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Chintan Shivir : गहलोत सरकार के दो दिवसीय चिंतन शिविर से नदारद रहे ये चार मंत्री, CM ने जताई नाराजगी

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Published : Jan 16, 2023, 3:42 PM IST

Updated : Jan 16, 2023, 4:31 PM IST

CM Gehlot
सीएम गहलोत

राजस्थान की गहलोत सरकार के दो दिवसीय चिंतन शिविर (Chintan Shivir of Rajasthan government) का सोमवार को आगाज हुआ. जिसमें पहली बार मंत्री अपने विभागों के कामकाज का प्रजेंटेशन दे रहे हैं. लेकिन शिविर में पहले दिन ही चार मंत्री गैरहाजिर रहे तो सीएम को छोड़ अन्य कई मंत्री व अधिकारी भी समय पर नहीं पहुंचे.

जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार अपने चार साल के कामकाज का आकलन चिंतन शिविर के जरिए कर रही है. जिसमें मंत्री विभागवार कामकाज का लेखा जोखा पेश करने के साथ ही आगामी सियासी रणनीतियों पर भी चर्चा करेंगे, ताकि सरकारी योजना के जरिए हाल के दिनों में बिगड़ी सियासी समीकरण को समय रहते दुरुस्त किया जा सके. सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में ओटीएस में दो दिवसीय चिंतन शिविर का आगाज हुआ. लेकिन इस दौरान शिविर में चार मंत्रियों की गैरमौजूदगी चर्चा का विषय रही.

शिविर की शुरुआत के साथ ही सीएम गहलोत ने यह संदेश दिया कि सरकार की प्राथमिकता सोशल सिक्योरिटी है. हर वर्ग को सरकार की जनकल्याणकारी योजना का लाभ मिले, इसे सुनिश्चित करने की जरूरत है. साथ ही इस दौरान सीएम ने चिरंजीवी, OPS सहित कई अन्य उपलब्धियों को भी गिनाया. चिंतन शिविर में मुख्यमंत्री और एक कैबिनेट मंत्री को छोड़ दें तो कोई भी अन्य मंत्री और अधिकारी समय पर नही पहुंचे थे, जिसकी वजह से मंत्रि परिषद की बैठक समय शुरू नहीं हो सकी.

Chintan Shivir of Rajasthan government
मंत्री और विभागीय अधिकारी संग सीएम की बैठक

चार साल पर हो रहा मंथन : प्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनाव के मद्देनजर गहलोत सरकार अपने ही कामकाज का फीडबैक लेने में जुट गई है. इसी कड़ी में सोमवार से दो दिवसीय चिंतन शिविर की शुरुआत हुई. शिविर में अलग-अलग सत्रों में मंत्री अपने-अपने विभागों के कामकाज का प्रेजेंटेशन मुख्यमंत्री के सामने देते नजर आए. प्रेजेंटेशन में चार साल में विभाग की 4 साल की उपलब्धियों के बारे में बताया जा रहा है. साथ ही पूर्व में पेश हुए 4 बजट की क्रियान्वयन को लेकर भी प्रजेंटेशन दिया जा रहा है. शिविर में मंत्री की ओर से आने वाले बजट में विभागों की आवश्यकताओं को लेकर भी सुझाव दिए जा रहे हैं.

94 फीसदी घोषणाएं पूरी : प्रेजेंटेशन की शुरुआत में मुख्य सचिव उषा शर्मा ने सरकार के 4 साल का रोड मैप रखते हुए कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में राजस्थान मॉडल स्टेट बन रहा है. इसके अलावा शिक्षा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति देखने को मिली है. महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल प्रदेश में खोले गए हैं. विद्यालयों की संख्या में राजस्थान देश में चौथे स्थान पर है. वहीं, 4 सालों में 2722 घोषणा की गई हैं, जिनमें से 2549 घोषणाओं के लिए 94 फीसदी की वित्तीय स्वीकृति जारी हो चुकी है.

