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Rajasthan Assembly Election: क्या है नरेंद्र मोदी का दांव, इन चेहरों के जरिये समझे दंगल का खेल

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Published : May 25, 2023, 3:24 PM IST

राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. भाजपा सत्ता में वापसी के लिए अपने सभी किले मजबूत करने में जुटी हुई है. इसीलिए उसने इस बार क्षेत्रीय क्षत्रपों के सहारे किला फतह करने का प्लान बनाया है.

Modi plan for rajasthan
क्या है नरेंद्र मोदी का दांव, इन चेहरों के जरिये समझे दंगल का खेल

जयपुर. आने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सभी दल अपनी जमीन और वोटों का आधार मजबूत करने में जुटे हुए हैं. इसी कड़ी में एक तरफ भारतीय जनता पार्टी नेताओं की जॉइनिंग करवा रही है, तो दूसरी ओर अलग-अलग क्षेत्रों में जमीनी पकड़ वाले नेताओं का भी आधार मजबूत कर रही है. इस लिस्ट में जाट चेहरे के रूप में हाल ही में सुभाष महरिया का नाम भी शामिल हुआ था. वहीं दूसरी ओर इस फेहरिस्त में पहले से घनश्याम तिवाड़ी और किरोड़ी लाल मीणा शुमार हो चुके हैं. जबकि बीकानेर से सांसद अर्जुन राम मेघवाल को भी हाल ही में केंद्र में तवज्जो मिली है.

Rajasthan Assembly Election
इन चेहरों के जरिये समझे दंगल का खेल

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किरोड़ी, तिवाड़ी के बाद महरियाः राजस्थान में भाजपा से पल्ला झाड़ के अलग से राजनीति का मानस बनाने वाले नेताओं ने भले ही अपने लिए बड़ा प्लेटफार्म तैयार नहीं किया, पर कमल के निशान को इन नेताओं की मुखालफत से जड़ कमजोर होती हुई नजर आई थी. लिहाजा बीजेपी की रणनीति के तहत पहले अपना अलग दल बनाने वाले किरोड़ी लाल मीणा जुड़े और राज्यसभा पहुंचे. इसके अगले पड़ाव में तिवाड़ी को उसी राह से वापसी करवाई गई और वे भी राज्यसभा में भाजपा का झंडा बुलंद करते हुए नजर आये. ये दोनों नेता राजस्थान में अपने-अपने क्षेत्र में अब एक्टिव है और दिल्ली में पार्टी का झंडा बुलंद करते हुए गुटबाजी से दूर भी है. ऐसे में पार्टी सुभाष महरिया को मैदान में वापसी करवाने में कामयाब रही है, तो कुछ नाम वेटिंग लिस्ट में हैं.

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इन चेहरों के जरिये समझे दंगल का खेल

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क्षेत्रीय क्षत्रपों की वापसी चुनाव का प्लान तैयारः महरिया दो बार सांसद रहने के साथ-साथ केंद्र में मंत्री रह चुके हैं और शेखावाटी में कांग्रेस के मजबूत आधार को हिलाने वाले भाजपा के चेहरों में से एक हैं. उनके पिता रामदेव महरिया कांग्रेसी थे. फिर सुभाष महरिया और उनके भाई नंदकिशोर महरिया ने अपनी सियासत की राह कांग्रेस से अलग तलाश की. वहीं तिवाड़ी जयपुर से पहले भैरों सिंह शेखावत के दौर में शेखावाटी से ही अपनी राजनीति को चमकाते आये हैं. ऐसे में यह भी साफ दिख रहा है कि शेखावाटी में पार्टी ने क्षेत्रीय क्षत्रपों की वापसी के साथ इलेक्शन का प्लान तैयार कर लिया है. पूर्वी राजस्थान और अन्य हिस्सों में भी जातिगत आधार पर पकड़ रखने के साथ जमीनी पहचान वाले नेताओं को आगे रखा जा रहा है.

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वैष्णव के बाद मेघवाल भी चमकेः मारवाड़ से हालांकि भाजपा के दिग्गज नेताओं में गजेंद्र सिंह शेखावत आते हैं. परेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के जरिये पार्टी मूल ओबीसी में एक सॉफ्ट छवि वाले नेता के जरिये जड़ों को मजबूत करने में जुटी है. यही वजह है कि बीते छह महीनों में अश्विनी वैष्णव के राजस्थान में दौरों का सिलसिला तेज हो चुका है. जोधपुर संभाग से ताल्लुक रखने वाले वैष्णव को उड़ीसा कैडर के प्रशासनिक सेवा वाले अफसर के कोटे से ज्यादा राजस्थान के खाते से मोदी कैबिनेट में प्रतिनिधित्व करने वाले चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट किया जा रहा है. इसी कड़ी में बीकानेर संभाग के नेता और केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल का भी नाम आता है. जिन्हें संस्कृति मंत्रालय की जगह कानून जैसा महत्वपूर्ण महकमा सौंपा गया है.हाड़ौती से लोकसभा अध्यक्ष के रूप में ओम बिरला पहले से ही एक मुकाम स्थापित कर चुके हैं. जबकि सीपी जोशी को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर पार्टी ने मेवाड़ में गुलाबचंद कटारिया से असम जाने के बाद के खालीपन को भरने की कोशिश की गई है.

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