ETV Bharat / state

508 पूर्व विधायकों को हर साल 26 करोड़ पेंशन, पेंशन देने के खिलाफ जनहित याचिका पेश

author img

By

Published : Dec 14, 2022, 8:04 PM IST

राजस्थान के 508 पूर्व विधायकों को हर साल 26 करोड़ रुपए की पेंशन दी जाती है. आरटीआई से मिली इस जानकारी के आधार पर राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई (PIL against pension to ex MLAs in Rajasthan) है. इसमें कहा गया है कि संविधान में पूर्व विधायकों को पेंशन देने का प्रावधान नहीं है. इसलिए पेंशन बंद की जाए. कोर्ट इस मामले की अगले सप्ताह सुनवाई कर सकती है.

PIL against pension to ex MLAs in Rajasthan, court hearing may be in next week
508 पूर्व विधायकों को हर साल 26 करोड़ पेंशन, पेंशन देने के खिलाफ जनहित याचिका पेश

जयपुर. प्रदेश के 508 पूर्व विधायकों को हर माह पेंशन देने के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका पेश की गई (PIL against pension to ex MLAs in Rajasthan) है. जनहित याचिका पर हाईकोर्ट की खंडपीठ आगामी सप्ताह में सुनवाई कर सकती है. याचिकाकर्ता मिलाप चन्द्र डांडिया की तरफ से दायर इस जनहित याचिका में मुख्य सचिव, विधानसभा स्पीकर और महाधिवक्ता को पक्षकार बनाया गया है.

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विमल चौधरी और अधिवक्ता गौरव चौधरी ने याचिका में कहा है कि आरटीआई में मिली सूचना के तहत प्रदेश में 508 पूर्व विधायकों को करीब 26 करोड़ रुपए सालाना पेंशन के तौर पर दिए जा रहे हैं. इनमें से कई विधायक वर्तमान में भी एमएलए हैं. वहीं करीब आधा दर्जन से अधिक पूर्व विधायकों को एक लाख रुपए मासिक से ज्यादा पेंशन राशि दी जा रही है. इसमें करीब 100 से अधिक पूर्व विधायक ऐसे हैं, जिन्हें मासिक 50 हजार रुपए से अधिक की पेंशन दी जाती है.

पढ़ें: सीएम गहलोत की मोदी सरकार से अपील, मानवीय दृष्टिकोण से लागू करें ओल्ड पेंशन स्कीम

याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार राजस्थान विधानसभा (अधिकारियों और सदस्यों की परिलब्धियां एवं पेंशन) अधिनियम, 1956 व राजस्थान विधानसभा सदस्य पेंशन नियम, 1977 बनाकर पूर्व विधायकों को पेंशन का लाभ दे रही है. जबकि संविधान के अनुच्छेद 195 और राज्य सूची की 38वीं एन्ट्री में पूर्व विधायकों को पेंशन देने का प्रावधान नहीं है. याचिका में कहा गया कि पेंशन उस व्यक्ति को दी जाती है, जो एक तय आयु के बाद सेवानिवृत्त होता है. जबकि विधायक सेवानिवृत्त नहीं होते हैं, बल्कि ये जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत चुने जाते हैं और उनका तय 5 साल का कार्यकाल होता है.

पढ़ें: दिव्यांग और बुजुर्ग पेंशनधारी जिला कलेक्टर के काट रहे चक्कर, बिना सत्यापन नहीं मिल रही पेंशन

इसके अलावा जनप्रतिनिधि को राज्य का सेवक भी नहीं माना जा सकता. वहीं यदि इन्हें राज्य सेवक माना जाता है, तो पंचायत समिति और निगम के जनप्रतिनिधियों को इस श्रेणी में क्यों नहीं माना जाता. याचिका में यह भी कहा गया है कि पूर्व विधायकों की पेंशन आमजन पर भार है और ऐसे में इन पूर्व विधायकों पर पैसा नहीं लुटाया जा सकता. इसलिए वर्ष 1956 के अधिनियम और वर्ष 1977 के नियम को अवैध घोषित कर रद्द किया जाए तथा पूर्व विधायकों से दी गई राशि की रिकवरी की जाए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.