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सोशल सिक्योरिटी प्राथमिकता : शिविर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि सरकार ने 4 साल के इस कार्यकाल में सोशल सिक्योरिटी को प्राथमिकता दी है. इस समयावधि में राज्य सरकार की ओर से जो जनकल्याकारी योजनाएं चलाई गई हैं, वैसे योजनाएं देश में कहीं नहीं है. अन्य राज्य राजस्थान मॉडल को अपनाने के लिए अध्ययन कर रहे हैं. सीएम ने चिरंजीवी योजना, ओल्ड पेंशन स्कीम, वृद्धावस्था पेंशन, शहरी रोजगार गारंटी योजना, अंग्रेजी माध्यम के सरकारी स्कूलों का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसी योजनाएं देश के अन्य राज्यों में नहीं है. मुख्यमंत्री गहलोत ने तमाम मंत्रियों को भी कहा कि अपने-अपने विभागों जो-जो योजनाएं पेंडिंग हैं, उन्हें जल्द से जल्द धरातल पर उतारा जाए.

एक करोड़ लोगों तक सामाजिक सुरक्षा : मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार करीब एक करोड़ लोगों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन से लाभान्वित कर रही है. इसी तरह केंद्र सरकार जरूरतमंद लोगों को भी सामाजिक सुरक्षा दे. उन्होंने कहा कि जिस तरह खाद्य, रोजगार, सूचना का अधिकार दिया गया है, उसी तरह सामाजिक सुरक्षा (राइट टू सोशल सिक्योरिटी) मिलना चाहिए. ये सोशल सिक्योरिटी एक्ट समान रूप से पूरे देश में लागू हो.

गहलोत ने कहा कि हमारी ओल्ड पेंशन स्कीम की आलोचना की गई. लेकिन आज हर कर्मचारी सामाजिक सुरक्षा महसूस कर रहा है . सुप्रीम कोर्ट ने भी हमारी ओपीएस स्कीम पर मोहर लगाई है. उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी स्कीम, उड़ान योजना और महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालय राज्य सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धियां हैं. उन्होंने कहा कि 4 साल में 4498 मेडिकल ऑफिसर की भर्ती की जा चुकी हैं, 200 नए खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की भर्ती जारी है. उन्होंने कहा कि राजस्थान मॉडल ऑफ हेल्थ को बड़े स्तर पर विकसित किया जाएगा.

चिंतन शिविर को लेकर चिंतित नहीं मंत्री, अधिकारी : प्रदेश की गहलोत सरकार चिंतन शिविर में कामकाज को लेकर चिंतन करने जा रही है. लेकिन चिंतन शिविर की शुरुआत में जो नजारा देखने को मिला, उससे ऐसा लगता है कि मंत्री इस शिविर को लेकर कोई खास चिंतित नहीं हैं. चिंतन शिविर का समय 10:30 का था, उससे पहले मंत्रिपरिषद की बैठक होनी थी. लेकिन बड़ी बात यह थी कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 9:45 बजे ही ओटीएस पहुंच गए थे, जबकि गहलोत कैबिनेट के मंत्री महेश जोशी को छोड़ शेष सभी मंत्री 10:30 बजे पहुंचे. वहीं, मंत्रियों के इतर कई बड़े अधिकारी भी समय पर नहीं पहुंचे, जिसकी वजह से मंत्रिपरिषद की बैठक जो 10 बजे शुरू होनी थी, वह 10:45 बजे शुरू हुई. हालांकि, मुख्यमंत्री ने अधिकारी और मंत्री की लेटलतीफी पर नाराजगी भी जताई.

चार मंत्री रहे गैरहाजिर : वैसे तो चिंतन शिविर में सभी मंत्रियों की मौजूदगी जरूरी थी, लेकिन चार मंत्री इस शिविर में शामिल ही नहीं हुए. जिसमें उद्योग मंत्री शकुंतला रावत, सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा, वन पर्यावरण मंत्री हेमाराम चौधरी और पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह बैठक में नहीं पहुंचे. वहीं, पीएचईडी मंत्री महेश जोशी भी स्वास्थ्य कारणों के चलते थोड़ी देर से बैठक में शामिल हुए.

Last Updated :Jan 16, 2023, 4:31 PM IST
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