन इन सबके बीच खास बात यह है कि बतौर प्रभारी प्रदेश के नेताओं का प्रदर्शन बेहद (Raghu Sharma resigned from post incharge) खराब रहा है.

Congress defeat in Gujarat
Congress defeat in Gujarat

जयपुर. गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद प्रभारी रघु शर्मा ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जन खड़गे (Congress President Mallikarjan Kharge) को अपना इस्तीफा भेज (Poor performance of Rajasthan Congress leaders) दिया. गुजरात में पार्टी को केवल 17 सीटें ही मिली, लेकिन चुनाव से पूर्व दावा किया जा रहा था कि पार्टी यहां बेहतर प्रदर्शन के साथ ही अच्छी संख्या में सीटें निकालेगी. जिसमें वो पूरी तरह से विफल नजर आई. हालांकि, इस करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए गुजरात के प्रभारी रघु शर्मा ने अपना (Shameful defeat of Congress in Gujarat) इस्तीफा दे दिया. खैर, आपको बता दें कि केवल रघु शर्मा ही नहीं, बल्कि 2014 में यूपीए सरकार की सत्ता से जाने के बाद बीते 10 सालों में राजस्थान के नेताओं का प्रदर्शन बतौर प्रभारी काफी निराशाजनक रहा है.

एक मात्र राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही हैं, जिन्होंने बीते गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रभारी के तौर पर अच्छा प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस को मुकाबले में खड़ा किया था. हालांकि, गहलोत भी सरकार बनाने में विफल रहे थे और उसी प्रदर्शन के तौर पर गहलोत को कांग्रेस के पूरे संगठन का प्रभारी बनाया गया. लेकिन गहलोत को छोड़ दिया जाए तो चाहे रघु शर्मा हो, हरीश चौधरी हो, भंवर जितेंद्र हो, सीपी जोशी हो या फिर मोहन प्रकाश सभी का प्रभारी रहते हुए प्रदर्शन निराशाजनक रहा.

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संगठन में कामयाब, लेकिन प्रभारी फेल: राजस्थान के नेता संगठन चलाने में तो महारत रखते हैं, लेकिन राज्यों के प्रभारी बनते ही उनके प्रदर्शन में जबरदस्त गिरावट देखी जाती है. रघु शर्मा राजस्थान में संगठन के कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे, लेकिन प्रभारी के तौर पर गुजरात में उनका प्रदर्शन काफी खराब रहा. गुजरात चुनाव से ठीक पहले पंजाब चुनाव में भी राजस्थान के ही पूर्व मंत्री हरीश चौधरी को प्रभारी बनाया गया था, लेकिन रघु शर्मा की तरह हरीश चौधरी भी नाकामयाब रहे थे और पंजाब से कांग्रेस सरकार की विदाई हो गई.

इसी तरह लगातार संगठन में महासचिव से लेकर अन्य कई पदों को सफलतापूर्वक निभाने वाले भंवर जितेंद्र भी भले ही केंद्रीय स्तर पर संगठन के काम संभालने में महारत रखते हो, लेकिन प्रभारी के तौर पर उनका प्रदर्शन भी अच्छा नहीं रहा. जिसकी बानगी असम में देखने को मिली थी. इससे पहले भी स्पीकर सीपी जोशी जो कभी देश के 7 से ज्यादा राज्यों के एक साथ कांग्रेस के प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल रहे थे, उन सीपी जोशी का प्रदर्शन भी काफी खराब रहा था.

वहीं, मोहन प्रकाश भी कभी एक साथ कई राज्यों की जिम्मेदारी संभाल रहे थे, लेकिन मोहन प्रकाश का भी प्रभारी रहते हुए प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा. ऐसे में साफ है कि राजस्थान के नेता भले ही सरकार और अपने राज्यों में संगठन चलाने में महारत रखते हो, लेकिन जैसे ही वह किसी अन्य राज्य के प्रभारी बनाए जाते हैं, वो पूरी तरह से फेल हो जाते हैं.

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