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राजस्थान में पानी का होगा समुचित प्रबंध, डेनमार्क की तकनीक का होगा उपयोग, राज्य सरकार ने किया MOU

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Published : May 19, 2023, 7:20 PM IST

पानी के समुचित प्रबंधन और बूंद-बूंद के सदुपयोग के लिए राजस्थान में अब डेनमार्क की तकनीक काम में ली जाएगी. इसके लिए राजस्थान सरकार ने डेनमार्क के साथ MOU किया है.

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राजस्थान में पानी का होगा समुचित प्रबंध, राज्य सरकार ने किया MOU

राजस्थान में पानी का होगा समुचित प्रबंध

जयपुर. राजस्थान में पानी की हर एक बूंद को सहेजने, छीजत को रोकने और पानी का समुचित प्रबंधन करने के लिए अब डेनमार्क की खास तकनीक काम में ली जाएगी. इसके लिए राजस्थान सरकार और डेनमार्क के बीच शुक्रवार को एक एमओयू पर दस्तखत किए गए हैं. सचिवालय में प्रदेश के पीएचईडी मंत्री डॉ. महेश जोशी और डेनमार्क सरकार के प्रतिनिधि के बीच आज एक एमओयू पर भी दस्तखत किए गए. इस मौके पर एसीएस सुबोध अग्रवाल और पीएचईडी के अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे. फिलहाल यह तकनीक उदयपुर में लागू की जाएगी.

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पानी को रिसाइकिल किया जाएगाः एमओयू पर दस्तखत के बाद पीएचईडी मंत्री डॉ. महेश जोशी ने कहा कि पानी का पीना ही एकमात्र उपयोग नहीं है. जब हम पानी की बात करते हैं तो पानी कई तरह से उपयोग में आता है. पेयजल की गुणवत्ता अलग होती है. दूसरे कामों में जो पानी काम आता है. उसकी गुणवत्ता अलग होती है. यह जो एमओयू आज हुआ है. इसमें मुख्य रूप से पानी को रिसाइकल करने की बात है. केवल पेयजल के हिसाब से ही नहीं. बल्कि पानी को हम कैसे रिसाइकल कर सकते हैं और अधिक से अधिक उपयोग में ले सकते हैं. इसके लिए हम डेनमार्क की तकनीक को काम में लेंगे.

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डेनमार्क में काम में लिया जाता है समुद्र का पानीः पीएचईडी मंत्री महेश जोशी ने कहा कि पानी की छीजत को कैसे कम कर सकते हैं. नॉन रेवेन्यू वाटर को कैसे कम कर सकते हैं. इस दिशा में काम किया जाएगा. डेनमार्क में हम लोग होकर आए थे. सब लोगों ने बहुत अच्छे से स्टडी किया है. वहां समुद्र के पानी को काम में लिया जाता है. डेनमार्क में नॉन रेवेन्यू वाटर जीरो है. इसका मतलब है कि वहां पानी की छीजत बिलकुल भी नहीं है. वहां पानी की एक-एक बूंद को काम में लिया जाता है और जितना काम में लिया जाता है. उतना ही भुगतान किया जाता है. हमारा उदेश्य है कि पानी का अधिक से अधिक उपयोग हो.

पीने के अलावा अन्य कामों में होता है ज्यादा उपभोगः महेश जोशी का कहना है कि प्रति व्यक्ति पानी के उपभोग की बात करें तो सबसे कम पानी का उपभोग पीने के लिए होता है. शहरों में हर व्यक्ति 155-165 लीटर पानी प्रतिदिन उपभोग करता है. इसमें पीने के पानी की मात्रा बहुत कम और अन्य कामों में पानी का उपभोग ज्यादा होता है. इसलिए यह सिर्फ एक पेयजल का सवाल नहीं है. यह अलग-अलग तरीके के पानी को रिसाइकल करने, फिर से काम में लेने, पानी की बचत करने और छीजत को रोकने के लिए डेनमार्क की तकनीक का हम इस्तेमाल करेंगे और राजस्थान में हम पानी का अधिक से अधिक सदुपयोग करेंगे......

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