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Jaipur Literature Festival 2023 : साहित्य के महाकुंभ का समापन...अब लंदन, रोम और स्पेन में होगा JLF का आयोजन

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Published : Jan 24, 2023, 7:18 AM IST

Jaipur Literature Festival 2023
Jaipur Literature Festival 2023

पांच दिनों के सफल आयोजन के बाद सोमवार को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का (Jaipur Literature Festival 2023 ends) समापन हो गया. आखिरी दिन लेखिका तृप्ति पांडे, मनीषा कुलश्रेष्ठ और अनुकृति उपाध्याय समेत अन्य ने अपनी बातें रखी. वहीं, JLF के प्रोड्यूसर संजॉय रॉय ने इस संस्करण को सफल व यादगार करार दिया.

जेएलएफ प्रोड्यूसर संजोय रॉय

जयपुर. लिटरेचर फेस्टिवल के पांचवें व आखिरी दिन की शुरुआत मिक्स्ड नोट के साथ हुई. इस दौरान हल्की उदासी भी छाई रही. हालांकि जेएलएफ के प्रोड्यूसर संजॉय रॉय ने इसे एक सफल संस्करण बताते हुए जावेद अख्तर और हरिप्रसाद चौरसिया के सेशन को यादगार करार दिया. साथ ही आने वाले दिनों में लंदन, रोम और पहली बार स्पेन में होने जा रहे जेएलएफ का भी उन्होंने जिक्र किया. वहीं, आखिरी दिन भी कई खास सेशन हुए. जयपुर ड्रीम एस्कैप्स शहर और सपने पर तृप्ति पांडे, मनीषा कुलश्रेष्ठ और अनुकृति उपाध्याय की मालाश्री लाल के साथ बातचीत हुई.

जयपुर के महावतों के मुहल्ले का जिक्र: इस दौरान तृप्ति पांडे ने कहा कि उन्होंने जयपुर को जीया है. उनकी किताब हाफ एम्प्रेस में भी इसका जिक्र है. उन्होंने कहा कि रसकपूर के बारे में लोग बहुत कम जानते हैं. इसलिए काफी रिसर्च करनी पड़ी. उन्होंने रसकपूर की तुलना कपूर यानी कैम्फर से की और कहा कि जिस तरह से कपूर जलता है तो उसकी खुशबू फैलती है और फिर आहिस्ते-आहिस्ते वो गायब हो जाता है. उन्होंने इस दौरान अपनी एक अन्य किताब का भी जिक्र किया. जिसमें भारतीय हाथियों के बारे में बताया गया है. उनका कहना था कि जयपुर में हाथियों का अलग महत्व है. यहां महावतों का मोहल्ला भी काफी फेमस है.

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हरिश्चंद्र-मल्लिका का राजस्थान कनेक्शन: वहीं, लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ ने अपनी किताब मल्लिका के बारे में बताया कि भारतेन्दु हरिश्चंद्र और मल्लिका का राजस्थान कनेक्शन भी रहा है, क्योंकि भारतेन्दु जब मेवाड़ में आकर रुके थे, तब वे मल्लिका को यहां से पत्र लिखते थे. इस दौरान उन्होंने अपनी किताब के अंश भी पढ़े. इसके अलावा अनुकृति ने बताया कि उनकी पहले लिखी गई किताबों में राजस्थान की झलक रही है, लेकिन इस बार लिखी गई किताब में ट्रांजिशन है.

ए मिलियन मिशन: एक अन्य सत्र 'ए मिलियन मिशन' में एनजीओ और सोशल सेक्टर से जुड़ी एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट का लोकार्पण हुआ. ये रिपोर्ट एंटरटेनमेंट, परफोर्मिंग आर्ट और एनजीओ सेक्टर से जुड़े लोगों पर कोविड के प्रभाव को व्यक्त करती है. इस दौरान जेएलएफ प्रोड्यूसर संजॉय रॉय ने कहा कि पिछले साल जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में ही इस रिपोर्ट का प्रस्ताव रखा था. ये रिपोर्ट इस नजरिए से और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है कि इस क्षेत्र में पिछली रिपोर्ट 2012 में जॉन होपकिंस ने तैयार की थी. उसके बाद इस पर फिर काम नहीं हुआ. ये रिपोर्ट जमीनी स्तर पर पड़ने वाले प्रभाव और उससे निपटने के समाधान बताती है.

