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International Sign Language Day : न कोई शुल्क, न कोई ऐप, बस QR कोड स्कैन कर बधिर जन समझा सकेंगे अपनी बात

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 23, 2023, 6:33 AM IST

हर साल 23 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है. आज भी बधिर जन को कई बार समाज की मुख्य धारा में शामिल होने के लिए छोटी-बड़ी समस्याओं का समाना करना पड़ रहा है. इसका समाधान लेकर आई है नुपूर संस्था, जिसने एक ऐसा सॉफ्टवेयर डेवलप किया है, जिसके क्यूआर कोड को स्कैन करने पर निशुल्क इंटरप्रेटर की सुविधा मिलेगी. पढ़िए ये रिपोर्ट...

International Sign Language Day
International Sign Language Day

बधिर व्यक्तियों के लिए बनाया सॉफ्टवेयर

जयपुर. आज 23 सितंबर है, ये दिन विश्वभर में अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है. ये दिवस बधिर लोगों और अन्य सांकेतिक भाषा उपयोगकर्ताओं की भाषाई पहचान और सांस्कृतिक विविधता का समर्थन और सुरक्षा करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है. इस खास दिन बधिर जन की समस्याओं, समानता और सांकेतिक भाषा के अधिक से अधिक प्रचार- प्रसार पर बात की जाती है.

क्यूआर कोड चुनिंदा जगहों पर लगाएंगे : आज के दिन हम आप को बताते हैं नुपूर संस्था के बारे में जिसने बधिर जन और अन्य सांकेतिक भाषा उपयोगकर्ताओं की भाषा को आसान करने के लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया है. इसके जरिए क्यूआर कोड को स्कैन करने पर निशुल्क इंटरप्रेटर की सुविधा मिलेगी. नुपूर संस्था इस क्यूआर कोड को पहले फेज में चुनिंदा पब्लिक प्लेस, स्कूल-कॉलेज, कॉर्पोरेट ऑफिस, बसों और पुलिस थानों में लगाएगी. इसके बाद डोर टू डोर तक भी इस सुविधा को लेकर जाएंगे ताकि बधिर जन को अधिक से अधिक सुविधा मिल सके. इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस की थीम है 'A World Where Deaf People Everywhere Can Sign Anywhere!'.

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इंटरप्रेटर मिलना बड़ी समस्या : नुपूर संस्था के संस्थापक मनोज भारद्वाज ने बताया कि आमतौर पर बधिर व्यक्तियों को बेहद महत्वपूर्ण स्थानों पर कम्युनिकेशन करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लगातार प्रयास के बाद भी राजस्थान में सांकेतिक भाषा को आम जनता तक नहीं पहुंचाया जा सका है, जिसकी वजह से यह दिक्कत खड़ी हो रही है. सरकार के स्तर पर कई बार कोशिश की गई, लेकिन आम जन तक सांकेतिक भाषा की जानकारी नहीं पहुंच पाई. खास करके आपातकालीन सेवाओ में आज भी बधिर जन को अपनी समस्याओं को बताने के लिए इंटरप्रेटर की जरूरत पड़ती है, जो आसानी से नहीं मिल पाते हैं.

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QR स्कैन कर वीडियो कॉल से होंगे कनेक्ट

क्यूआर कोड स्कैनर से इंटरप्रेटर : इन्हीं समस्याओं को देखते हुए नुपूर संस्था ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जिसके क्यूआर कोड को स्कैन करने पर वीडियो कॉल के जरिए बधिर जनों को इंटरप्रेटर मिल सकेगा. मनोज भारद्वाज ने बताया कि अब तक बधिर जन की समस्याओं के समाधान या कम्युनिकेशन के लिए फिजिकल इंटरप्रेटर की आवश्यकता होती है, लेकिन इस क्यूआर कोड स्कैनर से उन्हें आसानी से इंटरप्रेटर मिल सकेगा. इसके लिए किसी तरह का चार्ज भी नहीं देना पड़ेगा और न ही कोई ऐप डाउनलोड करना होगा.

