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Diwali 2022: ग्रीन पटाखों से अटा बाजार, प्रदूषण से दम नहीं घुटेगा...पर इनके दाम से निकलेगा 'दम'

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Published : Oct 20, 2022, 7:58 AM IST

Updated : Oct 20, 2022, 9:15 AM IST

green firecrackers in Jaipur
ग्रीन पटाखों से अटा बाजार

कोरोना के 2 साल के बाद इस बार दीपावली (Deepawali 2022) का उत्साह लोगों में खासा बना हुआ है. त्योहार को खास बनाने में जुटे लोगों के लिए बाजार में इस बार ग्रीन पटाखा उपलब्ध है. इन पटाखों से त्योहार तो शानदार मनेगा, साथ ही हानिकारक गैसों से भी काफी हद तक बचाव होगा. लेकिन इन पटाखों की रेट सामान्य पटाखों से अधिक होने के कारण जेब पर भार जरूर आएगा.

जयपुर. कोरोना संक्रमण काल के 2 साल बाद इस बार दीपावली का उत्साह परवान पर है. इसी उत्साह को दोगुना करने के लिए लोग शहर के बाजारों में पटाखे लेने पहुंच रहे हैं. खास बात यह है कि इस बार बाजारों में 90 फ़ीसदी ग्रीन पटाखे मौजूद हैं. ऐसे में शहर में प्रदूषण से तो दम नहीं घुटेगा, लेकिन इन ग्रीन पटाखों के दाम से दम जरूर निकलता दिखाई दे रहा है.

दीपावली (Diwali 2022) नजदीक है. इस त्यौहार को खास बनाने के लिए हर कोई शॉपिंग में जुटा हुआ है. यूं तो यह पर्व दीपोत्सव के तौर पर मनाया जाता है, लेकिन हर्षोल्लास के लिए लोग जमकर आतिशबाजी भी करते हैं. पटाखों की खरीदारी जारी है. इस बार ग्रीन पटाखे बेचने वालों को ही लाइसेंस की अनुमति दी गई है. जयपुर में सामान्य पटाखों की बिक्री को लेकर सतर्कता बरती जा रही है. पटाखों पर ग्रीन आतिशबाजी का मार्क होना अनिवार्य किया गया है. साथ ही शहर में अगर एयर क्वालिटी इंडेक्स ख़राब होता है तो आतिशबाजी पर तुरंत रोक लगाने का भी प्रावधान किया गया.

ग्रीन पटाखों से अटा बाजार

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क्या होते हैं ग्रीन पटाखेः ग्रीन पटाखे दिखने और जलाने में तो सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं. लेकिन इनसे प्रदूषण कम होता है. सामान्य पटाखों की तुलना में इन्हें जलाने पर 40 से 50 फ़ीसदी तक कम हानिकारक गैस पैदा होती है. इन पटाखों से जो हानिकारक गैसें कम निकलेंगी. खासकर दम घोंटने वाले धुएं के उलट इनसे निकलने वाले अरोमा से आतिशबाजी खुशबूदार बन जाती है. वहीं ये आकार में छोटे होते हैं, जिनमें एल्युमीनियम, बेरियम, पोटेशियम नाइट्रेट और कार्बन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है या फिर इनकी मात्रा बहुत कम होती है. जबकि सामान्य पटाखों के जलाने से भारी मात्रा में नाइट्रोजन और सल्फर गैस निकलती है. वहीं पटाखों में पार्टिकुलेट मैटर (PM) का विशेष ख्याल रखा जाता है. ताकि धमाके के बाद प्रदूषण न के बराबर हो ऐसे पटाखों की आवाज 125 डेसीबल से ज्यादा नहीं हो सकती.

नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) के मापदंड : ग्रीन पटाखों को लेकर जारी गाइडलाइन के अनुसार बिक्री के लिए आने वाले पटाखों पर सीएसआईआर-नीरी का हॉलमार्क होना अनिवार्य किया गया है. हॉलमार्क लगे हुए पटाखे ही इस बार बाजार में आ रहे हैं. पटाखा कारोबारी रविंद्र शर्मा ने बताया कि नीरी की ओर से मापदंड तय करने के बाद पटाखा बनाने वाले कारोबारी ग्रीन पटाखे ही बना रहे हैं. इससे कारोबार पर भी असर हुआ है. बाजार में अब सामान्य पटाखों की सप्लाई नहीं हो रही सभी ग्रीन पटाखे ही आ रहे हैं.

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जेब पर भारी ग्रीन पटाखे : दीपावली का त्योहार पटाखों के बिना अधूरा सा लगता है. लेकिन इस बार बाजार में मौजूद ग्रीन पटाखे जेब पर भारी पड़ (Price of green firecrackers in Jaipur) रहे हैं. पटाखा व्यापारी श्वेता शर्मा की मानें तो के पटाखों की कीमतों में 30-35 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी देखने को मिली है. लेकिन लोग 2 साल से कोरोना से जूझ रहे थे ऐसे में इस बार दीपावली को हर्षोल्लास के साथ बनाने के लिए दाम नहीं बल्कि सेफ्टी पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं.

कैसे करें असली और नकली की पहचान : बाजारों में ग्रीन पटाखों को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति भी है. लेकिन इनकी पहचान करना आसान है. ग्रीन पटाखों के पैकेट पर नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) का हॉलमार्क लगा हुआ है. इसके अलावा भी इन पटाखों के पैकेट ऊपर क्यूआर कोड लगा है जिसे स्कैन कर इनकी बखूबी पहचान भी की जा सकती है. साथ ही किस पटाखे में किस तरह कितना पोटेशियम नाइट्रेट सोडियम नाइट्रेट सल्फर चारकोल आदि का प्रयोग किया गया है, इसकी जानकारी भी मिल जाएगी।

Last Updated :Oct 20, 2022, 9:15 AM IST
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