रिपोर्ट में बदलाव का विशेष उल्लेख: रिपोर्ट लॉन्च के अवसर पर मैथ्यू चेरियन ने कहा कि ये रिपोर्ट बहुत से लोगों की मेहनत का फल है. इसमें इस क्षेत्र के बहुत से विशेषज्ञों ने योगदान दिया है. एनजीओ का अस्तित्व स्वतंत्रता के समय से ही है और कुछ तो उससे पहले से बरकरार हैं. उनकी महत्ता सरकार की नीतियों, कार्यों को समाज की पंक्ति में खड़े आखिरी व्यक्ति तक पहुंचाने की है. इस मौके पर यूएन रेजिडेंट कमिश्नर शोम्बी शार्प ने कहा कि ये बहुत इम्पोर्टेंट डॉक्यूमेंट है. उन्हें भारत में दूर-दूर तक जाने का अवसर मिला है और वो सोशल सेक्टर और एनजीओ में काम करने वाले बहुत से लोगों से मिले हैं. उनसे भी मिले जिन तक ये मदद पहुंचाई जाती है. उन्होंने कहा कि कोविड के समय में इन लोगों ने बहुत ही शानदार काम किया. ये लोग हैं जो समाज में वास्तविक बदलाव लाते हैं. उनका मकसद 2030 तक भारत में जमीनी हालात को बदलना है.

द इम्मोर्टल किंग राव: वहीं, सत्र 'द इम्मोर्टल किंग राव' में वाल स्ट्रीट जर्नल में पत्रकार रह चुकी अमेरिकी लेखिका वौहिनी वारा से लेखिका अनुपमा राजू ने संवाद किया. वौहिनी ने अपनी किताब के जरिए भारत में नारियल की खेती करने वाले दलित परिवार के हालात पर बात की. अमेरिका में पैदा हुई वौहिनी के पिता आन्ध्र में नारियल की खेती करने वाले दलित परिवार से हैं. किताब का नायक अपनी पृष्ठभूमि से बाहर निकल, साउथ एशिया के सबसे बड़े टेक किंग के रूप में उभरकर आता है. वौहिनी ने कहा कि किताब और पाठक का बहुत ही अन्तरंग सम्बन्ध होता है और बिना किसी सच्चाई या भावनाओं के आप एक दिल छू लेने वाली कहानी नहीं पेश कर सकते.

मामलों और मुकदमों पर हुई बात: इसके इतर एक अन्य अहम सत्र फिफ्टीन जजमेंट्स में उन मामलों/मुकदमों की बात हुई, जिन्होंने भारत के सामाजिक-आर्थिक स्वरुप को बदल दिया. सत्र का शीर्षक सीनियर एडवोकेट सौरभ किरपाल की किताब पर आधारित था. सत्र में सौरभ से लेखक-इतिहासकार त्रिपुरदमन सिंह ने संवाद किया. जजमेंट के बारे में लिखने पर सौरभ ने कहा कि वो अक्सर फाइनेंस और लॉ के बारे में लिखते हैं और ये दोनों ही विषय पढ़ने के लिए उतने दिलचस्प नहीं हैं. लेकिन ये दोनों ही आम इन्सान को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाले मामले हैं. सत्र में जमींदारी उन्मूलन, बंगलौर वाटर सप्लाई केस, गोलकनाथ केस जैसे जजमेंट पर चर्चा हुई. सौरभ ने बताया कि जमींदारी उन्मूलन उस समय लाया गया था, जब भारत में बहुत गरीबी थी और कुछ चंद लोगों के हाथों में बहुत सी जमीन थी. ये विधेयक सीधे-सीधे ‘राईट टू प्रॉपर्टी’ को चुनौती दे रहा था.

पोडकास्ट की अपनी सीमा: वहीं, सेशन द स्टोरी ऑफ ए वर्ल्ड कॉन्गरिंग पोडकास्ट में स्पीकर विलियम डेलरिम्पल, अनिता आनंद के साथ बी रॉलेट ने चर्चा की. सत्र में बताया गया कि पोडकास्ट की नींव भले ही पुरानी हो, लेकिन इसका मार्केट बिल्कुल नया है. लोगों में पोडकास्ट के प्रति रूझान तेजी से बढ़ रहा है. हालांकि इसका ये मतलब नहीं है कि किताबों की अहमियत कम हो गई है. पोडकास्ट की अपनी सीमाएं हैं, ऐसे में बुक्स के प्रति रूझान लगातार बढ़ेगा.

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