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फिजिकली तीसरे व्यक्ति की जरूरत खत्म : मनोज भारद्वाज ने बताया कि बढ़ते हुए साइबर अपराधों पर बधिर समाज में जनचेतना लाने के अनेक प्रयास करने के बाद भी कोई न कोई बधिर व्यक्ति साइबर फ्रॉड का शिकार हो जाता है. इसके लिए अलग-अलग रीयल टाइम अपराधों के माध्यम से जनचेतना लाने का प्रयास किया जा रहा है. इसके तहत बिना किसी ऐप को डाउनलोड किए, बिना कोई फीस दिए सिर्फ क्यूआर कोड स्कैन करने पर वीडियो कॉल कनेक्ट हो जाएगी. इससे फिजिकली किसी तीसरे व्यक्ति की जरूरत खत्म हो जाएगी.

इस तरह से करेगा काम : क्यूआर कोड स्कैन पर एक लिंक जनरेट होगा, जैसे ही उस लिंक पर क्लिक करेंगे तो संस्था की ओर से उपलब्ध कराए गए सांकेतिक भाषा के विशेषज्ञ के पास वीडियो कॉल पहुंच जाएगा. इस वीडियो कॉल के जरिए बधिर व्यक्ति अपनी बात करेगा, उस बात को समझ और रूपांतरण कर इंटरप्रेटर सामने वाले व्यक्ति को समझा सकेगा. इस तकनीक के उपयोग से बधिर जन के साथ आम जन को कई तरह के फायदे मिलेंगे. एक तो इंटरप्रेटर का इंतजार नहीं करना पड़ेगा. दूसरा इस वीडियों कॉल को रिकॉर्ड भी किया जाएगा. इसके साथ उस जगह की लोकेशन भी आएगी ताकि अगर किसी तरह की कोई इमरजेंसी है तो शिकायत करने वाले व्यक्ति की लोकेशन पर बिना समय गंवाए मदद पहुंचाई जा सके.

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निःशुल्क मिलेगी सुविधा : संस्था से जुड़े वरिष्ठ बधिर सलाहकार तरुण शर्मा ने बताया कि दिव्यांग व्यक्तियों के लिए बनाए गए दिव्यांग अधिकार अधिनियम में समानता का अधिकार शुरू से ही दिया जाना सुनिश्चित किया गया है. बावजूद इसके बधिर व्यक्तियों की सांकेतिक भाषा समझने वाले दुभाषिया सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं. इसके चलते आज भी बधिर जन समाज की मुख्यधारा में शामिल नहीं हो पा रहे हैं. वर्तमान समय में देश में अनेक ऐप उपलब्ध हैं जो बधिर व्यक्तियों को उनकी आवश्कताओं के अनुसार सुविधा उपलब्ध करा रही हैं, लेकिन ये सब महज व्यापारिक उद्देश्यों की पूर्ति करने के लिए हैं.

पिछले दो दशक से सेवारत है संस्था : तरुण ने बताया कि देश भर के बधिर समाज की भाषा संबंधित समस्याओं के लिए इंटरप्रेटर की कमी को पूरा करने और बधिर समाज को भाषा संबंधित अधिकारों को प्राप्त करने के लिए प्रदेश की सामाजिक संस्था नुपूर संस्थान एक सेतु के रूप में पिछले दो दशक से सेवारत है. वर्ष 2003 में राज्य का पहला मोबाइल प्लान बधिर व्यक्तियों को भाषा संबंधित परेशानियों को खत्म करने के लिए नुपूर संस्था की ओर से ही उपलब्ध कराया गया था. इसे देश भर में कॉन्फिडेंस प्लान के नाम से जाना गया. इसी तरह यह विशेष क्यूआर कोड बधिर व्यक्तियों के जीवन को बेहद सरल बना देगा.

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