जयपुर. राजस्थान में जयपुर के गोविंदगढ़ पंचायत समिति में 61 खातेदारों की भूमि विवाद का 50 साल बाद समाधान हुआ. प्रशासन गांवों के संग अभियान शिविर में भूमि विवाद का निस्तारण खातेदारों की आपसी सहमति से किया गया. राजस्व वाद अगर समय पर ना सुलझाया जाए तो वह नासूर बन जाता है. ग्रामीण इलाकों में जमीन के विवाद अक्सर रंजिश की वजह बन जाते हैं. इन्हीं हालातों को टालने एवं राजस्व वादों का प्राथमिकता से निस्तारण करने के लिए राजस्थान सरकार की ओर से चलाया जा रहा प्रशासन गांवों के संग अभियान अब मिसाल बनता जा रहा है.
उपखण्ड अधिकारी राजेश जाखड़ की मौजूदगी में जयपुर की गोविंदगढ़ पंचायत समिति के ग्राम हाथनोदा में शुक्रवार को प्रशासन गांवों के संग अभियान आयोजित हुआ. शिविर में न्यायालय में 50 सालों से लंबित 61 खातेदारों की 78 बीघा भूमि के विवादित प्रकरण का निस्ताण आपसी सहमति के आधार पर किया गया है. उपखण्ड अधिकारी राजेश जाखड़ ने बताया कि चौमूं ग्राम हाथनोदा की जमाबंदी संख्या 181 में 61 खातेदारों की 78 बीघा भूमि का विवाद 50 साल से चल रहा था.
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राजस्व अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की समझाइश के चलते खातेदारों की आपसी सहमति से इस भूमि का बंटवारा किया गया है. मौके पर ही तहसीलदार को नामांतरण भरने के आदेश दिये गए. विवाद का अंत होने पर खातेदारों ने भी खुशी जताई. उन्होंने कहा कि लंबे समय से समाधान नहीं होने के चलते वह परेशान थे और कोर्ट के चक्कर काट रहे थे. उपखंड अधिकारी जाखड़ ने कहा कि आज का राजस्व वाद का निस्तारण अपने आप में एक मिसाल है. हमें पूरा विश्वास है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहल पर शुरू किए गए प्रशासन गांवों के संग अभियान के ग्रामीण इलाकों में राजस्व वादों के निस्तारण में मील का पत्थर साबित होंगे.