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सिर्फ 15 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराना सोची समझी-साजिश : मेयर मुनेश गुर्जर

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Published : Jul 1, 2023, 10:03 AM IST

हेरिटेज नगर निगम के एडिशनल कमिश्नर राजेंद्र वर्मा की ओर से महापौर और पार्षदों के खिलाफ दर्ज कराई गई एफआईआर को मेयर ने सोची समझी-साजिश बताया है. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार की फाइलों की जांच होनी चाहिए, जिसमें दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. मेयर ने कहा कि जो मेयर की सीट पर बैठ जाए, वो बंधक नहीं कहलाते.

Mayor of Jaipur Heritage Corporation
हेरिटेज नगर निगम मेयर मुनेश गुर्जर

मेयर मुनेश गुर्जर

जयपुर. हेरिटेज नगर निगम में उपजे विवाद को लेकर महापौर मुनेश गुर्जर और पार्षदों ने मंथन शुरू किया है. जिन पार्षदों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है, वो सभी शुक्रवार को हेरिटेज नगर निगम मुख्यालय पर जुटे. इस दौरान महापौर ने कहा कि इस संबंध में यूडीएच मंत्री से बात हुई है. उन्होंने फाइलों की जांच शुरू कर दी है. उन्होंने आश्वस्त किया है कि मामले में निष्पक्ष जांच होगी और उनकी मांग भी यही है कि जो भ्रष्टाचार की फाइल है, उनकी जांच होनी चाहिए और जब ये जांच होगी तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा कि राजेंद्र वर्मा ने कैसे एफआईआर की आड़ सिर्फ भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए ली है.

इस सम्बंध में यूडीएच मंत्री मुख्यमंत्री से भी बात करेंगे. इसके बाद जो भी कदम उठाएंगे, उसे वार्ता कर बता दिया जाएगा. वो और पार्षद सांच के साथ खड़े हैं और सांच को आंच नहीं होती. वहीं, ग्रेटर नगर निगम के प्रकरण से हो रही तुलना को लेकर महापौर ने कहा कि वो प्रकरण क्या था, उसकी जांच हुई है और ये प्रकरण क्या है इसकी भी जांच होनी चाहिए. यहां आवाज भ्रष्टाचार को लेकर उठाई गई है. 15 दिन तक बीट की फाइल पेंडिंग क्यों पड़ी रही, आपदा प्रबंधन जैसे मामले की फाइल को 5 दिन बढ़ा दिया गया.

पढ़ें : Heritage Nagar Nigam row : जांच होने तक महापौर और पार्षदों के निलंबन की उठी मांग, ग्रेटर निगम प्रकरण का दिया हवाला

उन्होंने कहा कि वीडियोस सरकार के पास भी है इन वीडियोस की जांच होनी चाहिए, जिसमें राजेंद्र वर्मा हंसते हुए नजर आ रहे हैं. कैबिनेट मंत्री से भी बात की. वो यहां वॉशरूम यूज़ कर रहे थे, मेयर की कुर्सी पर बैठ गए और जो मेयर की सीट पर बैठ जाए, वो बंधक नहीं कहलाते. जांच होगी तो साफ हो जाएगा कि कौन झूठा है कौन सच्चा. उन्होंने कहा कि एडिशनल कमिश्नर के खिलाफ जो ज्ञापन सौंपा गया उस पर 51 पार्षदों के साइन हैं.

उस दौरान सभी पार्षद अपनी-अपनी बात रख रहे थे. ये सोची समझी साजिश है कि केवल 15 लोगों के नाम ही क्यों आए. इनमें वो लोग भी हैं जो बोल भी नहीं रहे थे. जब निष्पक्ष जांच होगी तो साफ हो जाएगा. जितने भी लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है, वो सभी जनता के साथ खड़े हैं. जनता की आवाज बनकर गूंज रहे हैं. इसीलिए शायद अखर रहे होंगे. उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई है और आगे भी मजबूती से आवाज उठाते रहेंगे.

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